बीसीआर न्यूज़ (शिवानी जलोटा/नई दिल्ली): आधुनिक तकनीक जैसे मोबाइल फोन एवं डेटा एनालिटिक्स के इस्तेमाल द्वारा काॅफी सेक्टर की प्रभाविता एवं दक्षता बढ़ाने के प्रयास में काॅफी बोर्ड ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तत्वावधान में मंगलवार को कई मोबाइल फोन ऐप्लीकेशन्स का लाॅन्च किया जो इस क्षेत्र से जुड़े हितधारकों के लिए बेहद उपयोगी साबित होंगे। इस पहल का लाॅन्च भारत सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्रीसुरेश प्रभु ने किया। इस मौके पर भारत सरकार में वाणिज्य सचिव, आईएएस डाॅ अनूप वाधवान भी मौजूद थे।
माननीय मंत्री जी के द्वारा लाॅन्च किया गया एक ऐप है ‘काॅफी कनेक्ट’ जिसे काॅफी बोर्ड ने नेशनल इन्सटीट्यूट फाॅर स्मार्ट गवर्नमेन्ट (NISG) के सहयोग से WINIT के द्वारा विकसित किया है। यह ऐप्लीकेशन डिजिटल तकनीकों जैसे ज्यो-टैगिंग के माध्यम से क्षेत्र कार्यकर्ताओं को हर ज़रूरी जानकारी प्रदान करेगा। उन्हें पौधों, फसल, लोकेशन, उत्पादन, आधुनिक मशीनरी एवं तकनीकों के बारे में हर जानकारी उपलब्ध कराएगा। इस तरह यह समाधान क्षेत्र कार्यकर्ताओं की दक्षता में सुधार लाकर उनकी गतिविधियों में पारदर्शिता लाएगा तथा सब्सिडी वितरण एवं रियल टाईम रिपोर्ट जनरेशन को आसान बनाएगा।
‘‘भारतीय काॅफी सेक्टर में इस तरह की आधुनिक तकनीकें पेश कर काॅफी बोर्ड ने सराहनीय कार्य किया है।’’ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा।
‘‘कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए फसलों को सही मात्रा में पोषण देना और उचित नियन्त्रण बनाए रखना ज़रूरी है। काॅफी बोर्ड द्वारा पेश की गई आधुनिक तकनीकें देश के काफी किसानों को समृद्ध बनाएंगी और उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेंगी।’’ मंत्री जी ने कहा।
यह लाॅन्च काॅफी बोर्ड के कर्मचारियों तथा काॅफी उत्पादकों एवं वितरकों के बीच जानकारी के उचित आदान-प्रदान को सुनिश्चित करेगा। वर्तमान में काॅफी बोर्ड के 170 एक्सटेंशन कर्मचारी 3.66 लाख काॅफी किसानों को अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि 1 एक्सटेंशन अधिकारी हर 2153 किसानों को अपनी सेवाएं प्रदान करता है। पिछले 20 सालों में काॅफी उत्पादन के क्षेत्रफल एवं काॅफी किसानों की संख्या में तीव्र वृद्धि के कारण एक्सटेंशन अधिकारी एवं काॅफी किसानों के अनुपात में 10 गुना वृद्धि हुई है। एक्सटेंशन सेवाओं के अलावा एक्सटेंशन कर्मचारी विकास गतिविधियों एवं सर्वेक्षण आदि में भी सक्रियता से काम करते हैं।
मंगलवार को लाॅन्च किया गया एक और ऐप है काॅफी कृषि थरंगा, यह आईवीआर आधारित डिजिटल मोबाइल एक्सटेंशन सर्विस है जो सीमित समय में बोर्ड की सेवाओं की अधिकतम पहुंच को सुनिश्चित करेगा। इसका विकाास काॅफी बोर्ड एवं प्रेसीज़न एग्रीकल्चर फाॅर डेवलपमेन्ट इण्डिया फाउन्डेशन (PADIF) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। काॅफी कृषि थरंगा सेवाएं अनुकूलित जानकारी उपलब्ध कराकर उत्पादकता, मुनाफ़ा बढ़ाने में मदद करेंगी और पर्यावरण स्थायित्व में योगदान देंगी। ये दो प्रकार की कस्टमाइज़्ड सेवाएं 24×7 सर्विस उपलब्ध कराती हैं।
काॅफी कृषि थरंगा, का पायलट परीक्षण कर्नाटक ज़िले के चिंकमंगलूर एवं हसन ज़िलों में किया गया है, पहले साल के दौरान इसमें 30,000 किसानों को कवर किया गया और आने वाले समय में यह चरणबद्ध तरीके से बड़ी संख्या में किसानों तक पहुंचेगा। नाबार्ड ने आंशिक रूप से इस पायलट परियोजना को वित्तपोषण प्रदान किया है।
काॅफी उत्पादन से जुड़ी तकनीकी समस्याओं तथा किसानों की चुनौतियों जैसे बारिश, कीड़े, बीमारी आदि को समझने के बाद काॅफी बोर्ड ने ईकेए एनालिटिक्स की मदद से पायलट टेस्टिंग के लिए कुछ ऐप्लीकेशन्स तैयार किए हैं। इनमें शामिल हैंः
