बीसीआर न्यूज़/न्यूज़ दिल्ली: आपको अवगत करा दें कि, 1947 में अंग्रेजों का शासन खत्म होने के बाद, जब हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर मचें मज़हबी कत्लेआम गदर में हजारों हिन्दू मुस्लिमों को सरेआम कत्ल कर दिया गया था। इस मजहबी जातीय हिंसा को किसी तरहा से रोकने के लिए हिन्दुस्तान व पाकिस्तान का बंटवारा कर दिया गया था, जिसके बाद पाकिस्तान एक कट्टर इस्लामिक देश बन गया और हिंदुस्तान एक धर्म निरपेक्ष देश बना।
दरहसल साल 1947 में भारत के विभाजन ने आज़ादी के जश्न को फीका कर दिया था. नई खींची गई सीमा की लकीर के दोनों तरफ़ दो नए राष्ट्र थे जो सांप्रदायिक दंगों में झुलस रहे थे.
पंजाब और पश्चिम बंगाल के लोग ख़तरनाक यात्राएं करके इधर से उधर हो रहे थे. कभी ट्रेन से कभी वाहनों से और जिन्हें कुछ नहीं मिल रहा था वो पैदल ही सफ़र कर रहे थे. वहीं, सिंध से हज़ारों लोग नावों के जरिए मुंबई पहुंचे थे.
सिंधी हिंदू कराची बंदरगाह पर इकट्ठा होते और जहाज़ों में सवार होकर भारत पहुंचते. इनमें से कई जहाज गुजरात के तटों पर भी रुके.
नानिक मंगलानी और उनका परिवार ऐसे ही प्रवासियों में शामिल था. 75 साल के नानिक उस समय को याद करके भावुक हो जाते हैं. वो कहते हैं, ”मैं 1945 में पैदा हुआ था. उस वक्त मैं ढाई साल का था. उस दौर की यादें आज भी मेरे ज़हन में साफ हैं।।
विनुविनीत त्यागी
(बीसीआर न्यूज़)