बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने इस विवाद को कोर्ट के बाहर आपसी सहमती से दोनों पक्षों को सुलझाने की सलाह दी है. लेकिन मुस्लिम समुदाय के ठेकेदारों की अकड है, की बात करने को तैयार ही नहीं. हालांकि राम मंदिर मुद्दे पर पहले ही इलाहवाद हाई कोर्ट का फैसला हिन्दुओं के पक्ष में डाला था, जिसमे अदालत ने माना था ही अयोध्या में राम मंदिर ही बनाना चाहिए,लेकिन मुस्लिम पक्ष के पैरोकारों ने अदालत के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी थी. वो नही चाहते की अयोध्या में राम मंदिर बने!
जब काफी समय से लंबित चल रहे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने बताया की यह एक आस्था का विषय है और दोनों पक्षों को इस पर सहमती के आधार पर फैसला लेते हुए इसे अदालत से बाहर सुलझा लेना चाहिए.इस पर बीजेपी के तमाम नेताओं ने अदालत के मुख्य न्यायधीश की इस सलाह का स्वागत किया, वहीँ दूसरी तरफ मुस्लिम नेताओं ने तरह तरह की भड़काऊ बातें मीडिया के माध्यम से समाज के बीच फैलाना शुरू कर दिया, और हर दुसरे दिन कोई भी मुस्लिम नेता उठ कर हिन्दुओ के खिलाफ जहर उगलता है और राम मंदिर के मुददे को ले कर हिन्दुओ धमकी देते है!
हैदराबाद AIMIM पार्टी से सांसद असद्दुदीन ने कहा की हम इस फैसले की सुनवाई कोर्ट से ही करवाना चाहते है,उसने कहा की हम बहार बैठ कर किसी से कोई समझौता नहीं करेंगे, उनके भाई हैदरावाद के तेलन्गाना से AIMIM पार्टी के विधायक ओवैसी ने हिन्दुओं को आक्रोशित करने वाला भड़काऊ ब्यान दिया है. उन्होंने कहा आज हिन्दू बहुसंख्यक हैं , इसीलिए मंदिर के मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं जिस दिन मुसलमान बहुसंख्यक हो जायेंगे उस दिन न चर्चा करने करने के लिए हिन्दू होंगे न ही “राम मंदिर” आपको याद दिला दे यह वही ओवेशी है, जिसने कहा था की15 मिनट के लिए सरकार अपनी पुलिस को हटा ले हम मुसलमान बता देंगे की हमारी कितनी ताकत है!
लेकिन हमारे देश की बड़ी ही अजीव विडम्बना है की जब कोई अपने आप को हिन्दू कहता है,या फिर हिन्दू के लिए बात करता है तो उसे साम्प्रदायिक कहा जाता है.लेकिन वहीँ कोई अपने आप को मुसलमान या फिर मुसलमानों के लिए हिन्दुओं को काटने की बात भी करता है,तो वह सेक्युलर ही कहलाया जाता है, आखिर यह दोगलापन कहाँ तक सहन करेगा देश का हिन्दू. लेकिन हमारी पुरानी सरकारों के अन्दर बैठे हुए सेक्युलर तत्वों ने ही इनके हौंसले इतने बढाए हुए. अगर इनको समय पर ही संबिधान के तहत ओकात में रहना सिखाया होता तो आज क्या मजाल थी इनकी जो इस तरह ओकात में रहना सिखाया होता तो आज क्या मजाल थी इनकी जो इस तरह से खुले आम बहुसंख्यक समाज को चेतावनी दे पाते!