September 22, 2024

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लड़कियों के स्तनों को बढऩे से रोकने के लिए उन्हें गर्म लोहे की छड़ों से दाग दिया जाता है- जानिये कहां है ये कुप्रथा

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बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): ब्रेस्ट आयरनिंग प्रथा में किशोरावस्था में ही लड़कियों के स्तन विकसित होने की प्रक्रिया को रोक दिया जाता है. लड़कियों के स्तनों को बढऩे से रोकने के लिए उन्हें गर्म लोहे की छड़ों या गर्म पत्थर से दाग दिया जाता है. ताकि वो चपटे हो जाएं और बढ़ें नहीं. 10 साल से कम उम्र की कई लड़कियां भी हर रोज़ इस प्रथा का शिकार होती हैं. अफ्रीका की महिलाओं का मानना है कि लड़कियों की ब्रेस्ट आयरनिंग इसलिए की जाती है ताकि वे पुरुषों की निगाहों से बच सकें और उनका रेप न हो.

यह दर्दनाक प्रथा का चलन अफ्रीका में है जिसका पालन करने के बाद लड़कियों का रेप नहीं हो सकता और वो शादी से पहले गर्भवती नहीं होंगी. साथ ही कोई भी पुरुष लड़कियों पर बुरी नजऱ नहीं डालेगा और वो सुरक्षित रहती हैं. अफ्रीका के कई देशों जैसे साउथ अफ्रीका, कैमरून और नाइजीरिया जैसी जगहों पर लड़कियों को रेप से बचाने के लिए एक प्रथा का पालन करना पड़ता है, जिसमें लड़कियों को असहनीय पीड़ा और दर्द से गुजरना होता है.
ladkiyo ke stano ko badne se lokneke liye

अफ्रीका के गिनियन गल्फ में स्थित कैमरून की आबादी करीब 15 मिलियन है और यहां तकरीबन 250 जनजातियां रहती हैं. टोगो, बेनिन और इक्वाटोरिअल गुनिया से सटे इस देश को मिनिएचर अफ्रीका भी कहा जाता है. कैमरून में एक अजीबो-गरीब प्रथा का चलन है जिसके वजह से आजकल ये काफी समय से चर्चा में है. इस अनोखी प्रथा का नाम है ब्रेस्ट आयरनिंग, जिसमें किशोरावस्था के शुरू होते ही लड़कियों के ब्रेस्ट को गर्म लकड़ी के टुकड़ों से दागा जाता है, ताकि वे बढ़ न सकें और सपाट रहें. कैमरून की लगभग 50 प्रतिशत लड़कियां इस प्रथा का शिकार हैं. हाल ही में यह बात सामने आई है कि ब्रिटेन में रहने वाले अफ्ऱीकी समुदाय की लड़कियों को भी इस प्रथा के दर्द से गुज़ारना पड़ रहा है.

बहुत खतरनाक है यह प्रथा

ब्रेस्ट आयरनिंग प्रथा के कारण महिलाओं को मानसिक एवं शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. इनके स्तनों में दर्द होता है. चिकित्सकों का कहना है कि शरीर के संवदेनशील अंगों को इस तरह से दबाने से इन महिलाओं को कैंसर का खतरा हो सकता है. इसके बावजूद कम उम्र में गर्भवती हो रही लड़कियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए माएं इस उपाय को धड़ल्ले से आज़मां रही हैं. इसके अलावा बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराने में भी इन महिलाओं को बहुत दर्द होता है.

लड़की की माँ ही करती है यह काम

आपको जानकर बेहद हैरानी होगी कि लड़कियों की ब्रेस्ट आयरनिंग कोई और नहीं बल्कि खुद लड़की की मां ही करती है. इनका मानना है कि अगर लड़कियों के ब्रेस्ट टिशूज़ शुरुआत में ही निकाल दिए जाएं तो वो ज्यादा आकर्षक नहीं लगेंगी और इस तरह उनको रेप और यौन उत्पीडऩ जैसी दर्दनाक स्थिति से बचाया जा सकता है. ब्रेस्ट आयरनिंग की यह वीभत्स प्रक्रिया लड़कियों के साथ 2 से 3 महीनों तक लगातार की जाती है.

बहुत दर्दनाक होती है यह प्रक्रिया

ब्रेस्ट आयरनिंग की प्रक्रिया को झेल चुकी एक लड़की ने एक इंटरव्यू के दौरान इस दर्दनाक प्रक्रिया के बारे में बताया. उसने बताया कि इसमें एक गर्म हथौड़े, पत्थर, या भरी लकड़ी के दुकड़े से ब्रेस्ट को ज़ोर से दबाते हैं, जिस कारण बहुत दर्द होता है. धीरे-धीरे ब्रेस्ट कमज़ोर होने लगती हैं. ऐसा लगता है मानों कि ब्रेस्ट पिघल रही हों. अंतत: ब्रेस्ट पूरी तरह दब जाती है. ये प्रक्रिया बेहद दर्दनाक होती है.इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाये जा रहे हैं? यूनाइटेड नेशंस ने ब्रेस्ट आयरनिंग प्रथा को लिंग आधारित हिंसाओं की कैटेगरी में रखा है. इस प्रथा के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए भी कोशिशें की जा रही हैं. जेक बेरी ने हाउस ऑफ कॉमन्स में अपने भाषण के दौरान ब्रेस्ट आयरनिंग प्रथा को कानूनी अपराध घोषित करने की मांग की है और साथ ही यह भी कहा है कि ब्रिटेन में अफ्ऱीकी समुदाय के बीच यह कुप्रथा अभी भी कायम है. इसके अलावा अफ्रीका के कई देशों में खतना जैसी कुप्रथा भी प्रचलित है, जिसमें लड़कियों को असहनीय पीड़ा और दर्द से गुजऱना होता है.

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