फिल्म समीक्षा: मिस टनकपुर हाजिर हो
समीक्षक: अजय शास्त्री
निर्देशक- विनोद कापड़ी
संगीत- पलक मुछल
अभिनेता- अनु कपूर, ह्रिषिता भट्ट, रवि किशन, राहुल बग्गा, ओम पुरी
रेटिंग- 3 स्टार
सारांश-
डॉक्यूमेंट्री ‘कांट टेक दिस शिट एनीमोर’ के लिए नेशनल अवार्ड जीत चुके विनोद कापड़ी फिल्म ‘मिस टनकपुर हाजिर’ हो से बॉलीवुड में कमाल की शुरुआत करते है। छोटे शहरों में अंधविश्वास, खाप पंचायत के खोखले फैसले से लेकर कानूनी व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कापड़ी एक गंभीर संदेश देते हैं।
समाज का एक तबका ऐसा भी है जहां नारियों से लोग जानवर की तरह पेश आते हैं। भले ही हम कितनी भी कोशिश कर ले, उनके मस्तिष्क से इस सोच को नहीं निकाल सकते। कापड़ी इसकी तस्वीर थोड़ी साफ करते हुए हमारे सामने पेश करते हैं।
हरयाणा के एक गांव के प्रधान सुआलाल गनदास (अनु कपूर) अपने से काफी कम उम्र की लड़की माया (ह्रिषिता भट्ट) से शादीशुदा हैं जिसका वो शारीरिक शोषण करते हैं। यहां माया के चेहरे पर मुस्कुराहट लाता है अर्जुन प्रसाद (राहुल बग्गा) जिससे वो प्यार भी करती है। लेकिन एक रात गनदास अर्जुन को अपनी पत्नी के साथ रंगे हाथों पकड़ लेता है। खूब खातिरदारी के बाद गनदास गांव वालों के सामने उसकी बेइज़त्ती करता है और उसपर मिस टनकपुर, एक प्रतियोगिता में विजय रही भैंस, का बलात्कार करने का आरोप लगा देता है। आगे की कहानी इसके ऊपर चल रही हास्यात्मक कार्यवाही के बारे में है।
एक भैंस का बलात्कार जितना सुनने में अविश्वसनीय लगता है उतनी ही सच्चाई से इसे फिल्म में दर्शाया गया है। यहां शारीरिक रुप से ही नहीं बल्कि हर रोज़ हो रहे मानसिक रुप से बलात्कार की शिकार महिलाओं के बारे में बताया गया है जो छोटे शहर में अक्सर देखा जाता हैं।
कापड़ी कुछ बातों को हास्यपूर्ण तरीके से फिल्म में दर्शाते हैं और काफी हद तक इसमें सफल भी होते है। फिल्म के पहले एक घंटे में उनकी पकड़ थोड़ी ढ़ीली है लेकिन वहीं इन्टर्वल के बाद ये आपको चौकाती है।
फिल्म की जान है इसके व्यंगात्मक डॉयलाग्स जो समय-समय पर आपको हंसाते रहते है।
वहीं अदाकारी के मामले में छोटे से छोटा कलाकार भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराता है। लेकिन सबसे ऊपर हैं अनु कपूर जो गांव के अड़ियल प्रधान के किरदार में बिल्कुल फिट बैठते हैं।
अनु के भांजे के किरदार में रवि किशन बिल्कुल उनकी तरह संखीपना और रुपयों का रौब झाड़ने वाले शख्स को बढ़िया निभाते हैं। राहुल बग्गा एक मजबूर, सताए हुए शक्स के किरदार में मासूमियत डालते है। काफी लंबे समय बाद ह्रिषिता भट्ट भी अच्छी वापसी करती हुई दिखती हैं।
घूसखोर पुलिस के किरदार में ओम पुरी भी कमाल का प्रदर्शन करते हैं।
आखिरी राय-
अंत तक बांधे रखने वाली मिस टनकपुर हाज़िर हो आपको चौकाएगी अपनी छोटी-छोटी बातों से, साथ ही कुछ सोचने पर मजबूर भी करेगी।