November 15, 2024
Indira Gandhi

बीसीआर न्यूज़/नई दिल्‍ली: आपको बता दें कि, भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सबसे दिली अजीज व भरोसेमंद,वफादार आर.के.धवन जो इंद्रा गांधी के सुबाह उठने से लेकर रात को सोने तक हरपल साथ रहने वाले शख्स आर. के. ध्वन पर इंद्रा गांधी अपने से ज्यादा धवन पर आंखे मीचकर अंधा विश्वास करती थी।

धवन और इंद्रागांधी की कुछ मुख्य विशेष बातें जरा संक्षेप में..
इंदिरा गांधी के सबसे भरोसेमंद साथी हुआ करते थे आरके धवन.
आपातकाल से लेकर इंदिरा गांधी की हत्‍या… धवन सबके गवाह.
जब इंदिरा सत्‍ता से बाहर हुईं तो धवन ने नमाज तक पढ़वा दी थी.
जोर-जबर्दस्‍ती से नहीं, तरकीब भिड़ाकर काम निकलवाते थे धवन
वक़्त नहीं है?
इंदिरा गांधी के साथ साये की तरह रहते थे धवन।

बता दें कि, राजेंद्र कुमार धवन की वफादारी का आलम यह था कि 1963 के बाद से उन्‍होंने एक भी की दिन छुट्टी नहीं ली थी।

इंदिरा गांधी के समय में ऐसा कुछ भी नहीं जो आरके धवन की पहुंच से दूर हो। वह सत्‍ता के शीशमहल के दरबान थे। गांधी से कौन मिलेगा, कौन नहीं… धवन तय करते थे। फोन पर बातचीत भी धवन के जरिए ही होती थी। कभी-कभी तो धवन प्रधानमंत्री की तरफ से फैसले भी ले लिया करते थे। सोनिया गांधी की जीवनी लिखने वाले रशीद किदवई के अनुसार, धवन के नाम पर 1963 के बाद एक भी छुट्टी न लेने का रेकॉर्ड था। वेटरन पत्रकार जनार्दन ठाकुर से धवन ने कहा था, “मैं प्रधानमंत्री के साथ हर रोज सुबह 8 बजे से लेकर रिटायर होने (सोने जाने) तक रहता हूं, साल के 365 दिन, कोई कैजुअल लीव नहीं, कोई अर्न्‍ड लीव नहीं, कोई छुट्टी नहीं…”

अपने चाहते,आर.के.धवन पर आंख मूंदकर अंधा विश्‍वास करती थी इंदिरा गांधी.

इंदिरा गांधी पर आर.के.धवन का कितना प्रभाव था, इस बात का अंदाजा 1980 में हुए एक वाकये से लगा सकते हैं। जनवरी में हुए आम चुनावों ने इंदिरा को सत्‍ता से बाहर कर दिया। इस वक्‍त धवन तरह-तरह के गुरुओं, मौलवियों, बाबाओं और मुनियों को लेकर आते ताकि इंदिरा का मन शांत रह सके। इन्‍हीं में से एक थे मौलाना जमील इलयासी। इलयासी नई दिल्‍ली के कस्‍तूरबा गांधी मार्ग पर एक मस्जिद में मौलवी थे। इलयास ने भविष्‍यवाणी की कि सातवें लोकसभा चुनाव में इंदिरा की प्रचंड जीत होगी अगर वो उन्‍हें अपने बेडरूम में जाने दें!

इलयासी की मांग धवन ने मंजूर कर दी और फिर छत पर एक गंडा (टोटके के लिए) बांधा गया। इंदिरा से इलयासी ने कहा कि 350 से ज्‍यादा संसदीय सीटें जीतने के बाद फौरन उन्‍हें बुलाया जाए ताकि गंडा यहां से हटाया जा सके। चुनाव में इंदिरा ने 353 सीटें जीतीं। हालांकि जीत के बाद इंदिरा के दिमाग से इलयासी की बात उतर गई। मगर 23 जून, 1980 को एक विमान हादसे में संजय गांधी का असमय निधन हो गया।

जब इंदिरा ने पढ़ी नमाज

इंदिरा टूट चुकी थीं। इलयासी फिर से हाजिर हुए और बिफरे कि उन्‍हें ताकतवर गंडा क्‍यों हटाने नहीं दिया जिसके चलते यह दुर्घटना हो गई। इलयासी ने कहा कि जो ‘गलत’ हुआ है, उसे अभी ठीक करना होगा। किदवई ने एक लेख में लिखा है कि उस वक्‍त बेहद कमजोर महसूस कर रहीं इंदिरा ने इलयासी की बात मान ली। इलयासी ने कहा कि खुदा से दुआ कीजिए। जो शारीरिक भंगिमाएं इलयासी ने बताईं, वे नमाज पढ़ने जैसी थीं। जब इंदिरा ने कहा कि वे नमाज अदा करना नहीं जानतीं तो इलयासी बोले कि वे बस उनकी नकल करें। इलयासी जैसा-जैसा कहते, इंदिरा वैसी करती गईं। धवन उस समय वहीं मौजूद थे।

साम-दाम, दंड-भेद.. सबमें माहिर थे धवन.

जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया तो धवन की ताकत काफी बढ़ गई। विपक्ष के कई नेताओं को 21 महीने के आपातकाल के दौरान जेल में डाल दिया गया। धवन ने इस मौके का अपने तरीके से फायदा उठाया। बुजुर्गों और बीमार नेताओं को धवन ने थोड़ी रियायतें दिलवाईं। मगर इसके पीछे कोई मानवता नहीं थी। धवन ने मदद के बदले उनसे एक कागज पर हस्‍ताक्षर कराए जिनपर लिखा था कि ‘हमें बीस सूत्री कार्यक्रमों पर विश्‍वास है।” 20 सूत्रीय कार्यक्रम इंदिरा की सबसे प्रिय योजना थी। राजनीतिक रूप से उस कार्यक्रम को मानना इंदिरा के सामने आत्‍मसमर्पण जैसा था। संसद के भीतर और बाहर, धवन ने कई बार धमकी थी कि वे इन नेताओं के नाम सार्वजनिक कर देंगे। वादा तो उन्‍होंने रशीद किदवई से भी यहीं किया था मगर पूरा नहीं कर पाए।

74 साल की उम्र में रचाई थी धवन ने शादी.

16 जुलाई 1937 को जन्‍मे राजेंद्र कुमार धवन ने 74 साल की उम्र तक शादी नहीं की। हालांकि कांग्रेस के भीतरी सर्किल्‍स में धवन और अचला मोहन को कपल की तरह ही देखा जाता है। 1990 में अचला ने अपने पति से तलाक ले लिया था, उसके बाद कई शादियों और सामाजिक कार्यक्रमों में वे और धवन साथ-साथ नजर आए। आखिर अक्‍टूबर, 2011 में दोनों ने शादी कर ली। 81 साल की उम्र में धवन ने दिल्‍ली में आखिरी सांस ली।।

विनुविनीत त्यागी
(बी.सी.आर. न्यूज़)

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