बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): समाजवादी पार्टी में चुनाव चिन्ह की लड़ाई के बीच अखिलेश खेमे ने ख़ामोशी से कांग्रेस के साथ गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया है। सूत्रों के मुताबिक नई डील के अनुसार अब समाजवादी पार्टी कांग्रेस को सौ सीटें देने पर राजी हो गयी है। इससे पहले सपा कांग्रेस को 80 सीटें ऑफर कर रही थी ।
सूत्रों ने बताया कि अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यह मानकर फैसले कर रहे हैं कि समाजवादी पार्टी में अब समझौते की कोई गुंजाईश नही है और चुनाव में उन्हें अपने खेमे के साथ नए रूप में जाना है। इसके लिए टीम अखिलेश ने समाजवादी के चुनाव चिन्ह साईकिल को लेकर भी विकल्प तय कर लिए हैं। सूत्रों ने बताया कि यदि चुनाव आयोग सपा के सिम्बल साईकिल को जब्त कर लेता है अथवा मुलायम खेमे को आवंटित कर देता है तो इसके लिए प्लान बी को पहले से तैयार रखा गया है।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में गठबंधन को लेकर बातचीत अंतिम दौर है। इसका संकेत इससे मिलता है कि चुनाव आयोग में साइकिल चुनाव चिह्न को लेकर अखिलेश गुट के दावे का कपिल सिब्बल पैरवी कर रहे हैं।
वहीँ सूत्रो ने बताया कि प्रदेश में बदले समीकरणों को ध्यान में रखकर अखिलेश यादव ने कांग्रेस को सौ सीटों पर लड़ने पर रज़ामंदी दे दी है वहीँ रालोद को 23 सीटें दिए जाने की पेशकश की है। सूत्रों ने बताया कि अगले दो तीन दिन में गठबंधन का ऐलान हो जाएगा।
जब सूत्रों से पूछा कि जिन सीटों पर सपा के सिटिंग एमएलए हैं उन सीटों पर बंटवारा कैसे होगा तो सूत्रों ने बताया कि गठबंधन को लेकर सपा और कांग्रेस में इस बात को लेकर कई दिनों तक मामला लटका रहा लेकिन अंत में सहमति बन गयी। सूत्रों ने बताया कि सम्भावना है कि गठबंधन के बाद कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट की गयीं शीला दीक्षित चुनाव न लड़ें । वहीँ सूत्रों ने बताया कि सपा के साथ गठबंधन के बाद कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने का कोई मतलब नही रह जाता।
सूत्रों ने कहा कि सपा के दो फाड़ होने के बाद बदले राजनैतिक हालात में संभव है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके भाई शिवपाल कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार न उतारें । ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि अखिलेश खेमे से लड़ने वाले कुछ उम्मीदवार सपा मुखिया के भी कभी करीबी रहे हैं। ऐसे में प्रदेश की कम से कम 30 सीटें ऐसी होंगी जहाँ या तो अखिलेश अपने उम्मीदवार नही उतरेंगे या मुलायम सिंह यादव । सूत्रों ने बताया कि अखिलेश ऐसी सीटें घटक दल को देना बेहतर समझेंगे।