बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): वित्त मंत्रालय को लग रहा है कि नोटंबीद के बाद जनधन खातों के जरिए कुछ लोग अपने काले धन को सफेद करने की कोशिश कर रहे हैं. नोटबंदी के बाद से अबतक जनधन खातों में 21 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए जमा हुए हैं. वित्त मंत्रालय की नजर ऐसे संदिग्ध खातों पर हैं और इनपर कभी भी कार्रवाई की जा सकती है.
बता दें कि जनधन खातों की शुरूआत के बाद 460 दिन में 45 हजार करोड़ जमा हुए थे, लेकिन नोटबंदी के बाद 12 दिन में ही 21 हजार करोड़ रुपए जमा हो गए.
ये जीरो एकाउंट बैलेंस वाले जनधन खातों में अचानक इतने पैसे क्यों जमा होने लगे? पीएम मोदी ने आगरा की रैली में कहा था, ‘जो बदमाशी करने वाले हैं, बहुत चतुर हैं. जनधन में ढाई लाख डलवाने की बात करते हैं. इन पापियों के चक्कर में नहीं पड़ना. ये पकड़ने के बाद झूठ बोलेंगे और गरीब पकडे़ जाएंगे. किसी का पांच सौ हजार रूपया मत लीजिए. गरीबों, मध्यम वर्ग, आदिवासी, किसानों के भला के लिए ये योजना है.’
जनधन खातों के जरिए काले धन को सफेद करने की पीएम ने जो आशंका जताई थी, वो अब सच होती दिख रही है.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक
नोटबंदी के बाद से लेकर अब तक जन धन खातों में करीब 21 हजार करोड़ रुपये जमा हुए हैं.सबसे ज्यादा पैसा पश्चिम बंगाल में जमा हुआ है जबकि दूसरे स्थान पर कर्नाटक है.सूत्रों के मुताबिक इनमें से कई खातों के जरिए ब्लैक मनी को व्हाईट मनी में तब्दील किये जाने का खेल चल रहा है. यूपी के शामली में इस तरह के गोरखधंधे की पुष्टि हुई थी. वहां पर कालाधन रखनेवाले गरीबों को कमीशन के तौर पर कुछ रुपये देकर उनके जनधन खाते में अपने 49 हजार रूपये जमा कराकर सफेद कर रहे थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब दो साल पहले 29 अगस्त को हर घर में कम से कम एक बैंक खाते के लिए जन-धन योजना की शुरुआत की थी तो मकसद बेहद सामान्य बैंक खाते के जरिए हर किसी को वित्तीय व्यवस्था के दायरे में लाने का था. उस समय किसी को अंदाजा भी नहीं था कि आगे चलकर ये काले धन को सफेद बनाने का एक बड़ा जरिया बनेगा.
जनधन खातों के जरिए इस तरह के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सरकार ने सजा का प्रावधान किया है लेकिन सवाल उठता है कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक में फैले 25 करोड़ 45 लाख जनधन खातों की जांच सरकार करेगी कैसी ?
अब आयकर विभाग के लिए करोड़ों खाते की पड़ताल कर जिम्मेवार लोगों तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती है. वैसे भी आयकर विभाग में जरुरत के मुकाबले कम कार्यबल है. दूसरी ओर उन्हे ऐसे तमाम लोगों औऱ कारोबारियों की पड़ताल करनी है जिनके सामान्य बैंक खाते में अचानक खासी रकम जमा हो गई.