बीसीआर न्यूज़ (अजय शास्त्री/नई दिल्ली): पिछले कई महीनों से फिल्म इंडस्ट्री पर अलग-अलग विवादों का साया मंडरा रहा। #MeToo मुहीम का विवाद थोड़ा ठंडा हुआ तो बुलंदशहर में गोहत्या की अफवाह पर भड़की हिंसा को लेकर नसीरुद्दीन शाह ने एक टिपण्णी की थी। उन्होंने कहा था कि देश का माहौल बदल रहा है, ऐसे माहौल में अपने बच्चों को लेकर डर लगता है। नसीरुद्दीन के इस बयान के बाद सोशल मीडिया में उन्हें लोगों ने ट्रोल करते हुए देशद्रोही तक कह दिया। इस मामले में बॉलिवुड के बहुत कम लोग खुलकर सामने आए।
झा कहते हैं, ‘हमें एक-दूसरे के विचारों को सुनना होगा, अब भले हम उनकी बातों से सहमत हो या न हों, लेकिन एक-दूसरे को नीचे गिराने और प्रताड़ित करने की बात नहीं होनी चाहिए। हमारे समाज में शुरू से लेकर अब तक कई तरह के भेद-भाव, धर्म, विचार, सोच, संस्कार और संस्थाएं हैं। सभी चीजों का एक प्रावधान रहा है। आज भी हमारे समझ में हर चीज के प्रावधान बनें हैं।’
झा अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोले, ‘अब ऐसा तो है नहीं कि नसीर ने कुछ कहा है तो उनके खिलाफ कोई बहुत बड़ा बवाल हो रहा है। अब उनकी बात सुनकर जिनको जो सोचना है वह सोचे, जिनको जो कहना है, वह कहें। नसीर ने जो भी कहा है, वह उनके विचार हैं, उन्हें उन बातों में कोई सच्चाई नजर आई होगी तो उन्होंने कहा है। जो लोग इस बात के विपरीत बात करते हैं, उनकी अपनी सोच है। अब देश में किस तरह का माहौल है और इस माहौल में कौन किस तरह से महसूस करता है, यह समय-समय पर बदलता रहता है।’
झा अपनी फिल्मों के दौरान हुए विवादों का उदाहरण देते हुए कहते हैं, ‘जब मैंने फिल्म राजनीति, गंगाजल और आरक्षण बनाई थी, तब उस समय भी मुझे भी विरोध का सामना करना पड़ा था। मेरे कहने का मतलब है की आज देश का जो माहौल है, वह नया नहीं है। हमेशा ऐसा माहौल रहा है। हमारे देश में शुरू से समाज ज्यादा मजबूत रहा है। समाज की ज्यादा सुनी जाती है। हमारे अंदर हर चीज को सोचने, सुनने और समझने की शक्ति होनी चाहिए, जो कि भारतीय समाज में हमेशा से रही है और आगे भी रहेगी, इसे कोई बदल नहीं सकता है।’