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विशेष चर्चा*
ये हमारा सौभाग्य है कि बीसीआर न्यूज के इस विशेष चर्चा कार्यक्रम में डॉ. वरुण त्यागी जी (रक्षा अनुसन्धान प्रयोगशाला तेज़पुर, असम) डेंगू तथा उसको नियंत्रित करने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए हमारे साथ है, मैं विनुविनीत त्यागी उनका तथा सभी पाठकगणो का हार्दिक स्वागत करता हूँ।
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*कोरोना त्रासदी के चलते अब डेंगू की आहट*
??दोस्तों कोरोना का तांडव इतना है कि आज कोई भी व्यक्ति इसके अलावा कुछ और नहीं सोच रहा। पर आने वाला मौसम अपने आप में कई बिमारियों को न्योता देने वाला है। ऐसी ही एक बीमारी है डेंगू। हमने अपने इस इंटरव्यू में वाहक तथा वाहक जनित बिमारियों के प्रबंधन में विशेष योग्यता रखने वाले और पिछले ११ वर्ष से इन बीमारियों के वाहक की रोकथाम के ऊपर शोध कर रहे डॉ. वरुण त्यागी जी से बात की और समझने की कोशिश की की कैसे मच्छरों की रोकथाम करके इस बीमारी से बचा जा सकता है। डॉ. त्यागी के साथ हुई चर्चा के कुछ मुख्य अंश आप लोगो से साझा कर रहा हूँ। वर्तमान में डॉ. वरुण त्यागी जी रक्षा अनुसन्धान प्रयोगशाला तेज़पुर में यंग साइंटिस्ट (ऍन पी ड़ी एफ ) के रूप में कार्यरत है।
Q. विनुविनीत त्यागी – डॉ. वरुण त्यागी जी आपका बीसीआर न्यूज की *कोरोना त्रासदी के चलते अब डेंगू की आहट* इस विशेष चर्चा प्रोग्राम में आपका बहुत बहुत स्वागत है।
Ans. डॉ. वरुण त्यागी- जी आपका धन्यवाद बहुत बहुत।
Q. विनुविनीत त्यागी – डॉ. साहब ये बताईये आखिर ये डेंगू बीमारी क्या है और कैसे फैलती है?
Ans. डॉ. वरुण – डेंगू बुख़ार एक तरह का संक्रमण है जो डेंगू वायरस के कारण होता है। एडीज प्रजाति के मच्छर डेंगू वायरस को एक संक्रामक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचरित करते हैं। इस डेंगू बुख़ार को “हड्डीतोड़ बुख़ार” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इससे पीड़ित लोगों को इतना अधिक दर्द हो सकता है कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी हों। डेंगू बुख़ार के निम्नलिखित लक्षण हो सकते है- तेज़ बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते पड़ना तथा मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द शामिल हैं। कुछ लोगों में, डेंगू बुख़ार एक या दो ऐसे रूपों में हो सकता है जो जीवन के लिये खतरा हो सकते हैं। पहला, डेंगू रक्तस्रावी बुख़ार है, जिसके कारण रक्त वाहिकाओं (रक्त ले जाने वाली नलिकाएं), में रक्तस्राव या रिसाव होता है तथा रक्त प्लेटलेट्स (जिनके कारण रक्त जमता है) का स्तर कम होता है। दूसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम होता है, जिससे खतरनाक रूप से निम्न रक्तचाप होता है।
Q. विनुविनीत त्यागी – ये बताईये ये एडीज मच्छर देखने में कैसे होते है और कहा मिलते है ?
Ans. डॉ. वरुण -जी अच्छा सवाल है, दरअसल भारत में मुखतय: दो प्रकार की एडीज मच्छर की स्पीशीज मिलती है जिसमे से एक का नाम है एडीज एजिप्टाई और दूसरी है एडीज ऐल्बोपिक्टस। ये मच्छर देखने में काले रंग के होते है तथा इनके पैरो पर काले सफेद बेंड (धारिया) मिलती है। ये मच्छर मुख्यत घरो में अँधेरे तथा ठन्डे स्थानों में छिपे रहते है इसके अलावा कूलर के पानी, सीमेंट की टंकी में भरे पानी, गमले में भरे पानी और पुराने टायरों आदि में भरे पानी में इन मच्छरों के लार्वा मुख्यत: रूप से पाए जाते है।
Q. विनुविनीत त्यागी – इनके काटने का कोई निश्चित समय होता है क्या ?
डॉ. वरुण – जी हाँ ये मच्छर ज्यादातर सुबह और शाम के वक़्त काटते हैं।
Ans. विनुविनीत त्यागी – अगर किसी व्यक्ति में डेंगू के लक्षण दिखाई दे तो किस तरह के टेस्ट कराने चाहिए और सबसे पहले उसको क्या उपचार देना चाहिए?
