November 24, 2024
modi notbandi 27 november

बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): करेंसी यानी रुपये की प्रिंटिंग और मॉनिटरिंग के बारे में ज्यादातर लोग अनजान होते हैं, नोटबंदी के बाद कुछ लोगों का मानना है कि हजारों करोड़ रुपये का कालाधन तहखाने में पड़े पड़े ही बेकार हो जाएगा क्योंकि बेईमान और भ्रष्टाचारी लोग जेल जाने के डर से उसे बाहर नहीं निकालेंगे, ऐसे में अगर इतना रूपया जमीन में दबे दबे ही बर्बाद हो जाएगा तो उससे देश का नुकसान हो जाएगा। कुछ लोग तो ये भी कह रहे हैं कि उस कालेधन को किसी मंदिर में या सेना के खाते में डाल दें ताकि देश को नुकसान ना हो, लोगों की यह राय पूरी तरह से गलत है और ऐसे लोगों को पूरी जानकारी नहीं है।

सच बात तो यह है कि जितना धन जमीन में दबा रहेगा देश को उतना ही फायदा होगा, अगर जमीन में 1 लाख करोड़ रुपये का धन दबा होगा तो देश को 1 लाख करोड़ का फायदा होगा, अगर जमीन में 10 लाख करोड़ रूपया दबा होगा तो देश को 10 लाख करोड़ का फायदा होगा, यह सारा पैसा अपने आप और बिना मेहनत के केंद्र सरकार के खजाने में आ जाएगा और इन पैसों से देश का विकास होगा।

जमीन में दबा धन अपने आप कैसे खजाने में आ जाएगा ?

रिज़र्व बैंक जब नोट छपता है तो उसपर एक सीरियल नंबर होता है, उसी सीरियल नम्बर से रुपये की मॉनिटरिंग होती है, जब नोट चलन में होता है तो रिज़र्व बैंक को पता होता है लेकिन जब रूपया जमीन में या तहखाने में दब जाता है और चलन से बाहर हो जाता है तो भी रिज़र्व बैंक को पता चल जाता है लेकिन कानूनी तौर पर रिज़र्व बैंक कुछ नहीं कर सकता क्योंकि अगर ऐसे में रिज़र्व बैंक उसी सीरियल नम्बर का दूसरा नोट छाप देगा तो डुप्लीकेशन हो जाएगा। ऐसे में उन पैसों को समाप्त करने के लिए नोटबंदी जैसा कानून लाना पड़ता है, ऐसे कानून के बाद अगर रुपये बाहर आ गए तो ठीक है वरना रिज़र्व बैंक उसी सीरियल नम्बर का दूसरा नोट छाप देगा लेकिन वह नोट केंद्र सरकार के खजाने में जाएगा और देश के काम आएगा।

उदाहरण के लिए समझिये – रिज़र्व बैंक ने सीरियल नम्बर 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के दस नोट छाप दिए। ये नोट देश में चल रहे हैं और इन्हीं से व्यापार हो रहा है, अचानक कोई चोर सीरियल नम्बर 3, 4, 5 के नोटों को अपने तहखाने में दबाकर बैठ गया। पहले देश में 10 नोट थे लेकिन अब तीन नोट जमीन में दब गए इसलिए देश के पास केवल 7 नोट बचे। अब तो देश को नुकसान हो गया समझो। रिज़र्व बैंक दूसरा नोट तो छाप नहीं सकता उस सीरियल नम्बर का। इससे आगे का भी नहीं छाप सकता। उन पैसों को बाहर निकालने के लिए सरकार को नोटबंदी करनी पड़ती है और दूसरे रंग का नोट छापना पड़ता है। नोटबंदी के बाद अगर तीनों दबे नोट बाहर आ जाते हैं तो वह दबाने वाला उन पैसों पर जुर्माना देकर उस नोट को बदलकर नए नोट ले लेगा लेकिन अगर वह नोट बाहर नहीं आता तो रिज़र्व बैंक उसी नम्बर का दूसरा नोट छाप देगा लेकिन वह नोट सीधा केंद्र सरकार के खजाने में जाएगा।

मतलब नोट दबाने वाले का नोट जमीन में ही दबा रहा लेकिन उसी नम्बर का नोट रिज़र्व बैंक ने छापकर केंद्र सरकार को दे दिया।

