क्रिएटर्स कोई जज नहीं होते, इसलिए उन्हें किसी मसले को सिर्फ संबोधित करना करना चाहिए: हाशमी
बीसीआर न्यूज़/गोवा: एक मशहूर पंक्ति है जो कहती है कि “कला को विचलित लोगों को आराम देना चाहिए और आरामतलब को विचलित करना चाहिए।” मुझे लगता है कि ये फ़िल्म समाज के उन आरामतलब लोगों को विचलित करेगी जिन्हें जाति, वर्ग और दूसरे सत्तावादी मानकों के जरिए आराम मिलता है। ये वो बातें हैं जो भारतीय पैनोरमा की गैर-फीचर फ़िल्म स्वीट बिरयानी के निर्देशक के. जयचंद्र हाशमी ने आज गोवा में 52वें इफ्फी महोत्सव के दौरान आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कही।
प्रेस को संबोधित करते हुए हाशमी ने कहा कि ये कहानी एक फूड डिलीवरी बॉय ‘मारीमुथु’ और एक दिन में उसके साथ बीतने वाले अनुभवों के बारे में है। वो बहुत सारे फूड पैकेज डिलीवर करने के लिए जा रहा होता है, उसे एक ऐसा परिवार मिलता है जिसके पास खाने के लिए भोजन नहीं है, लेकिन वो खुद असहाय है और उसको कुछ खिला भी नहीं सकता। फ़िल्म में इसी विडंबना को पेश किया गया है।उन्होंने कहा, “भारत में कई लोगों के लिए शानदार भोजन होना एक आम बात है और कई लोगों के लिए सिर्फ खाना ही अपने आप में एक विलासिता है। मैं इन दो उलट विचारों को अपनी फ़िल्म में लाना चाहता था।”
हाशमी ने कहा कि ये फिल्म एक फूड डिलीवरी बॉय की रोज़मर्रा की ज़िंदगी के बारे में है और रोज़ उसके सामने पेश आने वाली उन चुनौतियों के बारे में है जिन पर कोई ग्राहक शायद ही ध्यान देता है या सहानुभूति रखता है। उन्होंने बताया, “इस फ़िल्म को बनाने के बाद मैंने भोजन का सम्मान करना और जब फूड डिलीवरी में देरी हो जाए तो अपना आपा खोए बिना, धैर्य के साथ इंतजार करना सीख लिया है। यही वो बदलाव है जो ये फ़िल्म मुझमें लाई है और यह इस फिल्म की कामयाबी है।”
अपनी फिल्म मेकिंग शैली के बारे में बात करते हुए निर्देशक ने कहा कि क्रिएटर्स कोई जज नहीं होते हैं और उन्हें सिर्फ किसी मुद्दे को संबोधित करना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैंने जिस तरह अपनी कहानी की कल्पना की थी, उसे बस उसी तरह दिखाया है। मैंने कोई समाधान नहीं बताया है। क्योंकि ये तो दर्शकों के हाथ में है।”
फिल्म के नाम के पीछे क्या विचार था, इस बारे में एक सवाल के जवाब में हाशमी ने कहा कि फिल्म का जो मुख्य किरदार है मारीमुथु, वो क्लाइमैक्स में जब एक ग्राहक का बुरा बर्ताव देखता है तो उस असभ्य ग्राहक द्वारा ऑर्डर की हुई बिरयानी किसी दूसरे इंसान को डिलीवर कर देता है। ये एक घटना उसके ज़ेहन को बदल देती है और उसकी सारी बेइज्ज़ती और निराशा को मिटा देती है। उन्होंने कहा, “ये मसालेदार बिरयानी मारीमुथु के चेहरे पर मुस्कान लेकर आई और मुझे उम्मीद है कि ये दर्शकों के चेहरे पर भी मुस्कान लाएगी।”
मारीमुथु की भूमिका निभाने वाले सरिथिरन और फिल्म के संपादक गौतम जी.ए. ने भी इस अवसर पर अपने अनुभव साझा किए। दर्शकों के ख़ास अनुरोध पर सरिथिरन ने “स्वीट बिरयानी” में मारीमुथु के बहुत पसंद किए गए चलने के अंदाज को करके दिखाया और धूम मचा दी।
संवाददाता स्वाति भट