September 21, 2024

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दिल्ली – मेरठ एक्सप्रेसवे बनाने के लिए 50,000 से भी ज्यादा पेड काटने पडेंगे

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बीसीआर न्यूज़ (ग़ाज़ियाबाद/उत्तरप्रदेश): खोदा पहाड निकली चुहिया। लगता है राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण कोे देश के प्रधान मंत्री नरेंदर मोदी को बार बार ठगने की आदत बन चुकी है।

आज जब प्रधान मंत्री नरेंदर मोदी नोएडा सेक्टर 62 में उत्तरप्रदेश की भोली भाली जनता को नये साल के तोहफे के रुप दिल्ली – मेरठ एक्सप्रेसवे का अनावरण करने पहुंचे तो लागों को लगा कि वाकई अच्छे दिन आने वाले हैं लेकिन उन्हें क्या मालूम की प्रघान मंत्री के साथ साथ उन्हें भी धोखे का शिकार बनना पडेगा।

विडम्बना की बात तो यह है कि वास्तव में राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण एन.एच.ए.आई पहले भी ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के मामले में प्रधान मत्री मोदी को धोखे में रख चुका है।

आज भी जहाँ प्रधान मंत्री ने दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया उसके लिए प्राधिकरण के पास अभी जमीन तो क्या लाखों की संख्या में पेड काटने से पहले उ.प्र वन विभाग की अनुमति तक नहीं है।

गाजियाबाद में डासना से मेरठ को दिल्ली के साथ जोड़ने वाले इस 150 किलोमीटर लम्बे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे- में अकेले गाजियाबाद जिले में राष्ट्रीय राज मार्ग 24 को और चैडा करने व दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे बनाने के लिए लगभग 22027 पेडो को कटे जाने की जरुरत पडेगी। इसके अलावा मेरठ, हापुड, और नौयडा में भी कई पेड काटने पडेंगे।

उ.प्र वन विभाग में सरकारी नियमानुसार एक पेड काटने के बदले दो नये पेड़ लगाने का प्रावधान है। इस हिसाब से अकेले गाजियाबाद में ही लगभग 44054 पेड लगाने पडेंगे।

गौर तलब है पेड लगाने से ज्यादा महत्वपूर्ण उसकी जानवरांे आदि से सुरक्षा करना है। इस लिए हर पेड को इंटों की चारदिवारी या ब्रिक गार्ड में लगाया जाता है।

उ.प्र वन विभाग में सरकारी सूत्रों के मुताबिक इसके लिए काफी जमीन की जरुरत पडेगी जो कहां से आयेगी।

गाजियाबाद वन विभाग ने एन.एच.ए.आई से 44054 पेड व ब्रिक गार्ड लगाने के लिए करीब 40 एकड जमीन और 19 करोड 4 लाख रुपये की मांग की है

अभी तक प्राधिकरण ने वन विभाग के पत्र का जबाब नही दिया है। अभी तो मेरठ, हापुड, और नौयडा की भी बारी है।

दरअसल स्वाल तो यह उठता है कि जिस कदर हर जगह शहरी विकास हो रहा है प्राधिकरण के पास इतनी जमीन आयेगी कहां से। इसके अलावा एक पूरे उंचे घने पेड को काट एक छोटी सी टहनी गाड देने का वातावर्ण पर क्या असर पडेगा

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