संपादक, प्रकाशक- बॉलीवुड सिने रिपोर्टर व बीसीआर न्यूज़
नई दिल्ली: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने वेदांत के सहयोग से मीडिया संगठन स्वराज्य द्वारा आत्मनिर्भर भारत की थीम पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित किया। वेबिनार को संबोधित करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “आत्मनिर्भर भारत हमारी सरकार का केन्द्र बिन्दु बन गया है, जिसके आस-पास सारी आर्थिक नीतियां बनाई जा रही हैं। हमारी सरकार अमीर और गरीब, संपन्न और विपन्न के बीच की खाई पाटने और सभी भारतीय नागरिकों को समान अवसर देने पर केंद्रित है, जो अंत्योदय का असली अर्थ है”।
मंत्री ने आगे कहा, “आत्मनिर्भर भारत, भारत को गरीबी के चंगुल से आजाद कराने, यह सुनिश्चित करने कि सभी भारतीयों की न केवल कपडा, रोटी और मकान तक एक समान पहुंच बने..बल्कि उन्हें बैंक खाता, 24X7 बिजली आपूर्ति, स्वच्छ पेयजल, आवास, सामाजिक सुरक्षा और सबसे प्रमुख…रोजगार और अच्छा व स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने वाला अच्छा भोजन देते हुए उनके जीवन में गुणात्मक बदलाव लाने की एक योजना है”।
मंत्री ने रेखांकित किया, “आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम के तौर पर, हमने भारत को विनिर्माण, अत्याधुनिक शोध और नवाचार के केंद्र के रूप में चलाने के लिए मेक इन इंडिया पहल शुरू है। हम पूरी तरह से समझते हैं कि उद्योग के साथ हमारे युवाओं के लिए ज्यादा रोजगार आएगा, जो उनके जीवन में खुशहाली की शुरुआत करेगा”।
डॉ. हर्ष वर्धन ने बताया, “हमने व्यापार करने के नियमों को सरल बनाया है; हम अपने कर ढांचे को प्रतियोगी बनाने, प्रक्रियाओं को आसान करने और अनावश्यक विनियमों को हटाने व तकनीकी पर अत्यधिक ध्यान देने पर काम कर रहे हैं।” उन्होंने भरोसा जताया, “ये प्रयास सीधे भारत के गरीबों को लाभ पहुंचाएंगे और उन्हें अवसर उपलब्ध कराएंगे, जिसके वे हकदार हैं”।
कोविड महामारी की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को याद करते हुए, मंत्री ने कहा, “जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने टीकों और संबंधित प्रौद्योगिकियों को उन्नत बनाने में मदद करने के लिए असाधारण काम किया। ‘मिशन कोविड सुरक्षा-द इंडियन कोविड-19 वैक्सीन डेवलपमेंट मिशन’ के तहत, हमने प्री-क्लीनिकल डेवलपमेंट, क्लीनिकल ट्रायल, तैनाती के लिए निर्माण व विनियामक सुविधाओं द्वारा शुरू से अंत तक समाधानों के माध्यम से त्वरित टीका विकास पर ध्यान केंद्रित किया।”
उन्होंने आगे कहा, “माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में कोविड-19 के टीके के प्रशासन पर एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह, एनईजीवीएसी गठित किया गया था, ताकि टीकाकरण की निगरानी और प्राथमिकता वाले जनसमूह की पहचान करने, टीकों को पहुंचाने के प्लेटफॉर्म को चुनने और टीकाकरण प्रक्रिया की निगरानी करने सहित वितरण प्रणाली के बारे में फैसले किए जा सकें। स्वदेशी तौर पर विकसित को-विन : कोविड-19 टीकाकरण के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है।”
