November 24, 2024
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खुलासा: भारत को आजादी दिलाने में गांधी से बड़ी भूमिका नेताजी की थी

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बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): नेताजी की फाइलें खुलने के बाद जो राज छनकर बाहर आए हैं, उन्होंने देश-दुनिया में आधुनिक भारतीय इतिहास की पुस्तक को इन बदलावों के साथ नए सिरे से प्रकाशित करने की जरूरत पर बहस छेड़ दी है।

पुस्तक ‘बोस: एन इंडियन सैमुराई’

पिछले दिनों नेताजी पर रिसर्च करने वाले मिलिट्री इतिहासकार जनरल जीडी बक्शी ने अपनी ताजा प्रकाशित पुस्तक ‘बोस: एन इंडियन सैमुराई’ में यह दावा किया है कि पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने कहा था कि भारत को आजादी दिलाने में नेताजी की भूमिका सर्वोपरि थी। वहीं, गांधी की अध्यक्षता में किए गए अहिंसात्मक आंदोलन की भूमिका को उन्होंने कमतर बताया।

नेताजी सबसे बड़ी ‘चुनौती’ बन चुके थे

पुस्तक में बक्शी ने 1956 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल न्यायमूर्ति पीबी चक्रबर्ती के बीच हुई बातचीत का हवाला देते हुए लिखा है कि लेबर पार्टी के नेता और ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली, जिन्होंने भारत की आजादी के कागजात पर हस्ताक्षर किए थे, ने माना था कि ब्रिटिश शासन के लिए नेताजी सबसे बड़ी ‘चुनौती’ बन चुके थे।

उन्होंने स्पष्ट किया था कि गांधीजी के अहिंसात्मक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार को होने वाली परेशानियां उनके मुकाबले बेहद कम थीं। गौरतलब है कि एटली उस दौरान कोलकाता में चक्रवर्ती के मेहमान थे।

एटली ने उन्हीं दिनों यह बात कही

उन दिनों पश्चिम बंगाल के गर्वनर का कार्यभार संभाल रहे कलकत्ता हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश चक्रवर्ती ने आरसी मजूमदार की पुस्तक: ‘अ हिस्ट्री आॅफ बंगाल’ के प्रकाशक को खत लिखा था। खत में उन्होंने लिखा, “जब मैं कार्यवाहक राज्यपाल था तब दोे दिनों तक तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली मेरे साथ थे। एटली ने उन्हीं दिनों यह बात कही।”

उन्होंने लिखा कि क्लीमेंट एटली ने ब्रिटिश भारत को आजादी दिलाने में गांधीजी के मुकाबले नेताजी की भूमिका को सर्वोपरि और अहम बताया था।

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