November 15, 2024
Gadar Return

बीसीआर न्यूज़: आपको अवगत करा दें कि, जहाँ बंगाल में बीते अभी कुछ दिन पहले विधानसभा चुनाव का महासंग्राम खत्म हुआ हैं और बंगाल में ममता बैनर्जी की विजय के साथ ही बंगाल में कट्टर इस्लामिक (मुस्लिम) तुस्टीकरण की राजनीति के चलते भाजपा हिंदुकार्यकर्ताओं व हिंदुओं का सरेआम नरसंहार हो रहा हैं।
बंगाल में अभी हो रहे साम्प्रदायिक दंगो में हज़ारो लोगो की जान जा चुकी है, हज़ारो लोग बेघर हो चुके है, कितने परिवार तबाह हो चुके है, लोगो के घर जलाये जा रहे हैं, कितनी माताओ और बहनो की इज़्ज़त लूटी जा रही रही, लोगो में दहसत का तो ये आलम है की लोग अपने घर बार छोड़ कर अब पलायन कर रहे हैं, स्तिथि भय से भयावह होती जा रही है,ना ही तो पुलिस कोई ठोस कदम उठा रही है और ना ही प्रसासन कुछ करने के मूड में दिखाई दे रहा है! कुछ प्रत्क्षयदर्सियो के अनुसार सब कुछ पुलिस के सामने होता है लेकिन वो कुछ करते नहीं हैं!

सोचने वाली बात ये है की आखिर ये सब हो क्या रहा है, इन दंगो का मुख्य कारण है भाषा और जाति का एकांकी करण बंगाल में लोग हिंदी भासी ओर हिंदुओं को स्वीकार नहीं करते। जिसके चलते अब वहां के अधिकांश पीड़ित हिन्दू या तो अब धर्मपरिवर्तन, नहीं तो अपना घरबार छोड़कर पलायन करने पर मजबूर हैं।

*वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस शासित पंजाब राज्य में भी ऐसी ही कट्टर मजहबी राजनीति जोर पकड़ने लगी हैं, जिसके चलते अभी बीते दिन ईद के मौके पर वहाँ के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने मुस्लिम बाहुल्य इलाके का इस्लामिककरण के तौर पर मुस्लिम इलाके मलेरकोटला को मुस्लिम नाम से जिला घोशित कर वहां के मुस्लिम सुदय को ईद के तौफे के तौर पर बतौर नज़राना भेंट किया हैं।

अब पंजाब का 23वां जिला होगा.
मालेरकोटला, CM अमरिंदर सिंह ने एलान कर दिया वहाँ मुस्लिमों को ईद पर नये मुस्लिम जिले का तौफा, मगर ये तौफा दौहरा रहा हैं एक बार फिर 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान विभाजन को। इससे अब साफ संकेत इशारा कर रहे हैं आने वाले समय मे कांग्रेस शासित व समर्थित राज्य होंगे नई इस्लामिक स्टेट, जिसके चलते हिन्दुस्ता में से एक और बंग्लादेश और पाकिस्तान का किया जाएगा पुनः निर्माण। कांग्रेस की एक तरफा मुस्लिम कट्टरवादी राजनीति को बढ़ावा देना ही देश मे अब एक बार फिर से 1947 दोराहे जाने का षड्यंत्र रचा जा रहा हैं, जिसका जीता जागता सबूत और गवाह हैं पंजाब व पश्चिम बंगाल में धीरे धीरे इस्लामिककरण का हावी होने और राज्य सरकारों के द्वारा मुस्लिम समाज को खुल्लम-खुलाला समर्थन देना। अगर ऐसा ही चलता रहा तो जल्द ही एक दिन ऐसा आएगा कि भारत मे से एक और पाकिस्तान निर्माण जरूर होगा, और जेहादियों के गज़वा ए हिन्द के मंसूबे पूरे करने में शायद कांग्रेस कहि कामयाब ना हो जाये। क्योंकि भारत का हिन्दू तो शुरू से ही आलू, प्याज व तेल के लिए ही जीता आया है और आगे भी यूँ ही मूकदर्शक बन खुदको गुलाम होता देखेगा और हिन्दुओ को को अपने राष्ट्र धर्म से कुछ लेना देना नहीं हैं सिर्फ कंचचे लालच में आकर पहले भी मुगलों का गुलाम रहा है हिन्दू और अब भी गुलामी की और अग्रेसर हैं।

आखिर क्या है मलेरकोटला का इतिहास.
अफगानिस्तान से शेख सदरूदीन-ए-जहां द्वारा 1454 में की स्थापना की गई थी। इसके बाद बायजीद खान द्वारा 1657 में मलेरकोटला स्टेट की स्थापना की गई। बाद में पटियाला एंड ईस्ट पंजाब स्टेट्स यूनियन (पैपसू) का सृजन करने के लिए मलेरकोटला का विलय पास की रियासतों के साथ कर दिया गया। 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के मौके पर पुराने मलेरकोटला स्टेट का क्षेत्र पंजाब का हिस्सा बन गया।

सरहिंद के शासक वजीर ख़ान द्वारा छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह जी को 9 साल की उम्र में और बाबा फतेह सिंह जी को 7 साल की उम्र में अत्याचार कहर ढाते हुए जीवित ही नींवों में चिनवा की अमानवीय घटना के खि़लाफ़ आवाज़ उठाई थी। इसके बाद गुरु गोबिंद सिंह जी ने नवाब शेर मोहम्मद ख़ान और मलेरकोटला के लोगों को आशीर्वाद दिया था कि यह शहर शांति और खुशी से रहेगा। इस शहर पर सूफ़ी संत बाबा हैदर शेख की भी कृपा है, जिनकी यहां दरगाह भी बनी हुई है।

जो मलेरकोटला को लेकर हुआ है… वह इतना खतरनाक है कि जिसके बारे अभी लोग सोंच भी नहीं सकते… इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे, वह शरीर मे झुरझुरी अवश्य ला देंगे ! देश में चहुओर मोमिन बहुलता वाले इलाके जिले बन जाएंगे ! जिले छोड़िये…. बंगाल, पंजाब, सिंध और आधा कश्मीर पाकिस्तान को मोमिन बहुसंख्यक होने के आधार पर दे दिया गया था या कहिये पाकिस्तानियों ने छीन लिया था !

