फिल्म समीक्षा: बाहुबली
समीक्षक: अजय शास्त्री
डायरेक्टर: सुभाष कपूर
डायरेक्टर: एस एस राजमौली
शैली: एक्शन
संगीत: एम एम कीरावनी
कलाकार: प्रभास, तमन्ना भाटिया, राना दग्गुबती
रेटिंग: ४ स्टार
सारांश
महत्वाकांक्षा का पैमाना- विशाल। VFX की गुणवत्ता-असाधारण। कंटेंट- कभी कभी ही मनोरंजक। अंतिम प्रभाव- काफी मजबूत। ये है निर्देशक एस एस राजमौली की बाहुबली जो देश भर में रिलीज हो गई है।
कुछ हद तक फिल्म एक सुपरहिरो की कहानी की तरह दिखती है जो हैरतअंगेज करतब करता है, चाहे वो जंग के दौरान हो या अपनी महबूबा को खुश करने के लिए हो। सुनने में अजीब पर ये सब पूरी तरह से बेमतलब भी नहीं लगता।
लेखक विजयेंद्र प्रसाद की कहानी बहादुरी, विश्वासघात और प्रतिशोध के बारे में है जो एक काल्पनिक सम्राज्य, महीस्मथी में दर्शायी गई है। दो बलपूर्वक भाई इस राज्य पर राज करने के लिए एक-दूसरे से दुश्मनी मोल लेते है।
अच्छे और बुरे राजा की इस कहानी का विचार काफी पुराना है लेकिन जिस तरीके से राजमौली इसे पर्दे पर गढ़ते है उससे इस फिल्म को बल मिलता है और लोग इसकी तरफ आकर्षित होते है।
फिल्म की शुरुआत में हम रूबरू होते है एक नन्हे से राजा से जिसकी सुरक्षा के लिए उसे राज्य से दूर कही पहाड़ों में ले जाया गया है। एक ऐसा पहाड़ जो छिपा है खूबसूरत पानी के झरने के पीछे।
जल्द ये नन्हा सा बच्चा शिवा एक शक्तिशाली आदमी (प्रभास) में तब्दील हो जाता है जो किसी टार्जन से कम नहीं लगता। वो पहाड़ों पर बिना किसी चीज के इस्तेमाल के चढ़ जाता है, भगवान शिव की विशाल शिव लिंग को अपने कंधे पर रखकर वो मीलों का सफर तय कर सकता है। एक दिन उसका सामना खूबसूरत अवंथिका (तमन्ना) से होता है जो असल में एक योद्धा हैं। लेकिन एक दिन जब कुछ भयानक दिखने वाले शत्रु अवंथिका को मारने की कोशिश करते है तब शिवा को अपनी असली ताकत का एहसास होता है। फिल्म इन्टर्वल के बाद हमें फ्लैशबैक में ले जाती है जो बेहतरीन माड़-धाड़ से भरपूर है। यहां दो सेनाएं, जिसकी कमान है एमरेंद्र बाहुबली (प्रभास) और भल्लाला देवा (राणा दग्गुबत्ती) के पास है, वो एक दूसरे के सामने हैं।
अगर आप खून-खराबे से भरे युद्ध को देखने के शौकीन है तो ये फिल्म आपको बिल्कुल निराश नहीं करेगी। जो चीज़े इस युद्ध में आपको आकर्षित करती है वो है विशाल रथ, भाला जिसकी धार का कोई जवाब नहीं, तलवार जो दुश्मनों के आर-पार होने में सक्षम है और एक ऐसी छड़ी जो लोहे की बड़ी सी गेंद का रूप ले सकती है।
वो लोग जिनको साउथ की फिल्में ज्यादा रोचक नहीं लगती, अभिनेता प्रभास उनके लिए गरीबों के रजनीकांत लगेंगे। लेकिन प्रभास की अपनी ही एक स्क्रीन प्रेसेंस है जो काफी मजबूत है।
राणा की यहां अगर बात करें तो प्रभास के मुकाबले वो थोड़े हल्के है लेकिन फिर भी अपने आप में वो फिल्म को जरूरी गति प्रदान करते हैं।
तमन्ना का संघर्ष के किरदार से खूबसूरत मोहनी में परिवर्तन होना बिल्कुल भी आपको संतुष्ट नहीं करता।
अगर फिल्म के टाइटल (Baahubali- The Beginning) की तरह ये शुरुआत है तो इसकी कल्पना की जा सकती है कि अंत कैसा होगा। फिल्म का दूसरा भाग 2016 में रिलीज होगा जिसके लिए अभी कुछ भी कहना मुश्किल है लेकिन एक चीज़ तो तय है कि ये दर्शक तो खूब बटोर लेगी।