हाइपर लोकर वैदर फाॅरकास्टः एक ऐप जो मौसम के बारे में सटीक हाइपर लोकल पूर्वानुमान देता है। आने वाले समय के मौसम के बारे में जानकारी देकर किसानों को सतर्क करता है। इस पायलट की टेस्टिंग कर्नाटक और केरल की 10 पंचायतों में की जा रही है।
पेस्ट (व्हाईट स्टैम बोरर) आइडेन्टिफिकेशन ऐप्लीकेशनः इस ऐप्लीकेशन के द्वारा किसान काॅफी की फसल पर व्हाईट स्टेम बोरर के इन्फेक्शन का पता लगा सकता है और समय रहते ज़रूरी कदम उठाकर अपनी फसल को बचा सकता है।
लीफ रस्ट डिज़ीज़ फाॅरकास्टः डेटा एनालिटिक्स तकनीक के द्वारा यह ऐप विकसित किया गया है जिसके द्वारा हर 15 दिनों में लीफ रस्ट की संभावना की जांच की जा सकती है। इस तकनीक के ज़रिए एक्सटेंशन अधिकारी काॅफी किसानों को पहले से सतर्क कर सकते हैं ताकि किसान समय रहते लीफ रस्ट को नियन्त्रित कर अपनी फसल को बचा सकें।
ब्लाॅक चेन बेस्डमार्केटप्लेस ऐपः किसानों, प्रोसेसर्स, निर्यातकों, आयातकों एवं अन्य हितधारकों के लिए उपयोगी यह ऐप देशी-विदेशी काॅफी विक्रेताओं एवं खरीददारों के लिए पारदर्शी डिजिटल प्लेटफाॅर्म पेश करता है। यह मध्यस्थों पर किसानों की निर्भरता कम करता है, निर्यातकों को सही काॅफी आपूर्तिकर्ताओं के साथ जोडता है ताकि बाज़ार में काॅफी की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।
इस मौके पर कृषि में ड्रोन तकनीकके इस्तेमाल का प्रदर्शन किया गया। माननीय वाणिज्य मंत्री ने स्प्रेइंग आॅपरेशन का लाॅन्च किया। काॅफी बोर्ड, क्विडिच इनोवेशन लैब एवं स्टार्क ड्रोन्स के सहयोग से काॅफी की खेती में सुधार लाने के यथासंभव हर प्रयास कर रहा है। काॅफी के बागान पहाड़ी इलाकों में हैं, काॅफी का ज़्यादातर उत्पादन पश्चिमी घाट में होता है। काॅफी के खेती श्रम गहन प्रकार की है। ड्रोन तकिनीक के द्वारा किसान कीटों और बीमारियों की पहचान कर सकते हैं और समय रहते ज़रूरी रसायनों, कीटनाशकों एवं पोषकों के इस्तेमाल द्वारा अपनी फसल को खराब होने से बचा सकते हैं। ड्रोन के ज़रिए दूर बैठे भी फसल की जांच की सकती है। काॅफी बोर्ड आधुनिक तकनीकों पर काम कर रहा है और हम काॅफी किसानों के लिए ड्रोन टेक्नोलाॅजी ऐप्लीकेशन्स का लाईव प्रदर्शन करेंगे।
भारतीय काॅफी उद्योग के बारे में:
काॅफी का उत्पादन 3.66 लाख काॅफी किसानों द्वारा 4.54 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर किया जाता है। इनमें से 98 फीसदी छोटे किसान हैं। काॅफी का उत्पादन मुख्य रूप से दक्षिणी राज्यों कर्नाटक (54%), केरल (19%), तमिलनाडू (8%) में होता है। कुछ मात्रा में काॅफी का उत्पादन गैर-पारम्परिक क्षेत्रों जैसे आन्ध्रप्रदेश एवं उड़ीसा (17.2%), उत्तर पूर्वी राज्यों (1.8%) में भी होता है, जहां आदिवासियों के विकास एवं वृक्षारोपण पर विशेष रूप से ज़ोर दिया जा रहा है।
भारतीय काॅफी उद्योग और काॅफी बोर्ड एक साथ मिलकर काॅफी के घरेलू उत्पादन और खपत को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। जिसके कारण भारत में काॅफी की खपत साल 2000 के बाद 5 फीसदी की दर से बढ़ी है। काॅफी बोर्ड ने उचित दामों पर शुद्ध एवं उच्च गुणवत्ता की काॅफी उपलब्ध कराने के लिए देश भर में काॅफी ब्रुइंग/वेंडिंग मशीनों की स्थापना के लिए काॅफी के चार अग्रणी कारोबारों के साथ साझेदारी भी की है। इन चार वेंडिंग साझेदारों को-ब्राण्डेड काॅफी मशीनों का इस्तेमाल कर प्रोग्राम के दौरान प्रतिनिधियों को ताज़ा ब्रू काॅफी परोसी।
काॅफी बोर्ड के बारे में:
काॅफी बोर्ड काॅफी अधिनियम 1942 के तहत गठित वैधानिक संगठन है जो भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तत्वावधान में काम करता है। काॅफी बोर्ड अनुसंधान एवं विकास, तकनीक के स्थानान्तरण, गुणवत्ता में सुधार में सक्रिय है तथा घरेलू बाज़ारों सहित विदेशी बाज़ारों में भी काॅफी के निर्यात को बढ़ावा देता है। प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के प्रयास में बोर्ड उद्योग जगत की सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला में सुधार ला रहा है।