बीसीआर न्यूज़/नई दिल्ली: आपको बता दें कि, गज़वा ए हिन्द एक कट्टरपंथी मानसिकता की विकृति हैं, जो भारत के साथ पूरी दुनिया पर सिर्फ अपने ही कट्टरपंथी धर्म इस्लाम का परचम लहरा कर पूरे विश्व पर इस्लामिक शासन कायम करने की कट्टरपंथी सोच हैं, जो एक सोची समझी साजिश, अगर देखा जाए तो ये मुगलों के समय से अब तक चली आ रही हैं एक गहरी साजिश हैं, और अब फिर दौबारा से इसे अमली जामा पहनाने की हैं कुछ कट्टरपंथियों का मकसद हैं, जो अब शायद कभी इनका ये मकसद पूरा नहीं होगा. क्योंकि अब पूरी दुनिया के सामने इन कट्टरपंथियों का ये कट्टरवादी मकसद सामने आ चुका हैं, जिसमे कुछ देशों में तो इस्लाम धर्म व इनके अनुयाइयों का बहिष्कार भी होना शुरू हो गया हैं, तो आइए जानते हैं कि,आखिर हैं क्या ये गज़वा ए हिन्द जिहाद का मकसद ओर साजिश।
गज़वा-ए-हिंद इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के कुछ व्याख्यान में की गई एक भविष्यवाणी है जो मुसलमानों और काफिरों के बीच भारत में एक युद्ध की पूर्वकथन करती है जिसके परिणामस्वरूप मुसलमानों की जीत होती है और एकेश्वरवाद तथा शरिया कानून लागु होगा।
[1] भविष्यद्ववाणी: हदीस संग्रह में भविष्यवक्ता ने कहा है.
थौबान (रज़ी अल्लाहु अन्हु) द्वारा वर्णित
“मेरी उम्मा के दो समूह हैं जिन्हें अल्लाह आग से मुक्त करेगा: वह समूह जो भारत पर हमला करता है और दूसरा जो ईसा इब्न मरियम के साथ होगा”।
[2] सुन्नन नासाई, जिहाद की पुस्तक, 3175
अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) द्वारा वर्णित
“अल्लाह के दूत ने वादा किया था कि हम भारत पर आक्रमण करेंगे। अगर मैं यह देखने के लिए रहता हूं तो मैं खुद को और मेरी संपत्ति को निछावर करूंगा। अगर मैं मर गया तो मैं शहीदों में से एक बनूंगा और यदि मैं वापस आऊंगा तो मैं अबू हुरैरा अल-मुहरर (आग से मुक्त) हूँगा “।
[3] सुन्नन-नासाई, जिहाद की पुस्तक, 3173 और 3174.
अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) द्वारा वर्णित,”इस उम्मा में सैनिक सिंध और हिंद की ओर बढ़ेंगे” ।
[4] किताब अल-फितन (नाइम इब्न हमाद).
अबू हुरैरा तथा सफवान बिन उमरो (रज़ी अल्लाहु अन्हुम) द्वारा वर्णित, “उम्मत का एक समूह भारत को पराजय देगा, अल्लाह उनके लिए भारत को खोल देगा जब तक कि वे वहां के राजाओं को जंजीरों के साथ बांध कर नहीं लौटते- अल्लाह उन योद्धाओं को माफ कर देगा – जब वे वापस लौटेंगे (भारत से), उन्हें सीरिया में ईसा इब्न मरियम मिलेगा” ।
[5] किताब अल-फितन (नाइम इब्न हमाद).
हज़रत काब (रज़ी अल्लाहु अन्हु) द्वारा वर्णित “यरूशलेम (बैतुल मकदीस) का एक सुलतान योद्धाओं को हिंदुस्तान की तरफ आगे बढ़ेगा। योद्धा हिंद की भूमि को नष्ट कर देंगे और वहां के खजाने को जब्त कर लेंगे जिसे सुलतान यरूशलेम की सजावट के लिए उपयोग करेगा। वह सेनाएं भारतीय राजाओं को यरूशलेम के सुलतान के सामने लाएंगी। सुलतान के आदेश से उनके योद्धा पूर्व और पश्चिम के बीच के सभी क्षेत्रों को पराजित करेंगे और दज्जल की उपस्थिति तक हिंदुस्तान में रहेंगे” ।
[6] किताब अल-फितन (नाइम इब्न हमाद).