डॉ. वरुण – मच्छर के द्वारा काटे जाने के करीब ३ से ५ दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने का समय ३ से १० दिनों का भी हो सकता है। डेंगू की लैबरेटरी जांच में मरीज के खून में ऐंटीजन IgM और IgG व प्रोटीन NS-1 देखे जाते हैं। NS-1 की मौजूदगी से डॉक्टर की यह पता चलता है कि मरीज के अंदर डेंगू वायरस का इंफेक्शन है परन्तु ये भी जरूरी नहीं कि उसे डेंगू फीवर हो। IgM और IgG में से अगर केवल IgG पॉजिटिव है तो इसका मतलब है कि मरीज को पहले कभी डेंगू रहा होगा। उपचार की बात करे तो ये देखना होगा कि अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर भी की जा सकती है। डॉक्टर से परामर्श लेकर पैरासिटामोल ले सकते हैं। बुखार बहुत तेज़ होने पर माथे पर पानी की पट्टी रखनी चाहिए।
डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेस नहीं चढ़ाई जाती,
मरीज में यदि DSS या DHF का एक भी लक्षण दिखाई दे तो उसको शीघ्र अति शीघ्र डॉक्टर के पास ले जाएं। DSS और DHF बुखार में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, जिससे शरीर के जरूरी हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। सिर्फ डेंगू हैमरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार में ही जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं। अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो DSS और DHF का पूरा इलाज मुमकिन है।
Q. विनुविनीत त्यागी – मच्छरो से किस प्रकार से बचा जा सकता है?
Ans. डॉ. वरुण – आउटडोर (पार्क आदि में ) में पूरी बांह की शर्ट, जुते , मोजे और फुल पैंट पहने। खासकर बच्चों के लिए इस बात का जरूर ध्यान रखें। मच्छर गाढ़े रंग की तरफ आकर्षित होते हैं इसलिए हल्के रंग के कपड़े पहनें। तेज महक वाली परफ्यूम लगाने से बचें क्योंकि मच्छर किसी भी तरह की तेज महक की तरफ आकर्षित हो सकते हैं। कमरे में मच्छर भगानेवाले विभन्न यत्पादो (क्रीम, स्प्रे, मैट्स) आदि का प्रयोग करें। लार्वा की रोकथाम के लिए घरो के आस पास पानी एकत्रित ना होने दे तथा समय समय पर पानी की टंकियों, कूलर आदि को खाली करके घूप में सुखाना चाहिए!
Q. विनुविनीत त्यागी -धन्यवाद डॉ. वरुण जी आपने इस बिमारी को लेकर जो शंकाये थी उनका समाधान किया और ये भी पता चला कि कैसे हम इन मच्छरों की रोकथाम का उचित प्रबंधन करके इनके द्वारा फैलाई जाने वाली बिमारियों से बच के रह सकते है, हमे आशा है इस महत्वपूर्ण चर्चा से हमारे पाठकगण जरूर लाभान्वित होंगे।
Ans. डॉ. वरुण -धन्यवाद आपका, पाठकगण इस विषय पर और ज्यादा जानकारी के लिए मुझे नीचे लिखी मेरी ईमेल पर मेल कर सकते है तथा इस चर्चा के ऊपर अपने कुछ सुझाव भी मुझसे साझा कर सकते है।
varunbhardwaj.tyagi@gmail.com
डा० वरुण त्यागी जी बीसीआर न्यूज के इस विशेष चर्चा कार्यक्रम में डेंगू बीमारी से बचाव तथा इस विषय के ऊपर महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए बीसीआर न्यूज की समस्त टीम के साथ मैं विनुविनीत त्यागी (सह-संपादक बीसीआर न्यूज) आपका पुनः बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ।
धन्यवाद