November 14, 2024
Arpita

बीसीआई न्यूज़ (नई दिल्ली): दस साल की उम्र में जिम्मेदारिया और काम का जिसको अहसास हो। 12 साल की उम्र में पिता को खो देने के बाद बिजनेस और परिवार की जिम्मेदारियो को समझने के साथ साथ समाज सेवा की भावना भी जिसके अंदर रही ।ऐसी सख्सियत अगर आगे चलकर अगर देश और समाज के लिए एक आदर्श स्थापित कर सके !तो ये कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी।
ऐसी ही एक सख्सियत है मुस्कान के के मेमोरियल ट्रस्ट की फाउंडर महिला “अर्पिता बंसल ” जी जिन्होंने न सिर्फ एक महिला की जिम्मेदारियो के साथ साथ वैवसायिक जिम्मेदारियो का निर्वाह भी उसी खूबी के साथ किया। और आज एक बहुत बडी मुहीम के साथ झारखण्ड के रूरल और पिछड़े इलाके में जाकर कार्य कर रही है ।
पिछले 25 सालो से वो समाज सेवा में जी जान से जुटी हुई है। महिलाओ के अधिकारो उनके उत्थान और उनकी शिक्षा के लिए वो एक लड़ाई मुस्कान के के मेमोरियल ट्रस्ट के तहत कर रही है।

ह्यूमन ट्रफिकिंग को लेकर इसी मुहीम में वो आजकल झारखण्ड के एक गाव खूंटी और लाल गुंटर के शर्वे पर निकली और वहां के हालात देखते हुए । उन्होंने उस गाव को गोद लेते हर वहाँ के हालातो के सुधर के लिए काम करना शुरू किया।इसी मुहीम में वह 4 सितम्बर को मडिकल कैंप लगाया जा रहा है।ताकि उन लोगो को आधारभूत सुविधाये तो मिले।उस गाव में कोई शौचालय नही है
अर्पिता जी का कहना है की जल्द ही वो वह पर शौचालय बनवायेंगी। और इस बात पर ध्यान देंगी की छोटी बचियो और बच्चों की तस्करी ना हो। उन्होंने सभी लोगो से मीडिया से भी सहयोग की उम्मीद करते हुए कहा है की अगर हैम अपने घरो में छोटे बच्चे और लड़कियो को काम पर न रखे तो हम भी इस मुहिम में उनका साथ दे सकते है ।

कियुकि इस दुनिया में अपने लिए तो हर कोई जी ही रहा है। पर बहुत कम लोग है जो अपना घर बार छोड़ कर इतनी दूर दराज के गावो में जाकर कार्य करते है । अर्पिता जी का कहना है की हमारे देश में बहुत कुछ तो ऐसा ही है जो आम लोगो तक कभी पहुच ही नही सकता।
पत्रकारो के सवाल के जवाब देते हुए उन्होंने कहा की निचे से लेकर ऊपर तक भ्रस्टाचार की जड़े बहुत गहरे है। लेकिन कुछ सही नही होगा ये सोच कर हम हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकते। किसी न किसी को कही न कही से तो शुरुआत करनी ही पड़ेगी। उन्होंने कहा की मैं अकेली चल रही हु मुस्कान के साथ मुस्कान बाटने की इस डगर पर कोई साथ आएगा ।तो ही सही नही आएगा तो जो भी कर सकूँगी जरूर करती रहूंगी।

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