बड़ा खुलासा: विमान दुर्घटना से एक दिन पहले कहां थे नेताजी
बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): एक वेबसाइट का दावा है कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान विमान हादसे में नेताजी बुरी तरह से झुलस गए थे, उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के बारे में बिट्रेन की एक वेबसाइट ने कई खुलासे किए है, वेबसाइट का दावा है कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान विमान हादसे में नेताजी बुरी तरह से झुलस गए थे, उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, नेताजी के आखिरी दिनों का ब्यौरा जारी करने के लिए ब्रिट्रिश वेबसाइट ने विवरण जारी किया है, इसका दावा है कि 18 अगस्त को हुए उस विमान दुर्घटना में प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कथित तौर पर नेताजी की मृत्यु हो गई थी। दस्तावेजों में उन लोगों का हवाला दिया गया है जो दुर्घटना से जुड़े मामलों में शामिल थे, मामले में दो ब्रिट्रिश खुफिया रिपोर्टे भी शामिल है, जो घटना स्थल का दौरा करने के बाद तैयार की गई थी, जो नेताजी के आखिरी शब्द रहे होंगे, वो भारत की आजादी के प्रति उनके समर्पण को जाहिर करते है, बोसफाइल्स डॉट इनफो द्वारा जारी बयान में कहा गया है, कि 70 बरसों से ये संदेह रहा है कि ऐसी दुर्घटना हुई थी।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से पर्दा उठाने के लिए भारत की तत्कालीन सरकार ने 1956 में आईएनए के मेजर जनरल शाहनवाज खान के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था, शाहनवाज खान बोस के आजाद हिंद फौज में मेजर जनरल थे, उन्होने बताया कि चूकि मौसम ठीक था, और इंजन भी सुचारु रुप से काम कर रहा था, तो पायलट ने हेतो के उपर से सीधे ताइपे जाने का फैसला लिया जहां सुबह या फिर दोपहर तक पहुंच जाते, लेकिन विमान के बाई ओर के इंजन में खराबी आ गई, जिससे विमान में एक विस्फोट हुआ,
कर्नल रहमान ने बताया कि नेता मेरी ओर मुड़े, मैने उनसे कहा कि आगे से निकलिए, पीछे रास्ता नहीं है, लेकिन हम प्रवेश द्वार से नहीं निकल पाए, क्योंकि वो पैकेज और अन्य चीजों से बंद था, नेताजी आगे आग से दौड़कर निकले, ऩेताजी आगे-आगे, पीछे-पीछे मैं, जब हम बाहर निकले, तो नेताजी के कपड़ों में पूरी तरह से आग लग चुकी थी, उस समय बोस सूती खाकी के कपड़े पहने हुए थे, जिसमें आग काफी आसानी से लग गई, रहमान ने उन्हें जमीन पर लिटाया, उन्होने देखा कि बोस के सिर पर कटने का एक गहरा निशान है, उनका चेहरा झुलस चुका था, बाल भी आग से झुलस गए थे, नेताजी ने उनसे हिन्दी में कहा, आपको ज्यादा तो नहीं लगी, इस पर रहमान ने जबाव दिया कि मैं सही सलामत हूं, मुझे लगता है कि आप नहीं बच पाएंगे, इस पर नेताजी ने कहा कि जब वो मुल्क वापस जाएं, तो देशवासियों को बताए कि वो आखिरी सांस तक आजादी के लिए लड़ते रहे, देश वासी जंग-ए-आजादी को जारी रखें, भारत जरुर आजाद होगा,
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, सितंबर 1945 में भारत में रह रहे अंग्रेज अधिकारियों ने नेताजी का अता-पता लगाने के लिए खुफिया टीमें भेजी, लेकिन अंग्रेज टीम उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय ये एक्सीडेंट की कहानी लेकर लौटी।
चार अलग-अलग रिपोर्ट के अनुसार एक-दूसरे से उलट साक्ष्य है, दस्तावेजों के अनुसार 18 अगस्त की सुबह जापान वायुसेना के बनबर्षक विमान वियतनाम के तूरान से सुभाष चंद्र बोस के अलावा 12-13 अन्य यात्रियों एवं चालक दल के सदस्यों के साथ उड़ान भरी, उन्होने दुर्घटना के 11 साल बाद सबूत दिए, वेबसाइट के अनुसार उनके बयानों में एक्सीडेंट होने और परिणाम में नेताजी के गंभीर रुप से झुलसने के तथ्यों के बारे में कोई दो राय नहीं है।