November 15, 2024
notebandi

शादी के लिए नही मिल पा रहा पैसा- पैसे के अभाव में नही हो पा रहा बीमारों का इलाज

बीसीआर (नई दिल्ली): भारत सरकार द्वारा नोट बन्दी के फैसले के 19 दिनों बाद भी ग्रामीण इलाकों में कार्यरत 56 ग्रामीण बैंकों की 21 हजार से अधिक शाखाएं नकदी के घोर संकट से जूझ रही हैं। गांवों में दिनों दिन स्थिति भयावह होती जा रही है। लोग दिन भर लाइन में लग कर अपनी पारी का इंतजार करते हैं और शाम को मायूस हो कर वापस लौट रहे हैं। पैसे के अभाव में शादी ब्याह और बीमारी का इलाज जैसे जरूरी काम भी ग्रामीण नही कर पा रहे हैं। कई बैंकों में नाराज ग्राहकों ने बैंक का चैनल ही बन्द कर दिया। तमाम शाखाओं पर विरोध में ग्राहक धरने पर बैठ गये। प्रायोजक बैंक पूरी तरह से ग्रामीण बैंकों के साथ नकदी मुहैया कराने के मामले में सौतेला व्यवहार कर रहे हैं। यह भी आरोप लगाया गया है कि बैंकिग उद्योग के अधिकारी ग्रामीण इलाके की उपेक्षा कर रहे हैं। शहरी क्षेत्र में तो पढ़े लिखे लोग कैश के अभाव में इलेक्टिानिक माध्यम से धन का स्थानान्तरण कर ले रहे हैं परन्तु ग्रामीण इलाकें में वित्तीय साक्षरता की कमी के चलते नकदी पर ही पूरी निर्भरता है ऐसे में गांवो में नकदी का प्रवाह अधिक किया जाना चाहिए था।

रिजर्व बैंक द्वारा भेजी जाने वाली करेंसी नगरों और महानगरों की बैंक शाखाओं और एटीएम में ही खत्म हो जा रही है। थोड़ा बहुत कैश यदि देहात के करेंसी चेस्ट में पंहुच भी रहा है तो वह उसी बैंक की अन्य शाखाओं की भूख मिटा रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक जिनके पास अपना करेंसी चेस्ट भी नही है, कैश के लिए प्रायेाजक बैंक का मुंह ताकते रह जा रहे हैं।
नवम्बर माह के चैथे हॅफते में लगातार दो दिनों की बन्दी के बाद सोमवार को बैंक खुल रहे हैं पर इनकी तिजोरी में रकम नदारद है जिससे बैंक कर्मी सहमें हुए हैं।

इस स्थिति को देखते हुए यूनाइटेड फोरम आफ आरआरबीयूनियन्स ने प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, श्री उर्जित पटेल रिजर्व बैंक गर्वनर और बैंकिग सचिव श्रीमती अंजुली दुग्गल को एस0ओ0एस0 मैसेज और फैक्स मैसेज भेज कर दिनों दिन भयावह हो रही ग्रामीण बैंकों में कैश की समस्या का समाधान दिलाये जाने की मांग की है। पत्र में मांग की गयी है कि ग्रामीण क्षेत्र पर सरकार विशेष ध्यान देते हुए नकदी की समुचित व्यवस्था करे।

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