बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): संसद में भाजपा सरकार के अमर्यादित आचरण पर इस सरकार के बाद बहुत कहानिया लिखी जायेंगी । कुछ कलमे खामोश हैं केवल इस लिए कही उनको चौराहे पर अपमानित न किया जाए । फासी वादी सोच की ये सरकारी विचारधारा नोट बंदी के मूर्खता भरे निर्णय के लिए ठीक उस बादशाह की तरह याद की जायेंगी जिसने मुद्रा को अपने कुछ मित्रो के फायदे के लिए बदल डाला था ।दुनिया का इतिहास ऐसे संनकी नेताओं,शासको से भरा हुआ हैं जिन्होंने देश हित से ऊपर अपना हित साधा हैं ।
आज संसद और राज्यसभा को एक सनक ने अपना गुलाम बना लिया हैं संसद आज लोकतंत्र का मंदिर नहीं ,कुछ चंद भाजपा नेताओं और समर्थको का अड्डा बन गया लगता हैं । जिसमे संगीत भी अपनी पसंद का और साजिन्दे भी खुद के चुने हुए जो एक ही धुन बजा रहे हैं । स्पीकर अपनी सरकारी भक्ती का पूर्ण परिचय दे रहे हैं ।
ये समझ नहीं आता मोदी सरकार का नोट बंदी ,की तुकबन्दी का फैसला सही तब भय किस बात का ,पूर्ण बहुमत भाजपा का तब उस पर मतविभाजन से मोदी सरकार अपना मुंह क्यों छुपा रही हैं ?
क्या प्रधानमंत्री अपने ही लिए फैसले पर संशयो से घिरे हैं ?
आज राहुल गाँधी अपनी तीखी अंदाजमें एक बार फिर नज़र आये जब उन्होंने सीधी बात कही मोदीजी के नोट्बंदी के फैसले को उन्होंने मूर्खता पूर्ण बताया ,उन्होंने साफ़ साफ़ कहा पे टम की परिभाषा को बताते हुए “पे टू मोदी “ इससे ज्यादा उपहास भरा और तीखा आरोप शायद ही किसी पर लगा हो ।
पत्रकारों के पूंछे जाने पर आत्म विशवास से भरे राहुल गाँधी ने सीधे चुनौती देते हुए खा संसद में आ जाए हम बतायेंगे की फैसला मूर्खता पूर्ण क्यों ?
विपक्ष के रूप में सारे दल एक जूट हैं .उन आम लोगो के दर्द के साथ खड़े नज़र आते हैं जो इस नोट बंदी के बाद एक तबाही के कगार पर हैं । विपक्ष को न संसद में सुना जा रहा हैं न लोकसभा में और प्रधानमंत्री अपने गुणगान इधर से उधर खूब गाये जा रहे हैं । सम्पूर्ण विपक्ष को खुद भी जनता के बीच जा कर नोट बंदी के पूरे खेल का पर्दाफाश करना चाहिए जनता सडको पर हैं और विपक्ष संसद से न्याय की आशा रख रहा हैं। जो मोदी सरकार के रहते बहुत मुश्किल हैं ।
विपक्ष को जनता के साथ खड़ा हो कर अपनी लड़ाई अब सडको पर लडनी होगी लेकिन पहले तय करे की वो फैसले से वाकई सहमत या असहमत ?
राजनैतिक लाभ हानी वो जनता का फैसला जो समय पर अपना निर्णय सुनाएगा । जनता के पैसे को जिस तरह से शर्तो के साथ बंधक बना कर रक्खा जा रहा हैं ।वो आर्थिक तानाशाही हैं । कम से कम कांग्रेस इस मुद्दे पर जनता को अपनी बात सही तरह से समझा सकती हैं ।
ये वही भाजपा हैं जो विपक्ष में रह कर संसद नहीं चलने देती थी और सफाई में कहती थी की संसद चलाना सरकार की जिम्मेवारी आज भजपा उसी ज़िम्मेवारी से भाग रही हैं ।