निशा सिंह
बीसीआर न्यूज़/नई दिल्ली: मोरबी पुल हादसे के बाद जिला व पालिका प्रशासन अपना-अपना पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं। पुल हादसे में तकरीबन 135 लोगों की मौत हो चुकी हैं। कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं। जबकि कुछ लापता हैं। इसी बीच एक दिल दहलाने वाला वीडियो सामने आया। लोग किस तरह रस्सियों पर लटक कर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे और लगातार चिल्ला रहे थे। हादसे के बाद हर गली मोहल्ले में मातम पसरा हुआ है। श्मशान से लेकर क़ब्रिस्तान तक में जगह की कमी पड़ गई है। कफ़न से लेकर दफन तक का यह झकझोर देने वाला दृश्य पूरी रात चलता रहा।
दिल दहला देने वाली इस घटना को महज एक हादसा कह कर दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए। बल्कि, यह मामला सीधे तौर पर हत्या का बनता है। आंसुओं के इस सैलाब को इंसाफ तभी मिलेगा जब असली गुनहगारों को सख्त से सख्त सज़ा मिलेगी। कार्रवाई के नाम पर सिक्योरिटी गार्ड, टिकट क्लर्क, मैनेजर और ठेकेदारों को गिरफ्तार कर लिया गया।
आखिरकार इन लोगों पर कार्रवाई करके क्या सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है? क्यों उन बड़ी मछलियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है जो इस हादसे के लिए असली जिम्मेदार हैं।
यह पुल पिछले सात महीने से बंद था। करोड़ों रुपए इस पुल के मरम्मत कार्य पर लगाया गया और 26 अक्टूबर को बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के इस पुल को खोल दिया गया। चार दिन बाद ही यह पुल टूट गया। जिस समय पुल टूटा उस वक्त पुल पर भारी संख्या में लोग मौजूद थे। जब बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के इस पुल को खोला गया, उस वक्त प्रशासन कहां था? हादसे के असली जिम्मेदार ओरेवा कंपनी के मालिक पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं हुआ? उन्होंने बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के पुल को कैसे खोला? मोरबी नगर पालिका पल्ला झाड़ रहा है कि उससे फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं लिया गया। गौरतलब है कि नगरपालिका की नाक के नीचे ये पुल चार दिन तक खुला रहा और अधिकारी सोते रहे। चार दिनों तक टिकटों की बिक्री में भी लूटपाट हो रही थी। तयशुल्क से ज्यादा लोगों से वसूला जा रहा था। क्या मोरबी के कलेक्टर को कटघरे में खड़ा नहीं किया जाना चाहिए? आखिर जिले के मुखिया का ध्यान अनियमितताओं की तरफ क्यों नहीं गया? इस लापरवाही के लिए क्या कलेक्टर जिम्मेदार नहीं हैं? दरअसल यह घटना ईश्वरीय कृत्य नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का नतीजा है।
मोरबी की शान कहलाया जाने वाला केबल ब्रिज (झूलता हुआ पुल) 143 साल पुराना था, जो 30 अक्टूबर को हादसे का शिकार हुआ। आजादी से पहले ब्रिटिश शासन में मोरबी ब्रिज का निर्माण किया गया था। मच्छु नदी पर बना यह ब्रिज ऐतिहासिक होने के साथ ही मोरबी का प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट भी था.
नोट:
निशा सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और विभिन्न ज्वलंत विषयों पर अपनी राय बेबाकी से रखती हैं।