बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): दीपावली हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है। हिन्दुस्तान में माननीय सुप्रीम कोर्ट के बहुत से फैसले हिन्दुओ के त्योहारों के विपक्ष में ही रहे है। यह बहुत बार देखने को मिला की हिन्दू धर्म की परम्परा या रीति रिवाज को रोकने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट को जरा सा भी समय नहीं लगता। इसके विपरीत किसी दूसरे धर्म के वो रीति रिवाज भी सुप्रीम कोर्ट को जायज लगते है जो अमानवीय ही क्यों ना हो। 156 देशो में 1 जनवरी को पटाखे फूटते है तब प्रदूषण नहीं बल्कि सिर्फ खुशिया आती है , चलो हम 156 देशों की बात नहीं करते भारत में ही 25 दिसंबर और 31 दिसंबर को भी पटाखे फूटते है तब भी सुप्रीम कोर्ट को शायद यही लगता है की पटाखों से ऑक्सजीन निकल रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट और कुछ हिन्दू विरोधी लोगो को प्रदूषण सिर्फ दीपावली पर ही महसूस होता है।
दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर बैन के बाद त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। तथागत रॉय ने कहा है कि हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर कल को हिन्दुओं के चिता जलाने पर भी रोक लगा दी जाए। गवर्नर तथागत रॉय ने ट्वीट किया, ‘कभी दही हांडी,आज पटाखा ,कल को हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर मोमबत्ती और अवार्ड वापसी गैंग हिंदुओं की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे।’ तथागत रॉय राजनीतिक सामाजिक मुद्दों पर अपनी मुखर राय के लिए जाने जाते हैं। बता दें कि 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का हवाला देकर दिवाली से पहले पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। इंडिया टुडे से बात करते हुए तथागत रॉय ने कहा कि एक हिन्दू होने के नाते उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराशा हुई है। क्योंकि अदालत ने हिन्दू समाज से दिवाली उत्सव का एक अहम हिस्सा छीन लिया है।
कभी दही हांडी,आज पटाखा ,कल को हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर मोमबत्ती और अवार्ड वापसी गैंग हिंदुओ की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे !
दिल्ली में पटाखे बैन करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली है। लेखक चेतन भगत, पूर्व क्रिकेटर वीरेन्द्र सहवाग, संघ विचारक राकेश सिन्हा ने अदालत के इस फैसले पर नाराजगी जताई है। वहीं पर्यावरण से जुड़े संगठनों का कहना है कि दिल्ली की हवा को सांस लेने लायक बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला अहम है। चेतन भगत ने ट्वीट कर कहा कि आखिर हिन्दुओं के त्योहारों के साथ ही ऐसा क्यों होता है। चेतन भगत ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के कई और भी तरीके हैं, जैसे बिजली का कम उपयोग, एससी को बंद करना, इनपर भी अदालतों और स्वयंसेवी संगठनों का ध्यान जाना चाहिए।
तथागतचेतन भगत इससे पहले तब विवादों में आ गये थे जब उन्होंने म्यांमार से भारत आए रोहिंग्या मुसलमानों को ‘कूडा’ करार दिया था। रॉय ने ट्वीट कर कहा था कि, ‘कोई भी इस्लामिक देश या बांग्लादेश रोहिंग्या को स्वीकार नहीं करता है, लेकिन भारत जो कि दुनिया का महान धर्मशाला है वो इन्हें शरण देता है।’ तथागत रॉय के मुताबिक लेकिन अगर आप इन्हें ना कहते हैं तो आप अमानवीय कहे जाते हैं। उन्होंने आगे कहा था कि भारत को ‘रोहिंग्या कूडा’ को शरण नहीं देनी चाहिए ऐसा कहने पर उन्हें इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा ट्रोल होना पड़ा था। इससे पहले तथागत रॉय ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का हवाला देकर कहा था कि भारत में हिन्दू-मुस्लिम समस्या का हल गृहयुद्ध है। इस राय के लिए भी उनकी काफी आलोचना हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट के दीपवली पर पटाखे बैन वाले फैसले पर हिन्दुओ में काफी नराजगी है साथ ही पटाखे व्यपारी भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बहुत नराज है
