May 20, 2024

बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई के तौर की गई सर्जिकल स्ट्राइक में ISRO की मदद ली गई थी। पहली बार आर्मी के किसी बड़े ऑपरेशन के लिए कार्टोसैट सैटलाइट्स का इस्तेमाल किया गया। आखिरी बार इस साल जून में कार्टोसैट सैटलाइट लॉन्च की गई थी। इसरो के सूत्रों के मुताबिक, लाइन ऑफ कंट्रोल पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक में आर्मी को सैटलाइट से मिली हाई रेजॉल्यूशन तस्वीरों से बड़ी मदद मिली।

इसरो के एक सूत्र ने बताया, ‘हम सेनाओं को तस्वीरें उपलब्ध कराते रहे हैं, खासकर आर्मी को। हालांकि मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता हूं कि बीते सप्ताह में हमने किसी खास दिन कोई खास तस्वीर भेजी थी। कार्टोसैट इमेज इसी उद्देश्य के लिए होती है और आर्मी ने इनका इस्तेमाल किया है।

हालांकि इसरो और रक्षा मंत्रालय, दोनों ने कार्टोसैट परिवार के सैटलाइट के इस्तेमाल पर चुप्पी साध रखी है। इन सैटलाइट को एक्सपर्ट्स भारत की ‘आई इन द स्काई’ कहते हैं। कार्टोसैट-2C से भारतीय सेना का सर्विलांस यानी निगरानी तंत्र और मजबूत हो गया है। यह सेना को 0.65 मीटर्स की हाई रेजॉल्यूशन तस्वीरें उपलब्ध करा रहा है जो कि पहले की तुलना में काफी बेहतर रेजॉल्यूशन है।

कार्टोसैट ने सेना को एरिया ऑफ इंट्रेस्ट (AOI) बेस्ड तस्वीरें उपलब्ध कराईं। एक सूत्र ने बताया कि सेना के अनुरोध पर एरिया ऑफ इंट्रेस्ट (AOI) को कवर करते हुए एक पॉलिगॉन में (सभी इलाके एक ही सर्कल में) करते हुए एक से ज्यादा तस्वीरें भेजी गईं।

हैदराबाद स्थित नैशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) के मुताबिक, AOI प्रॉडक्ट्स दो तरह के होते हैं- स्टैंडर्ड और प्रेसिशन बेस्ड ऑर्थो (जहां अंतरिक्ष से ली गई तस्वीरों को एक यूनिफॉर्म स्केल पर सुधारा जाता है। इन दोनों का ही इस्तेमाल सेना करती है। ऑर्थो से सही की गई तस्वीरों में क्षेत्रीय अस्पष्टता और कैमरे के टिल्ट प्रभाव को दूर कर दिया जाता है

Leave a Reply