November 14, 2024
the ‘Race for Survival India’ by action-2015

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रेस फाॅर सरवाइवल में बच्चों ने किया शिशुओं और माताओं की रोकी जा सकने वाली मौतों पर विराम लगाने का आह्वान
माताओं और बच्चों की सेहत पर काॅल टू एक्षन समिट, यूएनजीए में पेश करेंगे स्वास्थ्य संबंधी मांगें

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बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): प्रत्येक मां और शिशु के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की मांग करने के लिए आज राजधानी में आयोजित द रेस फाॅर सरवाइवल में हजारों बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस रेस का आयोजन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित की जाने वाली ग्लोबल काॅल फाॅर एक्षन मीटिंग से पहले किया गया। मंत्रालय द्वारा आयोजित इस बैठक में बच्चों और माताओं की मौतों को रोकने के लिए वैष्विक स्तर पर कई महत्वपूर्ण निर्णय किए जाएंगे। इसके अलावा सितंबर में संयुक्त राष्ट्र आम सभा में वैष्विक स्तर के नेता वैष्विक विकास का ढांचा तय करने और उसे अपनाने के लिए इकट्ठा होंगे जो आने वाले 15 सालों के लिए हमारी धरती और लोगों का भविष्य तय करेंगे।
रेस फाॅर सरवाइवल की शुरूआत इस साल के शुरू में वाशिंगटन डीसी स्थित व्हाइट हाउस में की गई और इसके बाद यह रेस पूरी दुनिया में जारी रही। आने वाले 15 सालों के लिए स्थायी विकास के लक्ष्य तय करने के लिए संयुक्त राष्ट्र आम सभा में दुनिया भर के नेताओं के एकत्रित होने से ठीक पहले यह यात्रा सितंबर में न्यू याॅर्क में पूरी होगी। भारत में रेस के बाद बच्चे ग्लोबल काॅल फाॅर एक्षन मीटिंग में नीति निर्माताओं को स्वास्थ्य संबंधी मांगें सौपेंगे। रेस में पूरी दिल्ली के 20 से अधिक स्कूलों और एनजीओ ने हिस्सा लिया जिसका आयोजन एक्षन/2015 के साझेदारों सेव द चिल्ड्रन, नाइन इज़ माइन और यूनिसेफ ने किया।
इस मौके पर सुश्री कैरोलिन डेन डल्क, प्रमुख, एडवोकेसी एंड कम्युनिकेशंस, यूनिसेफ इंडिया ने कहा, ’’बच्चों के वर्तमान और भविष्य को प्रभावित करने वाली प्रतिबद्धताओं के प्रति नीति निर्माताओं को जवाबदेह बनाने के लिए बच्चों से बेहतर पैरोकार और कोई

नहीं हो सकता है। यहां मौजूद कुछ बच्चे स्थायी विकास लक्ष्यों के बारे में अपनी सिफारिशें माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर आयोजित होने वाले ग्लोबल काॅल टू एक्षन समिट और इस सितंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र आम सभा तक ले जाएंगे। उनकी सिफारिशों में बच्चों का जीवन, भारत और दुनिया भर में बच्चों और माताओं को एक सेहतमंद जीवन की शुरुआत के लिए जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं, स्वच्छता और पोषण सुनिश्चित कराना शामिल है। हमारी साझा आवाज और प्रयासों के जरिये और सबसे महत्वपूर्ण रूप से हमारे युवा पैरोकारों के साथ भारत दुनिया के सामने सफलता की सर्वश्रेष्ठ कहानियां पेष कर सकता है।’’
रेस में बच्चों ने वर्श 2030 तक सभी प्रकार के नवजात, बच्चों और माताओं और मरे हुए पैदा होने वाले बच्चों के मामले खत्म करने की मांग की। खास मांगों में जीडीपी का 5 फीसदी राश्ट्रीय स्वास्थ्य बजट के लिए आवंटित करना, निःषुल्क स्वास्थ्य कवर मुहैया कराना और सभी के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना, प्रत्येक बच्चे का टीकाकरण, पहुंच के भीतर अच्छी तरह प्रशिक्षित और उपकरणों से लैस स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति करना, पोशणयुक्त भोजन सुनिष्चित करना और साफ पेयजल और उपयुक्त साफ सफाई की व्यवस्था करना शामिल है।