मंत्री ने रेखांकित किया, “कोविड-19 टीकाकरण अभियान भी ‘मेक इन इंडिया’ से प्रेरित है और भारत में आपातकालीन मंजूरी पाने वाले दोनों टीके देश में ही बनाये गये हैं। हमने पूरे देश में कोल्ड चेन स्टोरेज का मूल्यांकन किया है और अंतिम सिरे पर मौजूद कोल्ड चेन प्वाइंट्स की क्षमता बढ़ाने के लिए कोल्ड चेन के उपकरणों की आपूर्ति लगातार की जा रही है”।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “मुझे यकीन है कि महामारी को रोकने के हमारे प्रयासों ने समानांतर रूप से हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था को अंतिम छोर तक मजबूत किया है और यही सभी लोगों तक सस्ती, एक समान और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं को आगे और सशक्त बनाने के लिए एक मजबूत बुनियाद के रूप में काम करेगा”।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि कोविड महामारी एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जिसने हमारे जीवन और अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व तरीके से प्रभावित किया है। उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, इन विपरीत परिस्थितियों को हमने देश भर में अपनी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत बनाने के अवसर के रूप में उपयोग किया है”।
उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी ने शोध और विकास संस्थानों, अकादमिक क्षेत्र और उद्योग के लिए साझा उद्देश्य, तालमेल, सहयोग और सहकारिता के लिए एकजुट होकर काम करने के लिए अनिवार्य अवसर उपलब्ध कराया है”।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और इसके विभिन्न स्वायत्त संस्थानों ने महामारी से उभरी आरएंडडी (शोध एवं विकास) और नवाचार संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। डॉ. हर्ष वर्धन ने जोर देकर कहा, ‘अन्य उपायों के तहत भविष्य में किसी महामारी के प्रसार का पूर्वानुमान करने के लिए एक नेशनल सुपर मॉडल बनाने के लिए 20 से अधिक प्रमुख वैज्ञानिकों के साथ एक नेशनल टास्क फोर्स बनाया है”।
अधिक जानकारी देते हुए, उन्होंने कहा कि “डीबीटी और बीआईआरएसी महामारी को रोकने वाले प्रभावी उपायों को विकसित करने के लिए टीके, जांच तकनीक और चिकित्सा शास्त्र संबंधी विषयगत क्षेत्रों में लगभग 120 परियोजनाओं की सहायता करते हुए बीते दस महीने से लगातार काम कर रहा है”।
मंत्री ने बताया, “15 प्रमुख मॉलिक्यूलर बायोलॉजी कंपोनेंट और रिएजेंट्स (अभिकर्मक) के स्वदेशी निर्माण की सुविधा विकसित करने के लिए नेशनल बायोमेडिकल रिसर्च इंडिजिनाइजेशन कंसोर्टियम, एक मेक इन इंडिया पहल, के तहत 200 से अधिक भारतीय निर्माताओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है”।
उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, डीबीटी लगभग 15 टीकों को तैयार करने में सहायता कर रहा है। इनमें से 3 टीके क्लीनिकल ट्रायल के चरण में और लगभग 2 टीके उन्नत प्री-क्लिनिकल विकास चरण में हैं”।
उपरोक्त सभी प्रयासों को रेखांकित करते हुए, डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “कई अन्य उपलब्धियों के बीच, ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, टीएचएसटीआई की इम्युनोसाय लेबोरेटरी को कोलेजन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशंस, सीईपीआई ने कोविड-19 टीकों के केंद्रीकृत मूल्यांकन के लिए वैश्विक स्तर की सात में से एक प्रयोगशाला के रूप में मान्यता दी गई है”।
