बीसीआर न्यूज़/नई दिल्ली: आपको बता दें कि, भारतीय फिल्म इंड्रस्टीज के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार (यूसुफ खान) का 98 साल की उम्र में बुधवार सुबह निधन हो गया है. दिलीप कुमार को काफी समय से सांस लेने में दिक्कत थी और उन्होंने मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में आखिरी सांस ली. दिलीप कुमार के निधन के बाद पीएम मोदी समेत देश के कई बड़े राजनेताओं ने भी शोक जताया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
आपको अवदात करा दें कि, बॉलीवुड के सुपर स्टार रहे दिलीप कुमार के नाम से मशहूर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता यूसुफ़ खान का बुधवार को निधन हो गया है. जिन दिलीप कुमार की मौत पर बॉलीवुड तथा फिल्मों के शौक़ीन लोग आज ग़मगीन हैं, उन दिलीप कुमार का वास्तविक नाम यूसुफ़ खान था. दिलीप कुमार उर्फ़ यूसुफ़ खान का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था जो उस समय अविभाजित भारत का ही हिस्सा था. जब युसूफ खान फिल्मों में आए तो उन्होंने अपना नाम बदलकर दिलीप कुमार कर लिया.
दिलीप ने कई बड़ी हिट फ़िल्में दी थीं लेकिन उनके साथ कई विवाद भी जुड़े रहे. सबसे पहला विवाद तो यही था कि वह मुसलमान थे लेकिन इसके बाद भी उन्होने दिलीप कुमार के नाम से अपनी पहचान बनाई. देश को ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी और शायद आज भी न हो कि दिलीप कुमार हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम हैं तथा उनका नाम युसूफ खान है. कहा जाता है कि एक प्रोड्यूसर के कहने पर अभिनेता ने अपना नाम युसूफ खान से दिलीप कुमार कर लिया था जिसके बाद वह बॉलीवुड के सुपरस्टार बन गए.
इसके अलावा दिलीप कुमार को लेकर जो सबसे बड़ा विवाद है वो है उन पर पाकिस्तान का जासूस होने का आरोप. ये आरोप उस समय और पुख्ता हुआ था जब दिलीप कुमार को पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान ए इम्तियाज़ दिया गया. उस समय सवाल उठे कि दिलीप कुमार को ये सम्मान पाकिस्तान की जासूसी के लिए दिया जा रहा है. देशभर से ये आवाजें उठी कि दिलीप कुमार ये सम्मान न लें लेकिन वह नहीं माने तथा सुनील दत्त को साथ लेकर पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान को लेने के लिए पाकिस्तान गए.
दिलीप कुमार पर पहली बार पाकिस्तानी जासूस होने का आरोप पहली बार 60 के दशक में लगा था जब दिलीप कुमार के यहां कोलकाता पुलिस ने छापा मारा. दिलीप कुमार के घर पर कार्रवाई का आधार ये था कि कोलकाता पुलिस ने एक पाकिस्तानी जासूस को गिरफ्तार किया था, जिसके पास से एक डायरी मिली थी जिसमें दिलीप कुमार का नाम था. इस मामले को लेकर काफी बवाल मचा तथा दिलीप कुमार की इमेज पर भी सवाल खड़े हुए.
बाद में मामला इस तरह रफा दफा कर दिया गया था वो पाकिस्तानी जासूस दिलीप कुमार का प्रशंसक था. इसको लेकर यह भी आरोप लगाया जाता है कि कुछ लोगों के दवाब में ये थ्योरी गढ़ी गई थी कि पकड़ा गया जासूस दिल्लीप कुमार का प्रशंसक था. ये अभी आरोप लगता है कि दिलीप कुमार उर्फ़ यूसुफ़ खान के घर से रेडियो ट्रांसमीटर बरामद किया गया था, जिससे वह फिल्म इंडस्ट्री में मुसलमान जासूसों का एक ग्रुप चलाते हैं तथा उसके लीडर हैं.
कहा जाता है कि इस मामले को भी यह कहकर रफा दफा कर दिया गया कि वह पाकिस्तानी गाने सुनने के शौक़ीन हैं , इसलिए ये ट्रांसमीटर रखा गया है. हालंकि इस दावे पर भी तमाम सवाल खड़े किये गए लेकिन वास्तविक सच क्या है, ये कोई नहीं जानता. लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर किसी सामान्य व्यक्ति के यहां पाकिस्तान तक पहुँच वाला रेडियो ट्रांसमीटर बरामद किया जाए तो क्या उस पर कोई कार्यवाई नहीं होगी?
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है 1998 में दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान ए इम्तियाज़ दिया गया था. दिलीप कुमार के शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे से अच्छे संबंध थे. उस समय बाला साहेब ने दिलीप कुमार से मना किया था कि वह पाकिस्तान के इस सम्मान को लेने से इंकार कर दें. जब बाला साहेब ने विरोध किया तो देश का एक बड़ा वर्ग बाला साहेब के साथ आ गया तथा दिलीप कुमार से कहा गया कि वह इस पाकिस्तानी सम्मान को न लें. दिलीप कुमार ने बाला साहेब की बात नहीं सुनी थी तथा सुनील दत्ता को लेकर वह पाकिस्तान गए थे तथा पाकिस्तान का ये सम्मान लिया था.
सिर्फ बाला साहेब ही नहीं बल्कि कई लोगों ने दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने पर सवाल उठाये थे. अब दिवंगत हो चुके एक फिल्म पत्रकार और फेंगशुई मास्टर मोहन दीप ने लिखा था कि ठीक है लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि दिलीप कुमार को क्यों ‘निशान ए इंतियाज’ दिया जा रहा है. मैं कभी समझ भी नहीं पाउंगा, क्योंकि ये अवार्ड पाकिस्तान को दी गई सेवाओं के लिए है, जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते. महज दिलीप कुमार ही इस बारे में हमें कुछ बता सकते हैं.
दिलीप कुमार उर्फ़ युसूफ खान पर सवाल तब और उठे जब कारगिल युद्ध के दौरान देश ने उनसे अपील की कि वह पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान वापस कर दें लेकिन दिलीप कुमार ने इससे इंकार कर दिया था. जबकि 1998 में दिलीप कुमार को पाकिस्तान ने ये सम्मान दिया था तथा 1999 में इस्लामिक आतंकी मुल्क पाकिस्तान भारत से युद्ध कर रहा था, भारत की जमीन कब्जाने की कोशिश कर रहा था लेकिन इसके बाद भी दिलीप कुमार उर्फ़ युसूफ खान ने जनभावनाओं को अनसुना कर दिया तथा पाकिस्तानी सर्वोच्च नागरिक सम्मान वापस नहीं किया था।।
विनुविनीत त्यागी
(बी.सी.आर. न्यूज़)