बीसीआर न्यूज़/उत्तर प्रदेश/लखनऊ: आपको अवगत करा दें कि, जैसे जैसे इन दिनों श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य यूपी की भाजपा योगी आदित्यनाथ सरकार के नेतृत्व में जोर-शौर प्रगति पर चल रहा हैं, वही आपको सैकड़ो वर्षो से बबरी मस्जित-रामजन्म भूमि विवाद चला आ रहा था, जिसमे सन 1990 में उस समय की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार में उस समय मे वर्तमान मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की कट्टर इस्लामिक सोच के चलते हजारो रामभक्त कारसेवकों पर पुलिस को गोली चलाने का आदेश देकर दर्जनों रामभक्तों को बेदर्दी से मौत के घाट उतरवा दिया था, जिसके बाद से ही समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह को कट्टर मुस्लिम समर्थक के रूप में जाना जाने लगा व तभी से मुलालम सिंह का नाम मुल्ला-मुलायम के नाम से जाना जाने लगा।
जिसमे रामजन्मभूमि को लेकर कई आंदोलन हुए और एक आंदोलन ऐसा था, जिसमें उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने एक फैसला ऐसा लिया, जिससे वो मुल्ला मुलायम के नाम जाना जाने लगया।
दरअसल, आज से करीब 30 साल पहले राम मंदिर निर्माण को लेकर साधु संत आयोध्या जा रहे थे और उनके साथ रामभक्त श्रद्धालुओं की भीड़ भी अयोध्या पहुंच रही थी। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा रखा था। इसके चलते श्रीराम के भक्तों को अयोध्या में जाने नहीं दिया गया। पुलिस ने बाबरी मस्जिद के आस—पास बैरिकेडिंग कर रही थी। इस सबको देखते हुए कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई और 30 अक्टूबर 1990 को पुलिस ने कारसेवकों पर गोली चला दीं, जिसमें पांच कारसेवकों की मौत हो गई। इससे गुस्साए कारसेवक हजारों की तादाद में 2 नवंबर 1990 को अयोध्या में हनुमान गढ़ी तक पहुंच गए। यह जगह बाबरी मस्जिद के करीब थी। जैसे ही कारसेवक वहां पहुंचे पुलिस ने उन पर ताबड़तोड़ गोलीबारी कर दी, जिसमें करीब डेढ़ दर्जन कारसेवकों की मौत हो गई। इन कासेवकों का नेतृत्व उमा भारती, अशोक सिंघल और स्वामी वामदेवी कर रहे थे।
कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने इन कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। कारसेवकों पर इस तरह गोली चलाने का आदेश देने के कारण ही मुलायम सिंह को मुल्ला मुलायम कहा जाने लगा। उन्हें मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए जाना जाने लगा और हिंदुओं का विरोधी समझा जाने लगा। हालांकि इस घटना के लगभग 23 साल बाद मुलायम सिंह ने इसे अपनी बड़ी भूल बताया, लेकिन उसके दाग आज तक उसके दामन पर लगे हैं और आज भी मुलायम सिंह को कट्टर इस्लामिक समर्थक मुल्ला मुलायम कहा जाता है।
पुलिस के इस तरह गोली चलाने की खूब निंदा हुई और इसके परिणाम स्वरूप दो साल बाद नवंबर 1992 में उग्र हिंदूनेताओं की अगुवाई में बाबरी मस्जिद को धराशाही कर गिरा दिया गया। और इसके बाद आए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मुलायम सिंह बुरी तरह हार गया था।
विनुविनीत त्यागी
(बी.सी.आर. न्यूज़)