अनपढ़ों का पत्रकारिता की ओर रुख समाज के लिए खतरा
बीसीआर न्यूज़/कांधला, मुज़फ्फरनगर: कांधला में एक अशिक्षित पत्रकार बताने वाले बह रुपिया फर्जी व्यक्ति को क्लब के उच्च पदाधिकारियों द्वारा तुरंत क्लब से निकाल दिया गया। कांधला मीडिया क्लब अनपढ़ पत्रकारों को संगठन में शामिल नही करते हैं आपको बता दें पूर्व में सादिक सिद्दीकी नाम के एक व्यक्ति द्वारा कांधला मीडिया क्लब में सदस्यता लेने के लिए आवेदन किया गया था जिसमें फर्जी और झूठ बोल कर अपने आप को शिक्षित व एक दैनिक पेपर से पत्रकार बताया गया था।
लेकिन जब क्लब द्वारा जांच चली तो जांच में वह बिल्कुल अनपढ़ पाया गया। साथ ही किसी दैनिक पेपर से वह संवाददाता नहीं मिला जब हमने मुजफ्फरनगर से प्रकाशित जिस पेपर का यह व्यक्ति नाम बता रहा था उनके संपादक से बात की तो उनका कहना है कि उसको महीनों पहले पेपर से हटा दिया गया था। इसीलिए क्लब ने सादिक सिद्दीकी जो कि एक अनपढ़ ओर फर्जी पत्रकार पाया गया। इस फर्जी व्यक्ति को क्लब ने निकाल दिया है। आपको बता दें कांधला मीडिया क्लब अनपढ़ पत्रकार को संगठन में शामिल नही करते हैं इसीलिए क्लब द्वारा इस फर्जी बहरूपिया को तत्काल निकाल दिया गया है।
मीडिया क्लब अनपढ़ पत्रकार को संगठन में शामिल नही करते हैं इसीलिए क्लब द्वारा इस फर्जी बहरूपिया को तत्काल निकाल दिया गया है।
आपको बता दे कि यह बहरूपिया फर्जी व्यक्ति पान पत्ते की दुकान करता है बस स्टैंड पर आए दिन उसके साथ झगड़े भी होते रहते हैं। गरीब ठेली वाले केले बेचने वाले पर पत्रकारिता का रोब ग़ालिब करता है। इसलिए इस फर्जी बहरूपिया अनपढ़ पत्रकार जिसका नाम सादिक सिद्दीकी है। उसको क्लब से तत्काल निकाल दिया गया है आप जो भी यह खबर इस वक्त पढ़ रहे हैं तो वह भी इस बहरूपिया से सावधान हो जाएं कहीं यह आप पर भी तो रॉब गालिब नहीं कर रहा है। कहीं यह आपके सामने अपने आपको पत्रकार तो नहीं बता रहा है। जरा एक बार इसको अपने पास बिठाकर एक खबर इसके खुद हाथों से लिखवा कर तो देखें। आपको भी पता चल जाएगा यह कितना पढ़ा लिखा है। और इससे शिक्षित किए कागज तो मांग ले अगर इसके पास कागज होंगे तो यह देगा ही क्योंकि यह तो एक अनपढ़ है और लोगों पर रौब गालिब करने के लिए इसने पत्रकारिता का सहारा लिया है।
ग्लैमर की चाह और पुलिस-प्रशासन के बीच भौकाल गांठने के लिए जहां पहले दलाल किसी राजनीतिक हस्ती या पार्टी का दामन थाम लेते थे, वहीं वर्तमान में ये ट्रेंड बदल गया है। तमाम दलाल प्रवृत्ति के लोग अब पत्रकारिता और वकालत की तरफ रुख कर रहे हैं। परन्तु वकालत की डिग्री में लगने वाले समय और जरूरी पढ़ाई की वजह से पत्रकारिता वर्तमान में दलालो का सबसे पसंदीदा क्षेत्र बनता जा रहा है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ वेब, पोर्टल और सोशल मीडिया जैसे दूसरे साधन आ जाने के बाद कोई भी शख्स कभी भी खुद को छायाकार या पत्रकार खुद ही घोषित कर दे रहा है। दुखद पहलू ये है कि जिस पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, उसमें कभी बुद्धिजीवी और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए लोग आते थे, जबकि आज अंधाधुंध अखबारों, पत्रिकाओं, वेब पोर्टल्स के आ जाने के बाद बड़ी संख्या में दलाल कोई तो पान पत्ता बेचता है। कोई बीड़ी सिगरेट बेचता है तो कोई मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाता है। तो कोई मंदबुद्धि से रेप करता है लेकिन ये सब नकाबपोश करने के लिए अब यह सभी अनपढ़ लोग पत्रकार बनकर पत्रकारिता को बदनाम कर रहे हैं। जिसमें खुलेआम ‘प्रेस’ लिखने का सुनहरा मौका मिल गया है। इसके सहारे वो न सिर्फ़ अपने पुराने अपराधों को छुपाए हुए हैं, बल्कि नये अपराधों को भी जन्म देकर, पुलिस और प्रशासन पर अपनी पकड़ भी मजबूत कर रहे हैं। वे तमाम तरह के गैरकानूनी कार्य पत्रकारिता की आड़ में संचालित करने में लगे हैं।
एक व्यावहारिक गणना और साक्ष्यों के मुताबिक़ कक्षा 5वीं या 8वीं और कई मामलों में तो अशिक्षित भी, खुद को मीडियाकर्मी बताते घूम रहे हैं। इनकी संख्या भी सैकड़ों में मिल जायेगी। अब बड़ा सवाल ये है कि वास्तविक पत्रकारों की मर्यादा और पत्रकारिता जैसी महत्वपूर्ण विधा को अपराध और अपराधियों व दलालो के चंगुल से कैसे बचाया जाए? और आखिर बचायेगा तो कौन?