बीसीआर न्यूज़ (रऊफ अहमद सिद्दीकी/नॉएडा) इस्लाम के नाम पर कुछ कट्टरपंथी मुल्ला दुनिया में खौफ कायम करना चाहते हें इसी कड़ी में अफगानिस्तान काबुल में एक २७ साल की औरत फरखंदा को न सिर्फ पीट पीट कर मार डाला गया बल्के उसकी लाश को भी आग लगा दी गयी फरखंदा पर इलज़ाम था कि उसने कुरान शरीफ को जला दिया था मगर उसके परिवार वाले इस इलज़ाम को गलत बताते हें जब की कुछ लोगो का कहना हे कि वो मानसिक रूप से कमजोर थी सच्चाई जो भी हो मगर उसे ऐसी मोंत नही मिलनी चाहिए थी भीड़ ने जिस तरह उसे मजहब के नाम पर मोंत के घाट उतरा उसकी वो हक़ दार बिलकुल भी नही थी फरखंदा को ऐसे लोगो के समूह ने मारा हे जो खुद को पुलिस . वकील . जज .. भी समझते हें सजा भी खुद ही सुनाते हें और उसे लागु भी खुद ही करते हें फरखंदा को अपनी सफाई तक देने का मोका मिला जिस तरह उसे मारा गया हे उसके परिवार वाले इस जखम को ज़िन्दगी भर भुला नही पाएंगे अफगानिस्तान में इस तरह की घटना आम बात हो चुकी हें . लेकिन रात कितनी भी काली क्यों न हो सुबह ज़रूर होती हे . इस खोफ़ और जुल्म के बीच कुछ उम्मीद की किरण भी हें , इस अन्याय से लड़ने और ताकत की कुछ आवाजे अब उभरने लगी हें . औरत ही ऐसे ज़ुल्म की शिकार क्यों होती हे फरखंदा के मामले में एक ख़ास चीज ये हुई कि औरते घर की दहलीज से बाहर निकली . उसका जनाज़ा लेकर गयी . और खुद उसे दफ़न भी किया इतना ही नही इस मोके पर . खुल कर बोली भी . सरकार से कानून का शासन लागु करने और अवाम को सुरक्षा देने के लिए कहा इन औरतो ने साफ कर दिया . की ये बदतर हालत की हकदार नही हें . अफगानिस्तान में तालिबान के शासन काल में और उसके बाद . युद्ध के दोरान औरते अन्याय की सबसे ज्यादा शिकार हुई हें . लेकिन ताज़ा घटनाओ से यह बात तो साफ हे कि . अब ये औरते खामोश बैठने वाली नही हें . ये उस देश के लिए एक नई मिसाल हे जहाँ हमने कई तरह के जुल्म को देखा हे . औरते अब इंसाफ के लिए निकल पड़ी हें और इसमें कोई शक नही कि वो कामयाब भी होंगी . खुदा भी उनकी मदद करता हे जो अपनी मदद खुद करने की हिम्मत रखता हो ……..