सुश्री बिदिशा पिल्लई, डायरेक्टर आॅफ एडवोकेसी, सेव द चिल्ड्रन, ने कहा, ’’बच्चों के लिहाज से दुनिया ने काफी तरक्की की है। एक पीढ़ी में गरीबी और बीमारियों की वजह से मरने वाले बच्चों की संख्या आधी रह गई है। लेकिन अभी भी हासिल करने के लिए काफी कुछ है। मौजूदा रूझानों को देखते हुए वर्श 2030 में 40 लाख से भी अधिक बच्चे ऐसे कारणों की वजह से मरेंगे जिन्हें रोका जा सकता है। अगर हम सफलता हासिल करना चाहते हैं तो हमें ऐसे बच्चों की ओर ध्यान देना होगा जो फिलहाल गरीब होने या लड़की होने, विकलांग होने की वजह से अन्य बच्चों से अलग हैं या फिर उनके पास जीवन जीने और सीखने के अवसर नहीं हैं।’’

द रेस फाॅर सरवाइवल एक सालाना रेस है जिसका आयोजन पूरी दुनिया में सार्वजनिक और राजनीतिक एजेंडे के तौर बच्चों के जीवन से जुड़े मसले सामने लाने के लिए किया जाता है। यह रेस प्रत्येक बच्चे के जीवन जीने के अधिकार को दर्षाती है भले ही उसका जन्म दुनिया के किसी भी कोने में हुआ हो। यह रेस यह सुनिष्चित करती है कि हर एक बच्चे को जीवन की सेहतमंद षुरूआत करने का मौका मिले। बड़े पैमाने पर लोगों को जागरूक बनाने वाली गतिविधियों की दिषा में यह रेस एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जिसका आयोजन जनवरी, 2015 से भारत में एक्षन/2015 द्वारा किया जा रहा है। वर्श 2015 को आधे अधूरे प्रयासों नहीं बल्कि सकारात्मक कदम उठाने का वर्श बनाने के लिए लाखों भारतीय इकट्ठा हुए।

अमिताभ बेहर, नेशनल एंकर, एक्षन/2015 ने कहा, ’’सिर्फ एक महीने के अंतर पर इस दिशा में दो सम्मेलनों के आयोजन के चलते वर्ष 2015 द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हमारी धरती के लिए सबसे महत्वपूर्ण वर्षों में शामिल हो सकता है लेकिन यह तभी संभव है जब हम इस अवसर का लाभ उठाएं। अगर हम गरीब, असमानता और जलवायु परिवर्तन के मसलों को सुलझा सके तो हम एक पीढ़ी में फैली अत्यंत गरीबी को खत्म कर सकेंगे। कोई भी वास्तविक विकास हासिल करने के लिए उस विकास को महिलाओं और बच्चों के नजरिये से देखना बहुत ही जरूरी है।’’

हर साल करीब 13 लाख बच्चे अपने पांचवें जन्मदिन से पहले ही गरीबी और बीमारियों की वजह से दम तोड़ देते हैं और हर 2 मिनट पर 3 नवजात बच्चे उसी दिन मर जाते हैं जिस दिन उनका जन्म होता है।
ब्रदर स्टीव, राष्ट्रीय संयोजक, नाइन इज़ माइन ने कहा, ’’दुनिया ने 5 साल से कम उम्र के करीब 60 लाख बच्चों को खोया है यानी हर दिन 17,219 बच्चे। इनमें से 20 फीसदी भारतीय थे। कल नई दिल्ली में 24 प्रमुख देषों के स्वास्थ्य मंत्री और प्रतिनिधि दो दिवसीय काॅल टू एक्षन समिट 2015 में हिस्सा लेने आ रहे हैं। वैसे भी हर वर्ष 5 वर्ष से कम उम्र में मरने वाले बच्चों की संख्या के लिहाज से नई दिल्ली दुनिया की राजधानी है।’’

इस बात पर गौर करना जरूरी है कि बच्चों ने खुद इस समिट की पूर्वसंध्या पर ’’रेस फाॅर सरवाइवल’’ का आयोजन किया और एक साथ एक आवाज में यह मांग उठाई कि कोई भी माता, कोई भी बच्चा पीछे नहीं छूटना चाहिए। इन बच्चों ने उन लाखों बच्चों के बदले रेस में हिस्सा लिया जिनका मानवीय जीवन बचपन की मामूली बीमारियों की वजह से षुरू होने के कुछ पलों के भीतर ही समाप्त हो जाता है।

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