
<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <!-- 2683 BCR --> <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-ad-client="ca-pub-3954683617932208" data-ad-slot="4189612373" data-ad-format="auto"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); </script>
उत्तराखंड HC का फैसला, 31 मार्च को बहुमत साबित करें रावत, बागी MLA कर सकेंगे वोट
![(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});](http://bcrnews.co.in/wp-content/uploads/2016/03/Harish-Rawat-Pix-300x177.jpg)
बीसीआर न्यूज़ (देहरादून): उत्तराखंड के सियासी संकट पर नैनीताल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि 31 मार्च को विधानसभा के अंदर शक्ति परीक्षण करवाया जाए। इसके अलावा हाईकोर्ट ने कांग्रेस के बागी विधायकों को भी वोट डालने की इजाज़त दे दी है। इस बीच बागियों ने कहा है कि उनकी स्थिति वही है जो 18 मार्च की थी। बागियों ने संकेत दिए हैं कि वो हरीश रावत सरकार के खिलाफ ही वोट करेंगे। बागी विधायक सुबोधकांत उनियाल ने भी कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने संविधान की धज्जियां उड़ाईं।
31 को बहुमत परीक्षा
दो दिन तक दलीलें सुनने के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि 31 मार्च को विधानसभा के अंदर शक्ति परीक्षण किया जाए। हाईकोर्ट ने कांग्रेस को बागी 9 विधायकों को भी वोट डालने की इजाज़त दे दी है। 28 मार्च की सुबह विधानसभा के अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था। 31 मार्च को विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार पर्यवेक्षक के तौर पर मौजूद रहेंगे।
बागियों को भी वोट का मौका
सत्तारूढ़ कांग्रेस के नौ बागी विधायकों सहित सभी विधायक बहुमत परीक्षण में शामिल हो सकते हैं, लेकिन अयोग्य घोषित किए गए विधायकों के मतों को अलग रखा जाएगा। उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने यहां दूसरे दिन की सुनवाई के बाद संवाददाताओं से कहा कि बागी विधायकों के मतों को राष्ट्रपति शासन को चुनौती देने वाली हरीश रावत की रिट याचिका पर अंतिम फैसला आने के बाद संज्ञान में लिया जाएगा।
गौरतलब है कि 28 मार्च को हरीश रावत को बहुमत साबित करना था, उससे एक दिन पहले ही उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।