राजस्थानी लोक संगीत की वजह से हमारा परिचय एक ऐसी सख्सियत से हुआ जो असम की धरती से एक जादुई आवाज़ ले कर हमारे बीच उपस्थित थी – कल्पना पटवारी
बीसीआर न्यूज़ (मुंबई): रंग बिरंगे लिबास में ईस्ट इंडिया कंपनी के गायक पापन के साथ मिलकर होली के त्यौहार के गीतों के माध्यम से उन्होंने समां बांध दिया। …
पटवारी की बुलंद आवाज़ ,जिसमे अल्हड़पन के साथ दृढ़ निस्चय साफ़ झलकता है ,उन्होंने सहरी श्रोताओ को झूमने पर मज़बूर कर दिया और कोक स्टूडियो @ MTV’S youtube पर हज़ारो बार उनके गाए गीत गुजने लगे ।
वही मंत्र मुग्ध कर देने वाली आवाज़ लौट आई है और इस बार उत्तर प्रदेश के अहिरो के लोकगीतों को राजस्थानी रंग रंगती हुई नज़र आएँगी । इस में उनका साथ संगीतकार ध्रुव घाणेकर ने बखूबी निभाया है । ध्रुव मुंबई में जाने माने गिटार वादक है और वे किसी परचय के मोहताज नही है ।
कल्पना पटवारी इस समय ” भोजपुरी संगीत व गायन के क्षेतर में एकछत्र राज कर रही है ” व उनके काम में विवधता देखने को मिलती है । वे उन गिने -चुने गायको में से एक है जिन्होंने भोजपुरी लोकसंगीत को एक नए मुकाम पर पहुचाया है । प्रभुदेवा की हिंदी फिल्म R -राजकुमार के गाने “गन्दी बात ” में मीका सिंह के साथ स्वर मिला कर कल्पना पटवारी ने अपनी उपस्थति हिंदी फिल्म जगत में भी करा दी है ।
भोजपुरी साहित्य के शेक्सपियर कहे जाने वाले लेखक भिखारी ठाकुर की रचनाओं को संगीत के रूप में पेश कर कल्पना ने अंतर्राष्ट्ीय ख्याती प्राप्त कर चुकी है । उन्होंने देश विदेश के जाने -माने संगीतकारों के साथ काम किया है जिसमे तिर्लोक गुर्टू ,कार्लो कन्टिनी ,जॉन गरबारेक ,फिल दृम्मी ,रोलाण्ड कबेज़स,स्टेफनो डॉल’ ओर उल्लेखनीय है ।
हाल ही में सांस्कृतिक कार्यकर्मो को आयोजित करने वाले मंत्रालय की ओर से वे १५ दिनों की अमेरिकी देशो की यात्रा पर गई थी जहां उन्होंने हिदुस्तान से मॉरिशस गए हुए प्रवासी भारतीयों के लिए गीत गाए|
कल्पना पटवारी के अनुसार वो ध्रुव घाणेकर को ” ब्लू फ्रॉग ” में एक कार्यकर्म प्रस्तुत करने के दौरान मिली जहां उनके साथ त्रिलोक गुर्टू भी उपस्थित थे । ध्रुव ने उन्हें अफ्रीका के लोगो के लिए लिखने व गाने कहा । असम लोकसंगीत व उत्तर अफ़्रीकी संगीत का मिश्रण कर “बारे-बारे ” पहली बार श्रोताओं के सामने आया । हालांकि दोनों देशो की संस्कर्ति बिलकुल भेिन है लेकिन संगीत ने उस अनेकता में भी एकता ढूढ़ लिया । भोजपुरी संगीत व अफ़्रीकी संगीत आपस में घुलमिल गए |
बाद में ध्रुव के साथ मुलाकात कोक स्टूडियो में हुई और हमने मिलकर संगीत के माध्यम से प्रवासी भारतीयों को अपने देश से जोड़ने का निष्चय किया । “बिरहा ” राग का सहारा लेकर अहीर जनजाति के लोक संगीत से गानो को सजाया । ध्रुव ने बहुत खूबसूरती से गानो को स्वरबद्ध किया ।गानो में ” खादी बिरहा ” के माध्यम से भारतवर्ष व अफ़्रीकी किसानो के दुःख – सुख को महसूस करने का प्रयासः किया गया है | समय अभाव के कारण अपने इस कार्य में हमें अंग्रेजी सब्दो का इस्तेमाल करना पड़ा । भारत से जो मजदूर प्रवासी बन caribbean गए , उन के जज्बात , दुख , तकलीफो को महसूस करने का हमारा यह एक छोटा सा प्रयासः रहा ।
ध्रुव ने कुछ बहुत ही खूबसूरत पंक्तिया लिखी है जिन्हे अपना स्वर सोनिआ सैगल की खूबसूरत व बुलंद आवाज़ ने ।
खादी बिरहा लोक गीत अहिरो का है जिसे अफ़्रीकी संगीत के साथ मिला कर पेश किया गया है । जब भोजपुरी लोग अपने देश को छोड़ कर कॅरीबीयन देशो में मजदूरी करने गए तो उनके देश की यादे उन्हें इस गीत में मिली ।
खादी बिरहा बहुत ही सकारात्मक सोच वाला गीत है । जो इंसान जितना कठिन समय जीवन में गुजरता है वह उतना ही अछे समय के लिए आशावादी हो जाता है । अतः खादी बिरहा उत्साह व ऊर्जा से भरपूर संगीत है । अपना देश व अपने लोगो को छोड़ने का दर्द जो अप्रवासी भारतीयों के दिल में है, यह गीत उन्हें वह दर्द भुलाने में मदद करता है |