आज से 30 वर्ष पूर्व केरल में मामल्लपुरम नामक जिला मुस्लिमों के बहुसंख्यक होने का आधार पर बनाया गया था ! जिसका वर्तमान नाम अब वायनाड है, जहां से राहुल गांधी इस बार चुनाव जीते हैं,केरल का सबसे खूबसूरत पहाड़ी जिला है यह ! जिला बनने के बाद मामल्लपुरम/वायनाड में एक भी मन्दिर का निर्माण नहीं हो सका… मस्जिदों,मदरसों और ईदगाहों की तो बाढ़ ही आ गई ! हिंदुओं का पलायन कोई नहीं रोक पाया क्योकि मोमिन बहुल जिलों में अधिकांश प्रशासनिक अधिकारी आईएएस?आईपीएस मोमिन ही रखे जाते हैं… जब प्रशासनिक मशीनरी में एक तबके के लोग स्थापित हो तो सताए जा रहे लोगों की कौन सुनता है….

वायनाड में स्थिति यह है कि मोमिन लौंडे फ़िज़ूल मनोरंजन के लिए ही… हिन्दू घरों में पथराव कर देते हैं… हिन्दुजन वहां रेस्टोरेंट व्यवसाय में अग्रणी थे… रेस्टोरेंट बन्द करके यह लोग अब अन्य नगरों/क्षेत्रों में छोटा-मोटा व्यवसाय चला रहे हैं… हिन्दू कन्याओं के लिए अब मोमिन वर ही बचे हैं… वायनाड में सभी व्यावसायिक क्षेत्रों में सिर्फ मोमिन स्थापित हो चुके हैं या थोड़े बहुत ईसाई …(नीचे दो चित्र वायनाड/मामल्लपुरम के हैं, देखिये हमने क्या खो दिया है।

मगर यह सब हुआ उस राज्य में जो अमूमन लाइमलाइट से दूर रहता है…. इसलिए सेकुलर दलों की सरकारें यह मॉडल मध्य/ उत्तरी / शेष भारत मे नहीं ला सकीं ! परन्तु मोमिन-बहुल मलेरकोटला को पास के दो अन्य कस्बों को जोड़ कर जिला बनाने की घोषणा करना… इस कारण बहुत घातक होगा कि यूपी/बिहार/राजस्थान/बंगाल और महाराष्ट्र के सेकुलर पॉलिटिशियन तो पहले से ही इन कदमों को उठाने के लिए तैयार बैठे हैं… बस उनके सत्ता में आने की देर भर है ! इस तरह तो देश मे 60-75 नए जिले बनाये जा सकते है क्योंकि वहां अब मोमिन बहुलता है या आने वाले वर्षों में हो जाएगी !

1947 में मलेरकोटला नवाब के वंशजों ने विभाजन के समय यह अफवाह फैलाई कि नवाब शेर मोहम्मद ने 1705 में गुरुगोविंद सिंह के पुत्रों की हत्या की आलोचना की थी ! पूरे पंजाब में मार काट मची… मगर मलेरकोटला के मोमिन बाशिंदे मौज करते रहे !… मलेरकोटला एक बेहद सरसब्ज़ कस्बा है, अधिकांश मोमिन बड़े किसान, व्यापारी और सरकारी नौकरी में संलग्न हैं… बहुत बड़ी और खूबसूरत मस्जिदों और मदरसों का यहाँ दबदबा है ! हिन्दू जनसंख्या यहाँ… दूसरे नम्बर पर है,परन्तु गरीबी और उपेक्षा का दंश तो पंजाब में हमेशा ही हिंदुओं को झेलना पड़ा है…
मलेरकोटला के बाशिंदों ने जिला बनाने की कोई मांग नहीं की थी, मगर कैप्टन और उनकी पार्टी ने पिछले चुनाव के वक्त यह वादा किया था, अब अगले साल चुनाव है, तो पाकिस्तानी महिलाओं में लोकप्रिय महाराजा साहेब … वचन का पालन न करते ?
विश्वास मानिए… इस निर्णय का प्रभाव… पूरे भारत मे पड़ेगा और ऐसी परम्परा चल निकलेगी !… मोमिन बहुल कस्बे जिलों में बदले जाएंगे…. लेकिन….

मगर यह परम्परा न बनने पाए…यहाँ दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार का रोल बहुत महत्वपूर्ण है… मलेरकोटला का प्रस्ताव जब विधानसभा से पास होकर राज्यपाल के पास आये तो राज्यपाल इस मामले को राष्ट्रपति के पास नियमानुसार अग्रसारित कर सकते हैं… राष्ट्रपति महोदय केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्य सरकार का मलेरकोटला को जिला बनाने का प्रस्ताव खारिज/वापस कर सकते हैं।।

विनुविनीत त्यागी
(बी.सी.आर. न्यूज)

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