बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): बहुजन समाज पार्टी ने बीजेपी पर हमला करते हुए उसकी मान्यता ही रद्द करने की मांग चुनाव आयोग से कर दी है. चुनाव आयोग को दी गई याचिका में बसपा ने साक्षी महाराज और यूपी बीजेपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या पर भी आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया है. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि बसपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और पूर्व सांसद अम्बेथराजन ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि चार जनवरी को पांच राज्यों में में आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई.
इसमें राजनीतिक पार्टियों और अभ्यर्थियों को ऐसे क्रियाकलापों से दूर रहने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं, जिनमें जातियों, संप्रदायों में घृणा या तनाव को बढ़ावा मिलेत्र. साथ ही किसी पूजा स्थल को चुनाव प्रचार के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता.
चुनाव आचार संहिता में रेप्रेजेंटेशन आॅफ पीपुल एक्ट 1951 के अधीन धारा 123 में भ्रष्ट आचरण के अंतर्गत आने वाले कृत्यों और आईपीसी की धारा 153 ए में दिए गए प्रावधानों में वर्जित कृत्यों से विरत रहने का निर्देश दिया गया है.
राजन के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज और सांसद व यूपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है.
6 जनवरी को साक्षी महाराज ने मेरठ के बालाजी महाराज और शनि धाम को चुनाव प्रचार के लिए प्रयोग किया. उन्होंने समाज में विद्रोह पैदा करने वाला भाषण दिया औश्र एक संप्रदाय के चार पत्नियों से 40 बच्चे पैदा कर देश की जनसंख्या बढ़ाने की बात का उल्लेख किया. साथ ही मांस के निर्यात द्वारा अर्जित आय को आतंकी गतिविधियों में प्रयोग करने की भी आपत्तिजनक बात कही गई.
इसी तरह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने एक अंग्रेजी अखबार को 8 जनवरी को दिए इंटरव्यू में पिछड़ी जाति के एक विशेष समुदाय अपनी पार्टी को वोट देने की अपील की गई है, जिसे अखबार के 10 जनवरी के अंक में छापा गया. ये स्पष्ट तौर पर चुनाव आचार संहिता के अधीन भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है.
राजन के अनुसार आयोग के समक्ष चुनाव आयोग में बसपा की याचिका में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध द इंलेक्शन सिंबल रिजर्वेशन एंड एलॉटमेंट आॅर्डर 1988 की धारा 16 ए के तहत कार्यवाही करते हुए उसकी मान्यता समाप्त करे और इसके साथ ही बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज और केशव प्रसाद मौर्या की वर्तमान संसद सदस्यता रद्द करते हुए उन्हें कोई भी चुनाव लड़ने से 6 वर्ष के लिए अयोग्य घोषित किया जाए.