उन्होंने कहा, “पांच कोविड-19 बायो-रिपॉजिटरी बनाई गई है और 40,000 से ज्यादा नमूनों को जमा किया गया है, जो जैव चिकित्सा क्षेत्र के शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध हैं।”
मंत्री ने कहा, “जीनोमिक्स और थेरप्यूटिक्स (चिकित्साशास्त्रीय) मोर्चे पर…पूरे भारत में, 1000 सार्स-कोव-2 जीनोम सिक्वेंसिंग को सफलता के साथ पूरा कर लिया गया था और वायरस को समझने के लिए आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है”। उन्होंने कहा कि देश में सार्स-कोव-2 के नए वेरिएंट (रुपांतरों) की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) को शुरू किया गया है।
उन्होंने बताया, “कोरोना के खिलाफ लड़ाई में नई और जांच की बेहतर व्यवस्था, दवाएं और टीके व वेंटिलेटर सहित उपकरणों का विकास करते हुए सीएसआईआर ने अपनी काफी ताकत और विशेषज्ञता का उपयोग किया है”। मंत्री ने कहा, “सीएसआईआर ने देश में वायरल स्ट्रेंस (वायरस के उपभेदों) और मॉलिक्यूलर एपिडेमियोलॉजी (आणविक महामारी विज्ञान) को समझने में काफी प्रगति की है। इसने आपूर्ति श्रृंखला में आने वाली चुनौतियों को पहले ही पहचाना और अड़चनों को दूर करने के लिए कदम भी उठाए हैं”।
उन्होंने जोर देकर कहा, “हमने एफईएलयूडीए बनाया है, जो कोविड-19 की जांच के लिए एक कागज-आधारित जांच किट है। इस अनोखी तकनीक को टाटा संस ने लिया है, जो इनका बहुत जल्द निर्यात शुरू कर सकता है। उपयोग करने में तेज और आसान आरटी-एलएएमपी जांच किट को रिलायंस इंडस्ट्रीज की साझेदारी में विकसित किया गया है।” मंत्री ने आगे कहा, “सीएसआईआर प्रयोगशालाओं ने 2000 सार्स-कोव-2 वायरल जीनोम की सीक्वेंसिंग और विश्लेषण के जरिए मौजूदा वायरल स्ट्रेंस, उनके म्यूटेशन स्पेक्ट्रम (उत्परिवर्तन का दायरा) और पूरे भारत में प्रसार व वितरण को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है”।
उन्होंने प्रशंसा की, “सीएसआईआर ने कोविड-19 के इलाज के लिए विशेष दवाओं की कमी को देखते हुए रिपर्पज्ड ड्रग्स (पुरानी दवाओं से नई दवा बनाना) बनाने को प्राथमिकता दी है। सीएसआईआर ने रेमेडिसविर और फेविपिरविर जैसी दवाएं बनाने के लिए प्रक्रियागत तकनीक तैयार की और उद्योगों को सौंपा। सीएसआईआर की लाइसेंस प्राप्त तकनीक से, सिप्ला ने किफायती फेविपिरविर को शुरू किया, जिसने…आप सभी को याद होगा…कम कीमत के लिए बाजार की प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ाया।” मंत्री ने कहा, “पिछले दस महीनों में जो सब कुछ किया गया है, उसका कोई अंत नहीं है”। उन्होंने कोविड के खिलाफ लड़ाई में सीएसआईआर और विज्ञान-तकनीक लैब द्वारा हासिल कई अन्य उपलब्धियों का उल्लेख किया।
सभी दर्शकों के सामने केंद्रीय मंत्री ने कहा, “महामारी के दौरान, पूरी विनम्रता से, मैं दावा कर सकता हूं कि जिस तरीके से हमने जिम्मेदारी निभाई है और कोरोना से जुड़ी मृत्यु दर को सबसे नीचे रखा है, उसके लिए दुनिया ने भारत की सराहना की है…यहां तक कि आज भी हमारे यहां मृत्यु दर 1.44 प्रतिशत है”।
अपने भाषण का समापन करते हुए उन्होंने कहा, “जनता आत्मनिर्भर बने, इसके लिए उसे आगे शिक्षित करने की बहुत ज्यादा जरूरत है। एक बार वे जान गए कि उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना है, तो यह माहौल को ऊर्जावान बना देगा। यह वेबिनार श्रृंखला सही दिशा में उठाया गया कदम है”।