होमवर्क क्यों नहीं करते मायानगरी के पत्रकार ?
बीसीआर न्यूज़ (उपमा सिंह/मुंबई): मायानगरी के पिछले अंक में जब पब्लिसिस्ट्स की दखलंदाजी पर सवाल खड़े किए तो उंगली फिल्म पत्रकारों की ओर भी उठी। तर्क था कि कई फिल्म जर्नलिस्ट बड़े ही बेतुके और बेवकूफी भरे सवाल करते हैं। अब यह विवाद का विषय हो सकता है कि आप ये कैसे तय करेंगे? लेकिन चाहकर भी उनकी इस दलील को पूरी तरह दरकिनार नहीं किया जा सकता। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कुछ फिल्म पत्रकार बिना किसी जानकारी या तैयारी के चले आते हैं और फिर बेवकूफाना सवाल करके माखौल की वजह बनते हैं। हालिया उदाहरण रेणुका शहाणे का वो चर्चित पोस्ट है, जिसमें उन्होंने एक पत्रकार के साथ अपनी बातचीत शेयर की थी। पत्रकार महोदय कभी उन्हें ‘स्वाभिमान’ तो कभी ‘शांति’ की एक्ट्रेस बताए दे रहे थे। आखिर रेणुका को बोलना पड़ा- आप होमवर्क क्यों नहीं करते? भईया, दो मिनट की तो बात है। पूछने से पहले थोड़ा पढ़ लो। अब तो हर मोबाइल पर इंटरनेट है, एक बार गूगल कर लोगे तो क्या बिगड़ जाएगा! लेकिन नहीं, हम तो जी बड़के पत्रकार हैं। सवाल पूछना हमारा अधिकार है तो जो मन आए पूछेंगे और फिर अपने साथ पूरी बिरादरी की ऐसी-तैसी कराएंगे। अभी हाल ही का एक मजेदार किस्सा और सुनिए, एक्टर रितेश देशमुख अपनी एक हालिया फिल्म के लिए पत्रकारों से रूबरू थे। कुछ आधे घंटे की बातचीत के दौरान एक पत्रकार महोदय, जो पूरे टाइम चुपचाप केवल सुनते रहे, आखिरी सवाल की बात सुनते ही पूछे- सर, अगर आपको कोई मराठी फिल्म प्रड्यूस करने का मौका मिला तो आप करेंगे?
सब उनका मुंह ताकने लगे और रीतेश ने मजेदार अंदाज में कहा- वैरी गुड, भाई साहब आप कहां से हैं? मैं आपको बता दूं कि मैं ऑलरेडी तीन मराठी फिल्में प्रड्यूस कर चुका हूं। चौथी प्रड्यूस कर रहा हूं।
पत्रकार- सॉरी सर
रितेश- नहीं, सॉरी की बात नहीं है। मैं बता रहा हूं, क्योंकि आपने होमवर्क नहीं किया है।
बता दें कि रितेश की प्रड्यूस की दो मराठी फिल्में ‘बालक पालक’ और ‘लई भारी’ काफी हिट और पॉपुलर हैं। जबकि तीसरी मराठी फिल्म ‘यलो’ के लिए उन्हें नैशनल अवॉर्ड मिल चुका है। एक और वाकया सुनिए, मशहूर क्लासिकल सिंगर पद्मविभूषण गिरिजा देवी की परफॉर्मेंस थी। एक पत्रकार साहब ने पहला ही सवाल दागा- अपने बारे में बताइए। आपने अब तक क्या-क्या किया है? मन किया एक जोर का लगा दूं उन्हें, लेकिन अपना ही सिर पीटकर रह गई। अब ऐसे-ऐसे सवाल पूछेंगे तो टोके और हौंके ही जाएंगे।
प्रॉब्लम ये भी है कि फिल्म पत्रकारिता को गंभीरता से नहीं लिया जाता। जहां तक मेरा अनुभव रहा है, ज्यादातर बॉस भी इसे दोयम दर्जे का मानते हैं। उन्हें लगता है कि ये तो कोई भी कर सकता है। मेरे खुद के एक एडिटर साहब का कहना था कि मैं तो तुम्हें पॉलिटिकल रिर्पोटिंग में शिफ्ट करने की सोच रहा था, क्योंकि तुममें पोटैंशियल है। कब तक ये नाच-गाना करती रहोगी? ऐसा होता भी है एंटरटेनमेंट बीट वाले जर्नलिस्ट में अगर पोटैंशियल है तो उसे कोई बड़ी बीट दे दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि फिल्म एक्टर्स से सवाल-जवाब तो कोई भी कर लेगा। एक बार एक एडिटर ने इंटरव्यू के दौरान ये सवाल पूछा भी- एक्टर्स से सवाल-जवाब तो मैं एक ट्रेनी को भेज दूंगा तो वो भी कर लेगा तो आपको क्यों रखूं? लेकिन सर, ट्रेनी छोड़िए, पत्रकारिता के कई मशहूर और नामी पत्रकार फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यू के दौरान ऐसे सवाल करते हैं जिससे पता चल जाता है कि उन्हें इस फील्ड की कोई जानकारी नहीं है।
एक नामी टीवी पत्रकार नेता लोगों से दमदार तरीके से सवाल-जवाब करते हैं, लेकिन प्रियंका चोपड़ा या कंगना रनौत का इंटरव्यू करते वक्त पत्रकार कम डाय हार्ड फैन ज्यादा लगने लगते हैं। मसलन एकेडमी अवॉर्ड्स से पहले प्रियंका चोपड़ा का इंटरव्यू करते वक्त वो पूछते हैं?- आप पहली इंडियन हैं, जो ऑस्कर प्रेजेंट करेंगी, कैसा फील हो रहा है? और प्रियंका उन्हें सुधारती हैं- नहीं, पर्सिस खंबाटा पहली इंडियन थीं, जिन्होंने ऑस्कर प्रेजेंट किया था, हालांकि वो मेरे जन्म से पहले की बात थी। (बता दें पर्सिस से जुड़ी ये खबर तब तमाम अखबरों में भी आई थी।) वो दूसरा सवाल करते हैं- तो आप कब तक ऑस्कर जीत रही हैं? मतलब प्रियंका को खुद कहना पड़ता है- अभी एक साल हुए हैं। एक टीवी शो किया है। पहली फिल्म अभी कर ही रही हूं, अभी कहां से ऑस्कर मिल जाएगा! (माफ कीजिएगा सर, इतनी जल्दी तो प्रियंका चोपड़ा को फिल्मफेयर भी नहीं मिला था।) लेकिन जाने क्यों, चैनल वाले अक्सर फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यू के लिए अपने एंटरनेटमेंट रिपोर्टर के बजाय पोलिटिकल रिपोर्टर को बिठा देते हैं। इसलिए, एक्चुअली, ये सोच ही समस्या है कि फिल्म जर्नलिज्म तो कोई भी कर सकता है। करना क्या है, सवाल ही तो पूछने हैं! अगर आप इसे चलताऊ समझेंगे तो मायानगरी वाले भी आपको चलताऊ ही समझेंगे। अगर आप चाहते हैं कि आपको गंभीरता से लिया जाए, तो आपको भी इसे गंभीरता से लेना होगा।