दिल्ली-एनसीआर में दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भूचाल आ गया है। त्रिपुरा के गवर्नर तथागत रॉय ने बेहद कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जल्द ही हिन्दुओं के अंतिम संस्कार पर भी रोक लग सकती है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार क पटाखा विक्रेताओं को दिए नए और पुराने दोनों ही लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश दिया था। जिसके कारण 1 नवंबर से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पटाखे बिक सकेंगे। इसका मतलब साफ है कि इस बार दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में लोग 19 अक्टूबर को दिवाली पर पटाखे नहीं जला सकेंगे। त्रिपुरा के गवर्नर तथागत रॉय ने इसी पर तीखी टिप्पणी की है।
तथागत रॉय ने कहा है कि हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर कल को हिन्दुओं के चिता जलाने पर भी रोक लगा दी जाए। गवर्नर तथागत रॉय ने ट्वीट किया, ‘कभी दही हांडी,आज पटाखा ,कल को हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर मोमबत्ती और अवार्ड वापसी गैंग हिंदुओं की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे।’
राज्यपाल ने साफ किया कि वो एक हिन्दू होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नाखुश हैं, क्योंकि ये समुदाय को उसके उत्सव से जुड़े एक अहम पहलू से वंचित करता है। दिल्ली की आबोहवा की चिंता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो राजधानी की स्थिति से अवगत हैं। साथ ही तर्क दिया कि दिवाली साल में केवल एक बार ही आती है।
अपने ट्वीट्स के कारण चर्चा में रहने वाले त्रिपुरा के गवर्नर तथागत रॉय के एक ताजा ट्वीट से एक बार फिर सोशल मीडिया पर भूचाल आ गया है. उन्होंने दिल्ली एनसीआर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए पटाखों की बिक्री पर बैन के बाद कहा कि जल्द ही हिन्दुओं के अंतिम संस्कार पर भी रोक लग सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गौर करते हुए उन्हें इसमें एक सांप्रदायिक साजिश की बू भी नजर आई जो एक के बाद एक हिन्दू अनुष्ठानों को निशाना बना रही है. मंगलवार को उन्होंने ट्विट करते हुए लिखा, ‘कभी दही हांडी, आज पटाखा, कल को हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर मोमबत्ती और अवार्ड वापसी गैंग हिंदुओं की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे!’
बात करते हुए रॉय ने कहा कि एक हिन्दू के रूप में, पटाखों पर लगे प्रतिबंधों से अप्रसन्नता होती है. लेकिन उन्होंने अपने ट्वीट का बचाव करते हुए कहा, ‘मैंने अपनी संवैधानिक सीमा पार नहीं की है. मैं अपनी राय रखने का हकदार हूं.’
दिल्ली की आबो हवा की चिंता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो राजधानी की स्थिति से अवगत हैं. साथ ही तर्क दिया कि दिवाली साल में केवल एक बार ही आती है.
गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल की तरह राजधानी को जहरीली हवा से बचाने के लिए सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर एक नवंबर तक के लिए बैन लगा दिया. कोर्ट ने कहा कि हमें कम से कम एक बार दिवाली में पटाखे मुक्त उत्सव के प्रभाव को देखना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसकी निंदा की और इसे हिन्दू धर्म पर अतिक्रमण बताया. इस बीच हैशटैग इस्लामिक रूल के साथ लोगों ने ट्वीट करना शुरू किया जो की पूरे दिन ट्रेंड में रहा.
इस कड़ी में लेखक चेतन भगत भी ट्वीट कर शामिल हो गए. उन्होंने ट्वीट किया, ‘क्या मैं पटाखों की पाबंदी पर एक सवाल पूछ सकता हूं. सिर्फ हिंदू त्योहारों में ही ऐसा करने की हिम्मत क्यों आती है? मुहर्रम पर बकरों की बलि पर भी रोक लगे.’
जब एक ट्विटर यूजर ने भगत को बताया कि पटाखे से प्रदूषण होता है, तो लेखक ने सुझाव दिया कि प्रदूषण से निपटने के लिए और भी बेहतर तरीके हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारा सबसे बड़ा त्योहार है जो साल में एक बार आता है. उन्होंने तर्क दिया कि उबर ने किसी भी प्रतिबंध से अधिक प्रदूषण बचाया है. इसलिए हमें प्रतिबंध के बजाय नए इनोवेशन का इजात करना चाहिए.
यह पहली बार नहीं है जब रॉय के किसी बयान से विवाद खड़ा हुआ हो. कुछ महीने पहले, उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की एक डायरी का वो अंश ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने हिंदू-मुस्लिम समस्या के अंत के लिए गृहयुद्ध की बात कही थी.
उनके ताजा ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनका पक्ष लिया. वहीं, कुछ ने उनका यह कहते हुए उनकी कड़ी आलोचना की कि वो अब आरएसएस के सदस्य नहीं हैं बल्कि वो एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं.