रामबृक्ष यादव है मथुरा कांड के मास्टरमाइंड, जानिए क्या थे इनके इरादे ?
बीसीआर न्यूज़ (मथुरा/उत्तर प्रदेश): आज पूरा मथुरा जल रहा है। हर कोई सकते में है। बच्चों की क्या बात करें बड़े भी घर से बाहर निकलने से डर रहे हैं। पूरा मथुरा छावनी में तब्दील हो चुका है। हर कोई यही सोच रहा है कि आखिर अचानक इतना बड़ा संग्राम या यूं कहें कि दंगा कैसे हो गया। कैसे पुलिस और प्रदर्शनकारी आमने सामने आ गए। क्या प्रदर्शनकारी पहले से पूरी प्लानिंग कर चुके थे। कौन है जो इन प्रदर्शनकारियों को ऐसे काम के लिए ट्रेंड कर रहा था। कौन है जो इनको अवैध हथियारों की सप्लाई करता था। आखिर कौन है इस पूरे संग्राम के पीछे का मास्टर माइंड। हम बताएंगे आपको उस शख्स के बारे में हर वो बात जो आप जानना चाहते हैं, आपको उस शख्स के बारे में आपको जानना जरुरी भी है क्योंकि वो सरकार के समानंतर अपनी सरकार चाहता है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक मथुरा के इस खूनी खेल का मास्टर माइंड रामबृक्ष यादव है। वही 2 साल से लोगों का ब्रेन वॉश कर रहा था। उसी ने उपद्रवियों को ऐसा खूनी खेल खेलने के लिए उकसाया था। पुलिस के मुताबिक इस गोलीबारी में उसे भी गोली लगी है। वह भी गंभीर रूप से घायल है।
कौन है रामवृक्ष यादव ?
18 मई 2012 को जय गुरुदेव के निधन के बाद 12 हजार करोड़ की संपत्ति के लिए विवाद शुरु हो गया। बाबा की संपत्ति के लिए तीन गुटों में टकराव भी हुआ। तीन गुटों में पंकज यादव, उमाकांत तिवारी और रामवृक्ष यादव थे। पंकज और उमाकांत संपत्ति के प्रबल दावेदार थे। लिहाजा, रामवृक्ष को किनारे कर दिया गया। इस विवाद में पंकज यादव उत्तराधिकारी बन गया।
संपत्ति से बेदखल होने के बाद एक समूह के कार्यकर्ताओं ने ‘आजाद भारत विधिक विचारक क्रांति सत्याग्रही’ नाम से एक संगठन का निर्माण किया जिसका नेतृत्व रामवृक्ष यादव ने किया।
कब शुरु हुआ ?
1 जनवरी 2014 को रामवृक्ष ने पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से संगठित करीब एक हजार लोगों के साथ मध्यप्रदेश के सागर से चलकर दिल्ली के लिए कूच किया। वो जंतर मंतर पर धरना देना चाहता था लेकिन रास्ते में थकान की वजह से उसने 270 एकड़ एरिया में फैले जवाहरबाग में डेरा डाला लेकिन ये डेरा धीरे-धीरे कब्जे में तब्दील हो गया।
अपनी करेंसी चाहता है रामवृक्ष यादव
इन तथाकथित सत्याग्रहियों ने सरकार के समानांतर सरकार चलाने की साजिश रच रखी थी। रामवृक्ष यादव देश में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द करवाना चाहता था। वो चाहता था कि देश में वर्तमान करेन्सी की जगह ‘आजाद हिंद फौज’ करेन्सी शुरू की जाये। वो चाहता था देश में सोने के सिक्क चले। वो चाहता था देश में एक रूपये में 60 लीटर डीजल और एक रूपये में 40 लीटर पेट्रोल बेची जाए। वो चाहता था कि देश में मांसाहार पर पाबंदी लगाई जाए। वो चाहता था कि मांसाहार खाने वालों को मृत्युदंड दिया जाए। वो चाहता था देश में तिरंगा नहीं उसका झंड़ा फहरे। उसकी इन मांगों को देखे तो ऐसा लगता है रामवृक्ष देश में रहकर देश की जनता द्वारा चुनी गई सरकार को चुनौती देना चाहता था। देश में सरकार के समानांतर अपनी सरकार बनाना चाहता था। वो देश में लोकतंत्र को खत्म कर राजतंत्र की स्थापना करना चाहता था।
रामवृक्ष के खिलाफ क्यों चुप थी पुलिस ?
जवाहरबाग में शुरुआती कब्जे के दिन से ही रामवृक्ष ने आसपास के लोगों को परेशान करना शुरु कर दिया था। उसके लोग स्थानीय लोगों से मारपीट करते। उन्होंने बाग नें लगे पेड़ों की कटाई शुरु कर दी। जिसका आसपास के लोगों ने विरोध किया तो फिर बवाल हुआ। मामला पुलिस के पास पहुंचा लेकिन लचर कानून व्यवस्था की अनदेखी की वजह से रामवृक्ष और उसके समर्थकों का दुस्साहत बढ़ता चला गया। बेशक पुलिस ने रामवृक्ष के खिलाफ तकरीबन 10 मुकदमे दर्ज किए लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं हुई।