बीसीआर न्यूज़ (राजू बोहरा/नयी दिल्ली): पिछले दिनों महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के 21 वे अधिवेशन के दौरान देश के तमाम बुद्धिजीवी और साहित्य से जुड़े लोगो के बीच लेखक पारस जायसवाल को ‘संवाद कला शिरोमणि’ उपाधि से सम्मानित किया गया हैं। आपको बता दें कि टेलीविजन धारावाहिक के लेखन में अब तक पारस जायसवाल ने 300 से ज्यादा कहानियां और 5000 से ज्यादा ऐपिसोड लिख चुके है जो बॉलीवुड के लिए एक रिकार्ड है, पारस जायसवाल की लिखी अब तक 12 फिल्में भी रिलीज हो चुकी हैं।
टीवी धारावाहिक के लेखन में यह मुकाम हा िसल करने वाले पारस जायसवाल पहले लेखक है। इसके पहले भी लेखन से जुड़े तमाम सम्मान उन्हें मिलते रहे हैं । ये संवाद कला शिरोमणि उपाधि साहित्य और लेखन से जुड़े लोगो को दिया जाता है, जिन्होंने साहित्य और अपने लेखन से समाज को दिशा देने की कोशिश की हो, और हम आप को बता दें कि पारस जायसवाल ने सिर्फ दूरदर्शन के लिये ही 50 से ज्यादा धारावाहिक लिखे है जो प्राइवेट चैनल की की भेड़चाल से अलग सचमुच समाज को दिशा देने वाले होते है, यही वजह है कि उन्हें इस उपाधि से सम्मानित किया गया।
गत वर्ष भी पारस जायसवाल को ’अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच’ द्वारा 25 वे वार्षिक महोत्सव में पूर्व केंद्रीय मंत्री एव पूर्व राज्यपाल श्री डॉ० भीष्म नारायण सिंह के हाथो नई दिल्ली मे सम्मान प्राप्त कर चुके है।
पारस जायसवाल द्वारा लिखित लोकप्रिय धारावाहिको में ‘एहसास कहानी एक घर की‘, ‘दर्द का रिश्ता‘, ‘कशमकश‘, ‘इम्तिहान‘, ‘ज़िन्दगी एक भंवर‘, ‘बेटी का फर्ज, ‘उम्मीद नई सुबह की‘, ‘लक़ीरे किस्मत की‘, ‘मंगलसूत्र‘, ‘शमा‘, ‘मुआवजा‘, ‘ऐ दिल-ए-नादान‘, ‘नर्गिस‘, ‘कसक‘, कुल की ज्योती कन्या, हम तुमको ना भूल पायेंगे, सपने साजन के, अर्धांगिनी, ‘सुराग‘, ‘सबूत‘, ‘डिटेक्टिव करन‘, ‘राज द थ्रीलर‘, ‘वो कौन‘, ‘मुज़रिम कौन‘, ‘ख़ौफ़‘ आदि मुख्य रूप से शामिल है।
आगे उन्होंने बताया की धारावाहिकों के अलावा उनकी तीन हिन्दी फिल्मे फ्लोर पर हैं … लव की ऐसी की तैसी, इश्क सूफ़ियाना, वकीलों की दुकान … और कुछ फ़िल्मों पर वो काम भी कर रहे हैं, जो आने वाले समय में सामने आयेंगे ।