December 24, 2024
Rajnath Singh

अजय शास्त्री (संपादक व प्रकाशक)

बीसीआर न्यूज़/नई दिल्ली: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 24 सितंबर, 2024 को नई दिल्ली में 41वें भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) कमांडर सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह तीन दिवसीय सम्मेलन उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य और समुद्री सुरक्षा की जटिलताओं की पृष्ठभूमि में आईसीजी कमांडरों के लिए रणनीतिक, परिचालन और प्रशासनिक मामलों पर सार्थक चर्चा में शामिल होने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करेगी।

तटरक्षक मुख्यालय में वरिष्ठ कमांडरों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईसीजी को भारत का अग्रणी गार्ड बताया, जो विशेष आर्थिक क्षेत्र की निरंतर निगरानी करते हुए देश की विशाल तटरेखा की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, और आतंकवाद तथा हथियारों, ड्रग्स और मनुष्यों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों की रोकथाम करता है। संकट के समय में आईसीजी जवानों ने जिस बहादुरी और समर्पण से राष्ट्र की सेवा की, उनकी सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने उन बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने पोरबंदर के पास हाल ही में एक ऑपरेशन में अपनी जान गंवा दी।

श्री राजनाथ सिंह ने आंतरिक आपदाओं से राष्ट्र की रक्षा करने में आईसीजी के योगदान को अद्वितीय बताया। उन्होंने चक्रवात मिचांग के बाद चेन्नई में तेल रिसाव के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया की प्रशंसा की, जिसने क्षेत्र के तटीय परितंत्र को एक बड़ा नुकसान होने से बचा लिया।

आईसीजी को सबसे मजबूत तटरक्षक बलों में से एक बनाने के अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए, रक्षा मंत्री ने आज के अप्रत्याशित समय में पारंपरिक और उभरते खतरों से निपटने के लिए मानव-उन्मुख से प्रौद्योगिकी-उन्मुख बल बनने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने समुद्री सीमाओं पर अत्याधुनिक तकनीक के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह देश की सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने के लिए एक बल गुणक के रूप में कार्य करता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ’’दुनिया तकनीकी क्रांति के दौर से गुजर रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी और ड्रोन के इस युग में, सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं। वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, भविष्य में समुद्री खतरे बढ़ेंगे। हमें सतर्क और तैयार रहने की जरूरत है। तटरक्षक बलों में जनशक्ति का महत्व हमेशा रहेगा, लेकिन दुनिया को हमें प्रौद्योगिकी उन्मुख तटरक्षक बल के रूप में जानना चाहिए।‘‘

रक्षा मंत्री ने जहां नवीनतम प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लाभों पर जोर दिया, वहीं उन्होंने कमांडरों से इसके नकारात्मक पक्ष से सावधान रहने का आह्वान किया। उन्होंने प्रौद्योगिकी को दोधारी तलवार करार दिया और आईसीजी से संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए सक्रिय, सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया।

श्री राजनाथ सिंह ने स्वदेशी प्लेटफार्मों और उपकरणों के साथ सशस्त्र बलों और आईसीजी के आधुनिकीकरण और मजबूती के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। ‘आत्म-निर्भरता’ प्राप्त करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर, उन्होंने कहा कि भारतीय शिपयार्ड आईसीजी के लिए 4,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 31 जहाजों का निर्माण कर रहा है। उन्होंने आईसीजी की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद की मंजूरियों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें बहु-मिशन समुद्री विमान, सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो, इंटरसेप्टर नौकाएं, डोर्नियर विमान और अगली पीढ़ी के तेज गश्ती जहाजों की खरीद शामिल है। उन्होंने कहा कि तीनों सेनाएं बदलते समय के साथ खुद को विकसित कर रही हैं। रक्षा मंत्री ने आईसीजी से खुद में सुधार जारी रखने, एक विशिष्ट पहचान बनाने, अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने और नए उत्साह के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया।

रक्षा मंत्री ने दिवंगत आईसीजी डीजी राकेश पाल को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका हाल ही में चेन्नई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। श्री सिंह ने पूर्व डीजी राकेश पाल को एक दयालु और सक्षम अधिकारी के रूप में वर्णित किया, जिनकी असामयिक मृत्यु एक अपूरणीय क्षति है।

इस अवसर पर रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री संजीव कुमार और सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) डॉ नितेन चंद्रा सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सम्मेलन के दौरान, आईसीजी कमांडर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के साथ-साथ नौसेना प्रमुख और इंजीनियर-इन-चीफ के साथ भी बातचीत करेंगे। इन चर्चाओं को समुद्री सुरक्षा के पूर्ण स्पेक्ट्रम में सेवाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जबकि आईसीजी के विकास और बुनियादी ढांचे के विकास को भी बढ़ावा दिया गया है।

यह सम्मेलन वरिष्ठ आईसीजी अधिकारियों को पिछले वर्ष में किए गए प्रमुख परिचालन, सामग्री, तार्किक, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासनिक पहलों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। वे राष्ट्र के समुद्री हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण उपलब्धियों (मील के पत्थर) पर भी विचार-विमर्श करेंगे। आईसीजी कमांडर सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप, ‘मेक इन इंडिया’ पहल के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई आईसीजी परियोजनाओं का आकलन करेंगे।

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