अजय शास्त्री (प्रकाशक व संपादक)
बीसीआर न्यूज़/नई दिल्ली। इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प्स की तरफ से “प्रेस फ्रीडम” पर परिसंवाद का आयोजन किया गया । इस मौके पर प्रेस क्लब आफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने चिंता जताते हुए कहा कि दुनिया भर के पत्रकारों को चुनौतियों और खतरों का सामना करना पड़ रहा है, ख़ासतौर पर भारत में प्रेस की आजादी पर गंभीर खतरा है, इससे निपटने के लिए एकजुट होने पर उन्होंने बल दिया।
अंतरराष्ट्रीय प्रेस फ्रीडम पर आयोजित परिसंवाद में लाहिड़ी ने एक “नेशनल मीडिया पॉलिसी” बनाने की मांग करते हुए कहा कि मीडिया को करदाताओं के पैसे से फंडिंग होती है उसके बावजूद मीडिया सिर्फ सरकार का पक्ष ही जनता के सामने पेश कर रहा है। सरकार की नीतियों की आलोचना करने पर पत्रकारों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून जैसे काले कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी प्रचार माध्यमों में विपक्ष की आवाज को पूरी तरह नजर अंदाज किया जा रहा है।
फारेन कारेस्पोडेंट क्लब आफ साउथ एशिया के अध्यक्ष एस वेंकट नारायण ने कहा हर देश की सरकारें मीडिया पर नियंत्रण करना चाहती है। बकौल नारायण फ्रीडम ऑफ प्रेस वास्तविकता से ज्यादा एक मिथ है। किसी ने सरकार की नीतियों का विरोध किया तो उसे एंटी गवर्नमेंट मान लिया जाता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि देश की नई सरकार इस बारे में सही और संतुलित सोच अपनाएगी। दिल्ली यूनियन आफ जर्नलिस्ट की अध्यक्ष सुजाता मधोक ने कहा कि पत्रकारों को उनके काम से रोकने के लिए उन पर शारीरिक हमलों के साथ ही कानूनी जाल में फंसाने, इंटरनेट के जरिए भद्दी टिप्पणियां कर उत्पीड़ित किया जाता है।डीजी पब के सह संस्थापक व महासचिव अभिनंदन सिकरी ने कहा कि पत्रकारों को इन खबरों से निपटने और लोकतंत्र में मीडिया की वास्तविक भूमिका को समझने, अपनी विश्वसनीयता को कायम रखने पर ध्यान देना चाहिए। प्रेस एसोसिएशन के जयशंकर गुप्त ने कहा कि मीडिया ने अपने प्रेस फ्रीडम को मीडिया मालिकों और सरकारों के पास गिरवी रख दिया है। उन्होंने कहा कि प्रेस की आजादी के मामले में भारत 180 देशों 161वें स्थान पर आ गया है। सेंटर फार प्रोटेक्शन ऑफ जर्नलिस्ट के इंडिया रिप्रेजेंटेटिव कुणाल मजूमदार की अनुपस्थिति में उनके वक्तव्य पढ़ें गये जिसमें उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि पत्रकारों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाता हैं। इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प्स की अध्यक्ष पारूल शर्मा ने परिसंवाद का संचालन करते हुए कहा कि इस चुनौतीपूर्ण दौर में सच्चाई को उजागर करना एक जोखिम भरा काम है ऐसे ही निष्पक्ष पत्रकारों की वजह से काफी हद तक पत्रकारिता जिंदा है। ऐसे पत्रकारों को उन्होंने तहेदिल से शुक्रिया किया।