बीसीआर न्यूज़ (राजू बोहरा/नई दिल्ली): थिएटर के दर्शको के लिए एक्ट्रेस, कवियत्री, शिक्षिका एवं समाज सेविका वीणा वादिनी का नाम किसी खास परिचय का मोहताज नहीं है बल्कि वो एक थिएटर की अच्छी अदाकारा के रूप में अपनी अच्छी पहचान बना रही है और रंगमंच पर उनकी लोकप्रियता दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। गौरतलब है की बहमुखी प्रतिभा की धनी हसमुख मिलनसार स्वाभाव की वीणा वादिनी पिछले चार वर्षों से राजधानी दिल्ली में थिएटर के नाटको में नियमित सक्रीय है और अबतक अनेक सामाजिक एवं सोशल नाटको में शानदार अभिनय कर चुकी है। ध्यान देने की बात यह है की वीणा वादिनी की एक विशेषता यह है की यह नाटक उन्होंने हिन्दी के साथ साथ भोजपुरी और उर्दू भाषा में भी किये है।
ताजा बातचीत में एक्ट्रेस, कवियत्री, शिक्षिका एवं समाज सेविका वीणा वादिनी ने बताया की वो दिल्ली की रहने वाली और उनका परिवार मूलत बिहार का रहने वाला है वो एक अदाकारा के साथ साथ वो हिन्दी की एक शिक्षिका भी है। उनको एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है लेकिन उनकी अभिनय में शुरुआत चार साल पहले नाटको के जरिये हुई तब से वह लगातार रंगमंच से जुड़ी हुई है। अब तक वह हिंदी, भोजपुरी और ऊर्दू के कई सफल नाटको में अपने अभिनय की अच्छी छाप छोड़ चुकी हैंथिएटर से वह रंगश्री स्कूल ऑफ ड्रामा एंड थिएटर के जरिये जुडी है जिसके संस्थापक उनके गुरु श्री महेंद्र प्रसाद सिंह जी है। इनके मार्गदर्शन में आपने कई नाटकों का मंचन किया। वीणा वादिनी ने जिन चर्चित नाटको में काम किया है उनमे ‘बबुआ गोबर्धन’, ‘बिरजू का ब्याह’, ‘आपन-आपन दाँव’,’लोहा सिंह’,’बैर का अंत; ‘स्वर्ग-नरक’, ‘लाचारी ब्रह्मचारी,तीन तलाक, हातिम ताई, एक निशानी गालिब की, ‘मौका अच्छा है, जैसे नाटकों के नाम मुख्य रूप से शामिल है।
किस तरह की भूमिकाये उन्हें पसंद है ? पूछने पर उन्होंने बताया की उन्हें महिला सशक्तिकरण वाली भूमिका उन्हें बहुत पसंद है उन्होंने महिलाओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने वाले किरदार शानदार तरीके से निभाए भी है। चाहे वह मानसिक रूप से विकृत बच्ची का किरदार हो या गांव की महिला का या फिर वृद्धावस्था की बूढ़ी औरत का किरदार। कई स्वयं सेवी संस्थाओं से जुड़ी है लम्बे अर्से से एक समाज सेविका टूर पर भी काफी काम कर चुकी हैं। वीणा वादिनी विश्व भोजपुरी एकता मंच की सचिव हैं और भोजपुरी जनजागरण आंदोलन से जुड़ी हैं साथ ही भोजपुरी में आए अश्लीलता को खत्म करने के लिए प्रयासरत हैं। नाटको साथ-साथ वह सीरियल और फिल्मो में भी महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित अच्छे किरदारों की निभाना चाहती हैं। वह एक उम्दा कवियत्री हैं एक अच्छी मंच संचालक भी हैं। उनका एक साझा काव्य संग्रह भी नव जागरण प्रकाशन से आ चुका हैं। इस क्षेत्र में अब तक मिली कामयाबी का श्रेय को अपनी मेहमत और अपने परिवार के लोगो को देती है, खास तौर से अपने पति को, उनका कहना है की मेरे शुरुआत शादी के बाद हई थी अगर उनका भरपूर सहयोग नही होता तो मेरे लिए यहा तक पहुचना सम्भव नहीं होता, रंगमांग के नाटको में प्रभावशाली अभिनय और सामाजिक कार्यो के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित संस्थाए सम्मानित भी कर चुकी है,