बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): यूँ तो पूरी दुनिया में कई तरह की परम्पराओं, मान्यताओं का जिक्र होता रहता है पर आज हम जिस परंपरा का जिक्र करने जा रहे है वो न केवल आपकी रूह को अंदर तक हिला देगा बल्कि मानवीय संवेदनाओ का खुला उल्लंघन भी होगा. कोई लड़की जब अपने यौवन काल में प्रवेश करती है तो उसका एक ही सपना होता है कि वो अपने यौवन का भपूर आनंद लें और शादी के बाद बच्चे के सुख से भी परिचित हो. पर ट्राइब नामक एक जनजाति ऐसा नहीं सोचती क्योकि यहाँ लड़की के प्राइवेट पार्ट का एक हिस्सा काट कर अगल कर दिया जाता है। जिसमें क्लाइटॉरिस भी होती है। ट्राइब जाति के लोगो का मानना है कि अगर लड़की इस दर्द को सहन कर लेती है तो किसी भी बड़ी मुश्किल से बड़ी आसानी से निकल सकती है। वो इसे एक रिवाज का नाम देते हैं. लेकिन इस रिवाज के कारण लड़कियों को दर्द का सामना करना पड़ता है।
होता है दर्द पर…
इसी जनजाति के लड़की ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इस रिवाज के पालन में हम लड़कियों को दर्द तो बहुत होता है पर हमारे कबीले का अपना नियम और रिवाज है जिसे हम तोड़ नहीं सकते है. वो कहती हैं कि हम जानते ये हामरे साथ अन्याय है मगर अन्याय की बात तो वहां की जाती हैं जहाँ न्याय की कुछ उम्मीद हो, यहाँ तो न्याय, अन्याय और कानून सब कुछ कबीले की बरसों से चली आ रही रीत है जिसे हम चाह कर भी नहीं तोड़ सकते, वो कहती है कि शुरुवात में हमे दर्द होता हैं पर धीरे-धीरे हम इसके आदि हो जाते हैं क्योकि हमारी कुल देवी इसकी ताकत हमे प्रदान करती हैं.