May 22, 2024

बीसीआर न्यूज़ (सुधीर सलूजा): एक ऐसा व्यक्ति जिसे देखकर मरीज़ को जीने की आस बंध जाती है। वह दिखने में तो एक साधारण व्यक्ति ही है परन्तु मरते हुए मरीज़ के लिए भगवान ,जिसे उस समय परमात्मा स्वयं न आकर उसे अपनी जगह भेजते है ,उस व्यक्ति को डॉक्टर कहते हैं। आज के मरीज़ में डॉक्टर के प्रति उतनी श्रद्धा नहीं है जो अतीत में हुआ करती थी ,उसका मुख्य कारण निजी अस्पतालों का व्यापारीकरण अर्थात व्यापारिक प्रतिष्ठानों में बदल चुके लगभग सभी निजी अस्पताल कारपोरेट घरानों से ताल्लुक रखते हैं। आज अस्पताल पॉँच या सात सितारा स्तर की सुविधाओं से लैस हो चुके है। ईलाज पैकेज में होने लगा है।

आज किसी एक प्रसिद्ध सीनियर डॉक्टर के नाम से अलग अलग अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर्स की टीमें काम कर रही हैं और सीनियर डॉक्टर उनकी देख रेख के लिए अलग अलग दिन अलग अलग अस्पतालों में आते हैं। कभी कभी मरीज़ की ऑपरेशन के कुछ समय बाद तबीयत खराब हो जाती है और सीनियर डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं होते क्योंकि वो दूसरी जगह होते हैं तथा उनसे जूनियर डॉक्टर का सम्पर्क न हो पाने की स्थिति में मरीज़ को उचित ईलाज नहीं मिल पाता और मरीज़ की मृत्यु तक हो जाती है, इसका एक कारण यह भी है कि अस्पतालों में इन्फेक्शन की स्थिति बहुत भयावह है।

हाल की कुछ घटनाओं को सुना कि कहीं दाएं पैर में चोट लगे मरीज़ के बाएं पैर का ऑपरेशन कर दिया गया, कहीं हृदय रोगी का वाल्व बदलने या स्टंट डालने के नाम पर लूट। एक मरीज़ ने बताया की एक अस्पताल के नामी डॉक्टर ने तीनों वाल्व ख़राब बताकर उन्हें सात लाख रूपये का ऑपरेशन का खर्च बताया तो दूसरे अस्पताल के दूसरे डॉक्टर ने बताया की सिर्फ एक वाल्व ख़राब है तीन लाख में ऑपरेशन हो जायेगा।स्टंट की किसी मरीज़ को आवश्यकता है या नहीं यह अलग अलग डॉक्टर अलग अलग राय दे रहे है ,पैकेज भी अलग अलग है और आप किस चैनल से आये है यह उस पर भी निर्भर करता है। लगभग सभी बड़े अस्पतालों में मरीज़ को ऑपरेशन की सलाह दी जाती है लेकिन कोई भी बड़ा ऑपरेशन करवाने से पहले मरीज़ को कम से कम एक या दो दूसरे डॉक्टरों से राय जरूर करनी चाहिये। कई अस्पतालों में तो नामी डॉक्टर की टीम बताकर जूनियर डॉक्टर्स ही ऑपरेशन कर देते हैं। इन डॉक्टर्स में से ज्यादातर डॉक्टर प्राइवेट मेडीकल कॉलेजों से पढ़कर आये होते हैं जिनके पास न तो फैकल्टी होती है और न ही लैब।

अमीर घरों के बच्चे मोटी फीस देकर डॉक्टरी करके इन अस्पतालों में नौकरी करते है और मरीज़ो का ईलाज करते है और बदले में मिलता है मोटा कमीशन। भारत सरकार को देश के उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखते हुए स्वास्थय सेवाओं ओर शिक्षा संस्थानों का राष्ट्रीयकरण कर देना चाहिये।

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