जो अफसर नहीं करेगा काम, किया जायेगा बर्खास्त और पेंशन बंद
बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): मोदी सरकार के सत्ता में आये 20 महीने पूरे हो चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता की बागडोर सँभालते ही सभी अफसरों के हाथ खुले कर दिए थे और उनके कामकाज में मंत्रियों का दखल बंद हो करवा दिया था। मोदी ने सभी सचिव स्तर के अफसरों को कहा था कि आप लोग देश हित में फैसले लीजिये हम आपको पूरा सहयोग करेंगे। इसके बावजूद भी कुछ अफसरों ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया है।
अब खबर आ रही है कि प्रधानमंत्री मोदी ऐसे अफसरों से नाराज हैं जिन्होंने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया और हाथ खुला छोड़ने के बाद भी उनका आउटपुट जीरो रहा।
ख़बरों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने हर महीने होने वाली PRAGATI (प्रगति) मीटिंग के दौरान सचिवों को आदेश दिया है कि ऐसे अफसरों पर कार्यवाही करें जो उनकी बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। मोदी ने कहा कि अगर जरूरत पड़े तो उन्हें बर्खास्त करें और उनकी पेंशन बंद करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने जनता से अधिक जुड़े विभागों के सचिवों को निर्देश दिया है कि जनता की शिकायतों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए शीर्ष स्तर की निगरानी की जाय और जनता की समस्याओं को जल्द से जल्द निपटाने के लिए व्यापक प्रणाली बनायीं जाए।
सीमा शुल्क और उत्पाद क्षेत्र से जुड़ी लम्बी शिकायतों को देखने के बाद मोदी ने सम्बंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही का निर्देश दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर रोड, रेलवे, कोल, पॉवर एंड अक्षय उर्जा से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का जायदा लिया और उन्हें सही समय पर पूरा करने का निर्देश दिया। ये सभी प्रोजेक्ट्स कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में शुरू किये गए हैं।
इन प्रोजेक्ट्स के अलावा मोदी ने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स जैसे मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक, दिल्ली – मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) और इलाहबाद से हल्दिया, जल मार्ग विकास प्रोजेक्ट्स, उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (UDAY) का भी जायजा लिया। इसके अलावा बुढ़ापा पेंशन स्कीम का भी जायजा लिया और वृद्धों को सही समय पर पेंशन दिए जाने का निर्देश दिया।
मोदी ने प्रगति मीटिंग के दिन ही कैबिनेट की मीटिंग भी बुलाई और मंत्रालय से जुडी योजनाओं का जायजा लिया। मोदी सरकार के 20 महीने पूरे हो गए हैं उनका मानना है कि उन्हें पांच साल बाद जनता को अपने कामों का हिसाब देना होगा इसलिए वे सभी योजनाओं को समय पर पूरी होते देखना चाहते हैं।