November 15, 2024
Naresh Tikait

बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरजातीय व आपसी सहमति से विवाह पर कड़ा रुख अख्तियार करने से खाप नेता नाराज हैं। उन्‍होंने दबी हुई जुबान में धमकी दी है कि सुप्रीम कोर्ट उनके सदियों पुराने रीति-रिवाजों में दखल न दे। टाइम्‍स ऑफ इंडिया से बातचीत में बलयान खाप नेता नरेश टिकैत ने कहा, ”हम सुप्रीम कोर्ट का सम्‍मान करते हैं मगर हमारी सदियों पुरानी परंपराओं में शीर्ष अदालत का दखल बर्दाश्‍त नहीं कर सकते। अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसे फैसले किए जाते रहे तो हम लड़कियां पैदा करना ही बंद कर देंगे या फिर उन्‍हें इतना पढ़ने-लिखने नहीं देंगे कि वे अपने फैसले कर सकें। जरा सोचिए, क्‍या होगा अगर समाज में लड़कियां कम और कम होती जाएंगी?” सोमवार (5 फरवरी) को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने खाप पंचायतों पर बैन की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्‍पणी की थी। याचिका में समान गोत्र, अंतरताजीय या दूसरे धर्म में विवाह करने पर ऑनर किलिंग को देखते हुए खाप पर बैन की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, ”किसी को, व्‍यक्तिगत या सामूहिक रूप से दो वयस्‍कों को उनकी मर्जी से शादी करने के अधिकार से रोकने का हक नहीं है।” बेंच ने कड़े शब्‍दों में खाप पंचायतों को समाज की रक्षा करने की भूमिका से बाज आने की नसीहत दी और कहा कि शादी की वैधता जांचने में अदालतें कानून से चलेंगी, परंपरा और ‘गोत्र’ से नहीं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्‍पणी पर मलिक खाप के राजबीर सिंह मलिक ने कहा, ”शायद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा स्‍टैंड महानगरों में फैली अश्‍लीलता से प्रभावित होकर लिया है, लेकिन उन्‍हें समझना चाहिए कि गांव का जीवन अगल है और हम परंपराओं से बंधे हुए हैं। हम अपनी बच्चियों की पढ़ाई पर खूब खर्चा करते हैं और बड़ी होकर वह समाज के बड़ों की नाफरमानी करें, यह बर्दाश्‍त नहीं किया जा सकता। यही परंपराएं हैं जिन्‍होंने समाज का संतुलन बनाए रखा है।”हरियाणा की प्रभावशाली पूनिया खाप के राष्‍ट्रीय महासचिव महेंद्र पूनिया ने कहा, ”हम एक ही गोत्र में शादी के खिलाफ हैं। हम देश के कानून का पालन करते हैं और खाप के बारे में सबकुछ गलत नहीं हो सकता।” वहीं तोमर खाप के चौधरी सुरेंदर सिंह ने टीओआई से कहा, ”यह मान-सम्‍मान और सिद्धांतों की बात है जो हम अपने बच्‍चों में मन में बैठाते हैं। इससे अदालतों का क्‍या लेना-देना है? उनकी कौन सुनता है?”

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