अजय शास्त्री
संपादक, बीसीआर न्यूज़ व बॉलीवुड सिने रिपोर्टर (समाचार पत्र)
मुंबई: कंगना की जीत सच्चाई की जीत है क्योंकि संजय राउत व महाराष्ट्र सरकार का घमंड टूटना जरुरी था, जी हाँ, सितम्बर में कंगना रनौत और शिवसेना नेता संजय राउत के बीच की कहासुनी ने तब और बड़ा रूप ले लिया जब बीएमसी ने ऐक्ट्रेस के दफ्तर पर अवैध निर्माण का हवाला देते हुए तोड़ की कार्रवाई की।
कंगना ने बीएमसी के इस ऐक्शन के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने याचिका दायर की। कोर्ट ने कंगना के पक्ष में तो अपना फैसला सुनाया मगर साथ ही ऐक्ट्रेस के बयानों को भी गैर जिम्म्मेदाराना बताया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए BMC की नीयत को खराब बताया है। कोर्ट ने माना कि कंगना के दफ्तर को गलत इरादे से तबाह किया गया। इसी के साथ मुआवजे की रकम क्या हो, इसके लिए एक वैल्युअर नियुक्त किया गया है, जो हर्जाने की राशि का आंकलन करेगा। दूसरी तरफ कोर्ट ने कंगना की गलतियां भी सुझाई हैं।
कोर्ट ने कंगना के बयानों को गैर जिम्मेदाराना बताया और कहा, ‘हम यह स्पष्ट करते हैं कि हम कंगना द्वारा दिए गए बयानों को स्वीकार नहीं करते हैं। उन्हें संयम बरतना चाहिए था, लेकिन मुख्य मुद्दा दफ्तर में हुई तोड़फोड़ है न कि उसका ट्वीट।’
कोर्ट ने कंगना के बयानों की निंदा करते हुए कहा, ‘एक व्यक्ति द्वारा दिए गए गैर जिम्मेदाराना बयानों को किसी भी व्यक्ति द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाना चाहिए।’ दूसरी तरफ कंगना कोर्ट से अपने पक्ष में मिले फैसले के बाद एक बार फिर अपनी जीत की वाह-वाही करती नजर आई हैं।