ईमाम इब्न काथिर (रहमतुल्लाह अलैह), एक सीरियाई इतिहासकार ने अपनी किताब “अल-बिदाया वा-एन-निहाया।” में इस भविष्यवाणी के तहत 1024 में सोमनाथ मंदिर पर गजनवी के हमले को शामिल किया है।
[7] शाह नेमतुल्लाह वली
पंद्रहवीं शताब्दी के एक फारसी सूफी विद्वान और कवि शाह नेमतुल्लाह वली (रहमतुल्लाह अलैह) ने अपने क़ासिदा “पेश गोई” के कुछ श्लोक में इस भविष्यवाणी को ले कर कहा है कि
दुनिया के चारों कोनों के मुस्लिम योद्धा हिंद के खिलाफ गठबंधन बनाने के लिए हाथ मिलाएंगे और वह गंगा नदी तक विजय प्राप्त करेंगे और मुजाहिदीन के लिए युद्ध की लुटे हुवे माले ग़नीमत में सुंदर लड़कियां तथा प्यारी सौम्य महिलाएं शामिल होंगी।
[8] कुछ विद्वानों का मानना है कि जब मुसलमानों ने मुआविया इब्न अबी सूफयान (रज़ी अल्लाहु अन्हु) और इसके बाद महमूद इब्न सुबुक्तिगिन (महमूद ग़ज़नवी), मुइजुद्दीन मुहम्मद घोरी, तैमूर बिन तरघय बर्लास, अहमद शाह अब्दाली आदि के शासनकाल के दौरान भारत पर हमला किया था तब भविष्यवाणी पूरी हो चुकी है। विद्वानों की एक अल्पसंख्यक राय है कि पैग़म्बर मुहम्मद की नुबुव्वत से लेकर क़ियामत तक मुसलमानों और काफ़िरों के बीच भारत को लेकर किसी भी संघर्ष को इस हदीस में शामिल किया जा सकता है।अन्य लोग मानते हैं कि गजवा-ए-हिंद अभी तक पूरी तरह से नहीं हुई है लेकिन ऐसा तब होगा जब ईसा बिन मरियम (जीसस) और इमाम महदी (अलैहुम सलाम) विवरण की गई परंपराओं के अनुसार स्वर्ग से उतर कर दज्जाल से युद्ध करते हैं।
[9] जिहाद: गजवतुल-हिंद: आस्था की बात.
गजवतुल-हिंद उन दिनों इस्लामिक सामाजिक और राजनीतिक हलकों में, विशेष रूप से अल कायदा और टीटीपी थिंक टैंकों के बीच एक चर्चा का विषय थी। यह कोई कल्पना नहीं है; इसकी जड़ें हदीस (परंपरा) में हैं, जिसे हम ध्यान में रखेंगे।
[10] बहस आयामी है। ग़ज़वा (बहुवचन ग़ज़ावत या ग़ज़वी ) एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ सशस्त्र अभियान है। इस्लाम के पैगंबर (PBUH) ने व्यक्तिगत रूप से अपने जीवनकाल में विरोधियों के खिलाफ कई अभियानों का नेतृत्व किया। मुस्लिम इतिहासकारों ने इन्हें काफी सटीकता के साथ दर्ज किया है।
लेकिन अगर देखा जाए तो कुछ टिप्पणीकारों का तर्क है कि एक ग़ज़वा वह है जिसमें पैगंबर ने अभियान का नेतृत्व किया था। इसलिए, भारत के खिलाफ वफादार के नेतृत्व में एक अभियान, लेकिन पवित्र पैगंबर के नेतृत्व में शारीरिक रूप से नहीं, जैसा कि हदीस से लिया गया है, को ग़ज़वा नहीं कहा जा सकता है, हालांकि प्रचारक मुजाहिदीन की उपाधि ग्रहण कर सकते हैं । उनके अनुसार उचित नामकरण जंग-ए-हिंद होगा जैसे जंग-ए-ओहोद या जंग-ए-सिफिन।
लेकिन ग़ज़ावतुन-नबी (पैगंबर के नेतृत्व में अभियान) की एक विशेषता यह है कि जीत हमेशा पैगंबर के लिए ही निश्चित थी। इसी तरह ग़ज़वतुल-हिंद में विश्वासियों के लिए भी पूर्ण सफलता की भविष्यवाणी की गई है।।