पाकिस्तान में कोर्ट ने परवेज मुशर्रफ को घोर राष्ट्रद्रोह के मामले में ‘भगौड़ा’ घोषित किया
एटीसी ने उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था, लेकिन ब्रिटेन के साथ पाकिस्तान की प्रत्यर्पण संधि नहीं होने के कारण यह वारंट तामील नहीं हो सका
बीसीआर न्यूज़ (पाकिस्तान): पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को बार-बार सम्मन भेजे जाने के बावजूद जब कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो विशेष अदालत ने उन्हें घोर राष्ट्रद्रोह के मामले में उन्हें ‘भगौड़ा’ घोषित कर दिया है। अब अदालत के आदेश पर सरकार को उन्हें 30 दिन के भीतर अदालत के समक्ष पेश करना है। पूरे पाकिस्तान में मुशर्रफ की तलाश में पोस्टर लगवाए जाएंगे और अखबारों में विज्ञापन दिए जाएंगे। मगर वे पाकिस्तान में हैं ही नहीं। सरकार को तो अदालत के आदेश पर तामील करना ही है। सवाल है कि मुशर्रफ कहां चले गए हैं। वे इलाज करवाने दुबई गए थे। वहां से कहां गए? मनमानी करने वाले इस पूर्व राष्ट्रपति ने कभी सोचा नहीं होगा कि उनकी तलाश इस प्रकार की जाएगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा विदेश दौरे पर लगा प्रतिबंध हटाने के बाद चिकित्सा उपचार के नाम पर वह दुबई चले गए थे, मानो वे इसी मौके का इंतजार कर रहे हों। अपने खिलाफ दर्ज कई बड़े मामलों को देखते हुए मुशर्रफ इसके बाद स्वदेश लौटें ही नहीं। वह पाकिस्तान के पहले सैन्य शासक हैं जिनके खिलाफ अदालत में मुकदमा चलाया जा रहा है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत की अदालत ने मुशर्रफ पर लगा देश छोड़ने का प्रतिबंध हटा लिया था। नवाज शरीफ सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई, पर उसने सिंध की अदालत के फैसले पर मुहर लगा दी और मुशर्रफ ने देश छोड़ दिया। पाकिस्तान सरकार का कहना था कि मुशर्रफ को विदेश में इलाज कराने की इजाजत कोर्ट से मिली है। साथ ही, सरकार ने दावा किया था कि परवेज मुशर्रफ ने तीन-चार हफ्तों में इलाज पूरा करवाकर लौटने की गारंटी दी है। पाकिस्तान में मुशर्रफ को इस तरह छूट देने की आलोचना हुई। पाक मीडिया के मुताबिक परवेज मुशर्रफ ने बीमारी का बहाना बना कर देश से भागने में कामयाब हो गए।
मुशर्रफ की मुसीबतें उस समय बढ़ गईं जब पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत ने उनकी मेडिकल रिपोर्ट को ‘फर्जी’ करार दे दिया। वर्ष 2007 में जजों को हिरासत में लेने के मामले में अदालत के समक्ष उपस्थिति से छूट की मांग करने वाली उनकी याचिका भी खारिज कर दी गई। मुशर्रफ के वकील ने दलील दी कि बीते पूर्व सेना प्रमुख की मेडिकल रिपोर्ट रावलपिंडी स्थित अदालत में उपस्थिति से छूट देने के लिए अनुरोध पत्र के साथ दायर की गई थी, लेकिन न्यायाधीशों ने इसे मानने इंकार कर दिया। उनके खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वॉरंट को बरकरार रखा गया।
एटीसी के जज ने परवेज मुशर्रफ की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई। उनके मुताबिक विदेश जाने से पहले मुशर्रफ को बकायदा अदालत से अनुमति लेनी चाहिए थी। गौरतलब है कि बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर 2008 को रावलपिंडी में ही चुनावी सभा को संबोधित करने के बाद आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। उस समय जनरल मुशर्रफ ही सत्ता पर आसीन थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी राजनीतिक विरोधी भुट्टो को उचित सुरक्षा मुहैया नहीं कराई थी। नवंबर 2008 में उन्होंने देश में आपातकाल लागू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बर्खास्त कर दिया और कई जजों को जेल भेज दिया।
इसके बाद पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति को सितंबर 2014 बड़ा झटका मिला। संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के मुताबिक आपातकाल लगाने से वह संविधान के उल्लंघन के दोषी पाए गए। संघीय जांच एजेंसी ने विशेष अदालत से कहा कि मुशर्रफ को निश्चित तौर पर घोर राष्ट्रद्रोह का दोषी ठहराया जाना चाहिए। आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) ने उन्हें भगोडा घोषित कर दिया। पता चला कि जनरल मुशर्रफ ब्रिटेन में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। एटीसी ने उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था, लेकिन ब्रिटेन के साथ पाकिस्तान की प्रत्यर्पण संधि नहीं होने के कारण यह वारंट तामील नहीं हो सका। इससे मुशर्रफ की गिरफ्तारी टल गई। संभावना बन रही है कि जनरल मुशर्रफ की पाकिस्तान स्थित उनकी सम्पत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। नवाज शरीफ सरकार के पास मुशर्रफ को अदालत में पेश करने के लिए 30 दिन का समय है। देखना होगा कि इन दिनों में वह क्या प्रयास करती है।