बीसीआर न्यूज़ (नई दिल्ली): जानेमाने पंजाबी लेखक और उपन्यासकार गुरदयाल सिंह का मंगलवार को यहां निधन हो गया। उनके परिजनों ने बताया कि वे पिछले कुछ समय से बीमार थे। सिंह 83 वर्ष के थे। उनके निधन पर साहित्य जगत ने शोक संवेदना जताई है। सिंह ने पंजाबी भाषा, साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काफी योगदान दिया। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में ‘मढ़ी दा दीवा’ शामिल है।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने सिंह के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वे सर्वाधिक नामचीन पंजाबी लेखकों में शामिल थे और उन्होंने हमेशा अपने उपन्यासों और लघु कहानियों के माध्यम से ग्रामीण पंजाब में रहने वाले आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित लोगों का चित्रण किया। गुरदयाल सिंह शिक्षक थे और 1995 में पटियाला में पंजाबी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्हें 1998 में पद्मश्री, 1999 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, नानक सिंह उपन्यासकार पुरस्कार (1975), सोवियत नेहरू पुरस्कार (1986) आदि से भी सम्मानित किया गया। उनके उपन्यास पर आधारित फिल्म ‘मढ़ी दा दीवा’ को 1989 में पंजाबी भाषा की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था। सिंह के उपन्यास ‘अन्ने घोड़े दा दान’ पर आधारित एक अन्य फिल्म को आॅस्कर पुरस्कारों के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के तौर पर चुना गया था।