बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): 17 भारतीय जवानों की शहादत के बाद देशवासियों में जबरजस्त गुस्सा है, इस हमके की जिम्मेदारी पाकिस्तान आतंकी संगठन जैश-ऐ-मोहम्मद के लेने के बाद लोगों का खून और खौल उठा है, सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोग मोदी सरकार से मांग कर रहे हैं कि भले ही देश का विकास रुक जाए, भले ही हमारा पैसा खर्च हो जाए, भले ही देश को कुछ परेशानियां झेलनी पड़ें लेकिन एक बार पाकिस्तान को ठोंक दो, सेना को छोडो और एक एक पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों को गोलियों से भून दो, जो होगा देखा जाएगा।
पाकिस्तना को सजा देने के लिए बड़े बड़े पत्रकार भी मांग कर रहे हैं, जी न्यूज के बड़े पत्रकार सुधीर चौधरी तो इतने क्रोधित हैं कि उन्होंने आतंकियों के मृत शरीर को कचरे के साथ जलाने की मांग की है, उन्होंने कहा है कि आखिर कब तक ऐसा होता रहेगा और हमारे सैनिक शहीद होते रहेंगे।
मशहूर मुक्केबाज खिलाडी विजेंदर सिंह ने क्रोधित होते हुए कहा कि कब तक हमारे जवान शहीद होते रहगें, अगर पाकिस्तान युद्ध चाहता है तो एक बार युद्ध हो जाने दो, सेना को आतंकियो को नष्ट करने की खुली छूट दो।
पूर्व सैनिकों, और रक्षा विशेषज्ञों ने रविवार को एक स्वर से पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। इन लोगों ने उड़ी के सैन्य शिविर पर हमले जैसे आतंकी हमलों के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया। जम्मू एवं कश्मीर में उड़ी के सैन्य श्ििवर पर आतंकी हमले में सेना के 17 जवान शहीद हुए हैं।
अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल राज कादियान ने कहा, “यह साफ-साफ भारत पर पाकिस्तान का हमला है। केवल अकर्मण्य बने रहने का खतरा हम और अधिक दिनों तक नहीं उठा सकते हैं। भारतीय जवाबी कार्रवाई कड़ी होनी चाहिए..प्रतिकार जल्द और कड़ा होना चाहिए।”
जम्मू एवं कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर गहरी पकड़ रखने वाले अवकाश प्राप्त मेजर गौरव आर्या ने कहा, “जब तक हम यह नहीं समझेंगे कि जम्मू एवं कश्मीर की समस्या सिर्फ वहां की एक समस्या भर नहीं है, बल्कि रावलपिंडी स्थिति सैन्य मुख्यालय द्वारा कृत्रिम रूप से निर्मित है, तब तक हम जवाब देने में सक्षम नहीं होंगे।”
कादियान ने कहा कि समस्या का हल सीमा के उस पार है, न कि यहां।
उन्होंने चेतावनी भी दी कि भारत की सरजमीं पर इस तरह के हमले बढ़ सकते हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना के जनरल राहील शरीफ के बीच पाकिस्तान में सत्ता संघर्ष चल रहा है। राहील नवम्बर महीने में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
पूर्व राजनयिक राजीव डोगरा ने कहा कि उड़ी के सैन्य शिविर पर जिस तरह का हमला हुआ है, वह जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा अकेले दम पर नहीं कर सकते। उन्होंने इस हमले में पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता की ओर इशारा किया।
डोगरा ने कहा, “सन 1971 को छोड़कर साल 1947 से अब तक हम पाकिस्तानी शैतानी का जवाब देने का तरीका नहीं खोज पाए हैं।”
उन्होंने पश्चिमी पड़ोसी के साथ व्यापार को रोकने समेत सभी तरह के द्विपक्षीय संबधों को निम्नतर करने की भी वकालत की।
डोगरा ने कहा, “कौन जानता है कि सीमा पार से आने वाले ट्रकों में क्या आ रहा है? ट्रकों में आतंकवादी भी छिपे हो सकते हैं।”