दूसरा उदाहरण समझिये, जब किसी आदमी का नोट कट या फट जाता है तो वह आदमी रिज़र्व बैंक में जाकर बैंक को केवल सीरियल नम्बर दिखाता है और वहां से नया नोट लेता है, रिज़र्व बैंक बाद में उसी सीरियल नम्बर का दूसरा नोट छाप देना, मान लीजिये रिज़र्व बैंक के पास कोई ऐसा कटा-फटा नोट पहुँच गया जिसे कोई लेने वाला नहीं है तो रिज़र्व बैंक उस सीरियल नम्बर का दूसरा नोट छाप देता है और उसे सरकार के खजाने में डाल देता है। नोट नोट जमीन में गड़े गड़े सड़ जाते हैं रिज़र्व बैंक उन्हें भी छाप सकता है लेकिन उन पैसों को फिर से छापकर रिज़र्व बैंक केंद्र सरकार के खजाने में जमा करेगा बस उसे सीरियल नम्बर मिलने चाहिए, नोटबंदी के बाद रिज़र्व बैंक को जिन सीरियल नम्बर के नोट नहीं मिलेंगे उन्हें फिर से छापकर केंद्र सरकार को दे दिया जाएगा।

अब सोचिये, 30 दिसम्बर के बाद जितना भी धन जमीन में दबा रहेगा, उदाहरण के लिए 10 लाख करोड़ रुपये जमीन या विदेशों में दबा रहेगा तो उस सीरियल नम्बर के सारे नोट रिज़र्व बैंक फिर से छाप देगा लेकिन वह सारा पैसा केंद्र सरकार के खजाने में जाएगा। अगर 10 लाख करोड़ रूपया दबा रहा तो केंद्र सरकार के खजाने में 10 लाख करोड़ जमा होंगे, मतलब देश का बम्पर फायदा। अगर उस पैसे से देश का विकास किया गया तो देश सोने की चिंडिया बन जाएगा और मोदी स्वयं कह रहे हैं कि इस इमानदारी के महायज्ञ में बहुत सारा धन निकलेगा और सारा का सारा केंद्र सरकार के खजाने में आएगा और उन पैसों से देश का विकास किया जाएगा।

एक चीज और बतानी जरूरी है, कुछ लोग कहते हैं कि रिज़र्व बैंक ने आधी अधूरी तैयारी की है और उन्हें पहले ही नोट छापकर रखने चाहिए थे, अरे भाई रिज़र्व बैंक को पहले नोट मिलेंगे तभी तो उन्हीं सीरियल नम्बर को देखकर नोट छपेगा, जैसे जैसे पुराने नोट बैंकों में जमा हो रहे हैं उसी आधार पर रिज़र्व बैंक नोट छाप रहा है, बैंकों में जितना पैसा जमा होगा रिज़र्व बैंक उतने ही नोटों को छपेगा। रिज़र्व बैंक अपने आप से नोट छापकर नहीं रख सकता, बाजार में जितना भी रूपया होता है रिज़र्व बैंक उतना ही रूपया छाप सकता है। इसलिए नोटबंदी के बाद लोगों को परेशानी हो रही है लेकिन जब सभी लोग बैंकों में पैसे जमा कर देंगे तो रिज़र्व उसी सीरियल नम्बर के नोट छाप देगा और बाजार में फिर से पहले जैसा माहौल हो जाएगा, इस काम में 50 दिन लगने का अनुमान है। जितने भी सीरियल नम्बर नहीं मिलेंगे यानी जो रुपया जमीन में दबा रह जाएगा, तो रिज़र्व बैंक देखेगा कि कितने सीरियल नम्बर हमारे पास नहीं आए, उसके बाद उन सीरियल नम्बर के नोटों को रिज़र्व बैंक छापकर केंद्र सरकार को या अपने डिपाजिट में जमा कर देगा जो देश के काम आएगा।

अब सोचिये, अगर पैसा जमीन में दबा होगा तो भी केंद्र सरकार के खजाने में आ जाएगा, अगर समुंदर में घुस गया होगा तो भी वह केंद्र सरकार के खजाने में आ जाएगा, अगर जला दिया गया होगा या गंगा में बहा दिया गया होगा तो भी वह केंद्र सरकार के खजाने में आ जाएगा। विपक्षी दल के नेता समझ रहे हैं कि नोटबंदी से मोदी सरकार को बहुत फायदा होगा, बहुत सारा पैसा आएगा और उन पैसों से देश का विकास होगा, अगर मोदी ने अच्छा काम किया तो विपक्षी दलों का अस्तित्त्व मिट जाएगा।

अब आप खुद सोचिये, बड़ी बड़ी रेटिंग एजेंसियां इस फैसले को सही बता रही हैं, पूरी दुनिया का नजरें भारत पर लगी हुई हैं, पूरे विश्व में मोदी की तारीफ हो रही है और इस कदम को विश्व का अब तक का सबसे साहसिक फैसला बताया जा रहा है, ऐसा क्यों। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत अब बदलने वाला है। यह भी साबित हो रहा है कि भारत गरीब नहीं था, कुछ लोगों ने धन जमीन में दबाकर भारत को गरीब बना रखा था। अगर यही धन चलन में होता तो देश आज भी सोने की चिंडिया होता।

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