September 23, 2024

बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): आतंकवाद और पाकिस्‍तान के मुद्दे पर देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। इस्‍लामाबाद में राजनाथ सिंह ने जिस तरह से पाकिस्‍तान को उसी की धरती पर करारा जवाब दिया है उस अंदाज ने पूरे हिंदुस्‍तान का दिल जीत लिया है। राजनाथ ने साबित कर दिया है कि चाहे आतंकवाद हो या फिर पाकिस्‍तान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ उनका भी सीना 56 इंच का ही है। अगर पाकिस्‍तान आतंकवाद को बढ़ावा देगा तो उसे करारा जवाब मिलेगा।

हमें ये कहते हुए तनिक भी संकोच नहीं हो रहा है कि इससे पहले भी देश के सरकारी नुमाइंदे पाकिस्‍तान जाते रहे हैं। लेकिन, इतना बड़ा तमाचा उसके मुंह पर शायद ही किसी ने मारा होगा। पूर्व की सरकारों के दौरान भी प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और विदेश मंत्रियों के दौरे पाकिस्‍तान के लिए होते रहे हैं। लेकिन, जैसा जवाब राजनाथ सिंह ने पाकिस्‍तान को दिया है, शायद ही देश के किसी दूसरे गृहमंत्री ने दिया हो। राजनाथ सिंह के कदम की पूरे देश में चर्चा हो रही है।

इस्‍लामाबाद में सार्क देशों के सम्‍मेलन में जो कुछ हुआ उसकी चर्चा अंतरराष्‍ट्रीय मीडिया भी कर रही है। हम हर बार कहते हैं कि पाकिस्‍तान बेनकाब हो गया है। लेकिन, आज ये शब्‍द यहां पर बहुत छोटा महसूस हो रहा है। क्‍योंकि अब तक हजारों बार पाकिस्‍तान बेनकाब हो चुका है। अगर हम कहें कि आतंकवाद को लेकर दुनियाभर के सामने पाकिस्‍तान पूरा का पूरा नंगा हो चुका है तो गलत नहीं होगा। पाकिस्‍तान को इस बात का पहले से ही एहसास था कि राजनाथ सिंह उसकी बखिया उधेड़ सकते हैं।

शायद यही वजह रही कि जिस वक्‍त सार्क सम्‍मेलन में देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह का भाषण चल रहा था पाकिस्‍तान ने उसे ब्‍लैक आउट कर दिया। राजनाथ के भाषण की मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी गई। ना तो पाकिस्‍तानी मीडिया को उनका भाषण कैप्‍चर करने दिया गया और ना ही सार्क सम्‍मेलन के कवरेज में पहुंची विदेशी मीडिया को कवर करने दिया गया। पाकिस्‍तान की ये बौखलाहट बताती है कि उसकी तनिक भी आस्‍था लोकतांत्रिक मूल्‍यों में नहीं है।

दरअसल मीडिया पर पाबंदी सिर्फ राजनाथ सिंह भाषण के दौरान ही नहीं लगी। बल्कि भारतीय मीडिया पर तो प्रतिबंध उसके वहां घुसते ही लग गया था। पाकिस्‍तानी अधिकारी भारतीय मीडिया को एक दायरे में ही सीमित रखना चाहते थे। फोटोग्राफरों को जरुरी फोटो शूट करने की इजाजत नहीं मिल पा रही थी। इस बात को लेकर भारतीय अफसरों और पाकिस्‍तानी अफसरों में काफी बहस भी हुई। लेकिन, बेशर्म पाक की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा।

राजनाथ सिंह ने पाकिस्‍तान की सरजमीं पर करीब बीस घंटे गुजारे। यहां उन्‍होंने इस्‍लामाबाद में पाकिस्‍तान के गृहमंत्री चौधरी निसार की ओर से दिए गए लंच को भी ठुकरा दिया। राजनाथ और चौधरी निसार में फार्मल हैंडसेक तक नहीं हुआ। दअरसल होना भी ऐसा ही चाहिए। राजनाथ सिंह का ये कदम साबित करता है कि जो जैसा है उसे उसी अंदाज में जवाब दिया जाए तो बेहतर होगा। यकीन मानिए आजादी के बाद यानी 1947 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब देश के किसी मंत्री ने पाकिस्‍तान में घुसकर उसे लताड़ लगाई हो।

राजनाथ सिंह ने पाकिस्‍तान को उसी अंदाज में समझा दिया है कि आतंकवाद का महिमामंडन नहीं चलेगा। कम से कम भारत हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी जैसे आतंकियों को शहीद नहीं बनने देगा। राजनाथ सिंह ने पाकिस्‍तान को ये भी समझा दिया है कि आतंकवाद की सिर्फ एक ही परिभाषा होती है वो है आतंकवाद। जो ना तो अच्‍छा हो सकता है और ना ही बुरा। राजनाथ सिंह के इस तेवर से पूरा का पूरा पाकिस्‍तान बौखलाया हुआ है। खासतौर पर पाक सरकार, आईएसआई और आतंकी संगठन।

आतंकी संगठनों ने राजनाथ सिंह के पाकिस्‍तान दौरे का खूब विरोध किया था। ना सिर्फ भारत को धमकी दी थी बल्कि पाकिस्‍तान सरकार को भी धमकी दी गई थी। फिर भी राजनाथ सिंह पाकिस्‍तान पहुंचे। वहां गरजे भी और बरसे भी। राजनाथ ने यहां पाकिस्‍तान की जो लताड़ लगाई उससे हर हिंदुस्‍तानी बेहद खुश है। जबकि घाटी में बैठे अलगाववादी नेता, पाक अधिकृत कश्‍मीर में बैठा आतंकी हाफिज सईद, सैय्यद सलाउद्दीन और आईएसआई के असफर अपनी छाती पीट रहे हैं कि वो कौन सी घड़ी थी जब पाकिस्‍तान ने राजनाथ सिंह को आने का न्‍यौता दिया था।

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