November 15, 2024
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.एक लाख दीपक प्रज्ज्वलित करने का कार्यक्रम।
.देश भर के कार्यक्रता भाग लेंगे।
.वातावरण शुद्धता का खास ख्याल।

बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): गऊ रक्षा क्रांति एक बहुत बड़ा संगठन है। पूरे भारतवर्ष में इस संगठन का 17 गौशाला है जो इस साल 8 नवम्बर 2016 को गोपाष्टमी महोत्सव मनाने जा रहे है. जो भारतीय संस्कृति का एक बड़ा महात्यपूर्ण त्योहार है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर यमुना घाटए आई.टी.ओ. दिल्ली में होने जा रहा है।
गऊ रक्षा क्रांति के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री रेणुका शर्मा ने कहा कि भगवान श्री कृष्णाए यमुना और गोमाता की एक अनन्य सम्बन्ध है इसिलिये यह कार्यक्रम यमुना के किनारे पर होगा। 8 नवम्बर को शाम 4 बजे से यह कार्यक्रम शुरू होगा कार्यक्रम की शुरुआत गौ पूजन से होगी और एक लाख दीपक प्रज्ज्वलित किया जायेगा ऐसा लक्ष्य रखा है साथ साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। शर्मा ने बताया कि गौ माता व् देश के लिये शहीदों को यमुना जल मे श्रद्धा दीप दान भी किये जायेंगे। इसी के साथ यमुना के तट पर रंगोली चित्रांकन करेंगे। एक लाख दिया प्रज्ज्वलित करने के लिए सैकड़ों कार्यकर्ता और देश भर से हज़ारों लोग इस कार्यक्रम में आमंत्रित होंगे रेणुका शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम मे आर एस एस राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य माननीय इंद्रेश कुमार जीए माननीय गोविंदाचार्य जी और राष्ट्रीय सेविका समिति के अधिकारीएसाधु संतो व् सभी धर्मों के माननीय गण कार्यक्रम मे उपस्तिथ रहेंगे और साथ साथ यमुना के क्षेत्र अतिथिवर्ग के लिए नौका विहार की व्यवस्था रहेगी।
इस कार्यक्रम की वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है कि ‘‘घी का दिया प्रज्ज्वलित करने का यह उद्देश्य है की उससे वातावरण शुद्ध होता है। इसके साथ ऑक्सीजन की मात्राये बढ़ते है और कार्बन.मोनो.ऑक्साइड की मात्रा घटते है। इसिलियी इस कार्यक्रम मे कुछ वैज्ञानिक भी शामिल होंगे और गौमाता के अपरिहार्यता के बारे में भी बताएंगे। उन्होंने और भी बताया कि “घी के दिया प्रज्ज्वलित करने से पहले उस क्षेत्र का प्रदूषण जांच करेंगे और प्रज्ज्वलित करने के बाद भी जांच करेंगे ताकि इससे प्रदूषण की मात्र पता लगे और घी के दीपक प्रज्ज्वलित करने का महत्व सबको पता लगे”।
शर्मा ने बताया कि गऊ के लिये अपने आप मे इस प्रकार का यह पहला कार्यक्रम है जो की कई संगठनों की सहभागिता से किया जा रहा है इसलिए यह महोत्सव एक ऐतिहासिक होने जा रहा है।
साथ ही इसके पहले 7 नवंबर को श्रंद्धांजलि कार्यक्रम रखा गया है गौरतलब है कि 7 नवंबर 1966 को संसद के सामने विशाल गोरक्षा आंदोलन हुआ था। जिसमें भारत में उपजे सभी धर्म संप्रदायों के प्रमुख धर्माचार्य और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता शामिल हुए थे। आंदोलन के प्रमुख भूमिका पुरी के शंकराचार्य स्वामी निरंजनदेव तीर्थए सनातन धर्म के प्रमुख धर्माचार्य स्वामी करपात्री जी महाराजए सुप्रसिद्ध वैष्णव संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारीए गीता प्रेस के प्रमुख हनुमान प्रसाद पोद्दावारए आर एसएस के श्री गुरुजी गोलवलकर की थी। इस आंदोलन में कांग्रेस के नेता सेठ गोविंद दासए समाजवादी नेता मणिराम बागरीए जंनसंघ के अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। दुर्भाग्य से आंदोलन पर गोलियां चली और सैंकड़ों गौ भक्त बलिदान हुए। गोली कांड के पश्चात अनेक संतों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की। पूज्य संतों की प्रमुख मांग संपूर्ण गोहत्या बंदी कानून बनाना था। सरकार द्वारा आश्वासन देखकर हड़ताल तुड़वाई गई। हड़ताल खत्म होने के बाद राजनीतिक दलों का आश्वासन कोरा ही साबित हुआ। उसके पश्चात् गांधी जी के अनुयायी संत विनोबा भावे ने भी संपूर्ण गोहत्या बंदी के लिए आंदोलन किए। आपातकाल के समय विनोबा भावे ने आमरण भूख हड़ताल की। जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आश्वासन देकर समाप्त करायाए लेकिन संपूर्ण गोहत्या कानून को लेकर तब भी कोई कदम नहीं उठाया गया। 07 नवंबर 2016 को 1966 की बलिदान को 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इन पचास वर्षों में बलिदान हुए गौ भक्तों की प्रमुख मांग पूरी नहीं हो पाई और गौरक्षा भी एक प्रकार से चुनावी जुमला बनकर रह गया। 1966 में गोलीकांड में बलिदान हुए सैकड़ों गोभक्तों को श्रंद्धाजलि देने और फिर से गोरक्षा का संकल्प लेने के लिए आगामी 6ए7ए8 व 9 नवंबर को विविध कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है।

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