November 15, 2024
Reliance PP

बीसीआर न्यूज़ (अजय शास्त्री/नई दिल्ली): 16 जून 2017 से सरकार ने निर्णय लिया कि तेल कीमतें रोजाना बढ़ेंगी और घटेंगी, ये सरकार का एक और मास्टर स्ट्रोक था जनता की स्मृति को भ्रमित कर उसकी जेब से और पैसा ऐंठने का, ये पिछले तीन महीने में जनता के साथ तेल कंपनी और सरकार द्वारा मिलकर किया गया घोटाला है जिसमें 19340 करोड़ का चूना जनता की जेब को लगाया गया है। आपके सामने तथ्यात्मक विश्लेषण प्रस्तुत है।

2 जुलाई 2017 को भारतीय बाज़ार में प्रति बैरल क्रूड (डॉलर कीमत संतुलन के पश्चात) का भाव 3101 रु था, और खुदरा बेचान मूल्य पेट्रोल का 65.76 रु ( औसत मूल्य बीपीसीएल और आईओसी) और डीजल का 57.16 रु प्रति लीटर था।

1 सिंतबर 2017 को भारतीय बाज़ार में प्रति बैरल क्रूड का भाव 3006 रु था, और पेट्रोल का खुदरा बेचान मूल्य 71.93 रु और डीजल का बेचान मूल्य 61.08 रु था। यहां अगर तथ्य को विश्लेषित किया जाए तो स्पष्ट है कि इन तीन महीनों में भारतीय बाज़ार में क्रूड के दाम में 95 रु की कमीं आयी है वहीं पेट्रोल और डीजल के दाम में क्रमश: 6 रु 17 पैसे और 3 रु 92 पैसे की वृद्धि की गई है।

अगर 2015 के पेट्रोल डीजल उपभोग की मात्रा को आधार बनाया जाए,तो भारतीय जनता 66 करोड़ 12 लाख लीटर तेल प्रति दिन इस्तेमाल करती है, अगर इन तीन माह की पेट्रोल डीजल की औसत वृद्धि निकाली जाए तो ये 3 रु 25 पैसे आंकलित होती है मतलब ये की 214 करोड़ रु प्रति दिन का घोटाला वर्तमान केंद्र सरकार ने तेल कंपनी के साथ मिलकर किया है इन 90 दिन में सरकार ने जो लूट और घोटाला किया है वह अपने आप में अभूतपूर्व है।
वर्तमान मोदी सरकार पहले ही पेट्रोल और डीजल पर एक्सआइज़ ड्यूटी और कस्टम ड्यूटी में 2015 और 2016 में 9 बार तक वृद्धि करके, अमानवीय रूप से 1 लाख 20 हज़ार करोड़ रु अतिरिक्त वसूल चुकी है बावजूद इसके जनता की गाढ़ी कमाई लूटने में सरकार ने कोई परहेज नहीं किया।

वास्तव में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारतीय बाजार में वृद्धि और अंतराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में कमीं ने वर्तमान मोदी सरकार, अपनी कुत्सित आर्थिक नीतियों के लिए ऐशगाह दी है जिस पर सवार होकर मोदी जी और जेटली जी नोटबन्दी जैसे कौतुक कर रहे हैं इस पर दुनियाभर के अर्थशास्त्री सन्न हैं और मोदी जेटली प्रसन्न हैं। नोटबन्दी से देश की अर्थव्यवस्था को तात्कालिक नुकसान 1 लाख 50 हज़ार करोड़ रु का हुआ है और अपने पिछले 38 महीने के कार्यकाल में इतना ही पैसा मोदी सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों में वृद्धि द्वारा जनता से घोटाला करके हड़पा है

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